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बेवजह इल्ज़ाम लगाना सही नहीं: पुलिस
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दिल्ली पुलिस के साथ मुठभेड़ में 19 सितंबर को आतिफ़ उर्फ़ बशीर और साजिद नाम के दो लोग मारे गए.
पुलिस का कहना है कि ये लोग इंडियन मुजाहिद्दीन नाम के संगठन के नेता थे और उनका दिल्ली में हुए धमाकों में हाथ था. दिल्ली में 13 सितंबर को बाराखंबा रोड, करोल बाग और ग्रेटर कैलाश मार्केट इलाक़ो में धमाके हुए थे, जिसमें 23 लोगों को मौत हो गई थी और 125 लोग घायल हुए थे. लेकिन दिल्ली पुलिस मात्र देश की राजधानी में हुए धमाकों की ही बात नहीं कर रही.
उसका कहना है कि इन लोगों का जयपुर और अहमदाबाद के अलावा उत्तर प्रदेश की अदालतों और गोरखपुर में हुए धमाकों में भी हाथ था. तो क्या दिल्ली पुलिस जो बोल रही है वो सच है? दिल्ली पुलिस की बात पर कितना विश्वास किया जाए? दिल्ली पुलिस प्रवक्ता राजन भगत कहते हैं कि 'दिल्ली पुलिस ने इस मुठभेड़ में अपना एक अफ़सर खोया है जिसे वीरता के कई पुरस्कार मिल चुके हैं और इसके आगे और ज़्यादा कुछ कहने की ज़रूरत नहीं रहती.' 'असली मुठभेड़' दिल्ली पुलिस के पूर्व कमिश्नर वेद मारवाह इसे दिल्ली पुलिस की एक बड़ी कामयाबी मानते हैं. वो कहते हैं कि दिन के उजाले में, जामिया नगर जैसे भीड़-भाड़ इलाक़े में हुई ये मुठभेड़ असली मुठभेड़ थी.
उधर दिल्ली पुलिस अपनी बात पर कायम है, उसका कहना है कि मुठभेड़ में गिरफ़्तार किए गए मोहम्मद सैफ़ और अन्य लोगों से उन्हें ढेर सारी जानकारी मिली है. दिल्ली पुलिस के प्रवक्ता राजन भगत की मानें तो इन धमाकों से जुड़े लोगों की संख्या 40 तक है. अभी तक ग़िरफ़्तार किए गए लोग आज़मगढ़ के हैं और गिरफ़्तारी का काम जारी है. सभी की उत्सुकता जानने की है कि आख़िर 19 सितंबर के दिन हुआ क्या था? दिल्ली पुलिस का कहना है कि स्पेशल सेल को इन धमाकों के बारे में गुजरात पुलिस और ख़ुफ़िया विभाग से काफ़ी जानकारियाँ मिलीं थीं. स्पेशल सेल के संयुक्त आयुक्त करनैल सिंह कहते हैं कि उन्हें सबसे पहले दिल्ली के बाटला हाउस में रहने वाले एक संदिग्ध व्यक्ति के बारे में जानकारी मिली. हमने उस व्यक्ति का प्रोफ़ाइल तैयार किया. वो कहते हैं,'' हमें पता चला कि ये आदमी दिल्ली से 10 आदमियों को साथ लेकर अहमदाबाद गया था और इन्हीं लोगों ने बम बनाए थे.... और ये लोग 26 तारीख़ (जुलाई) को अहमदाबाद धमाकों से पहले ही दिल्ली आ गए थे.'' गुजरात पुलिस ने दिल्ली पुलिस को कुछ मोबाइल से किए गए फ़ोन के बारे में जानकारी दी थी. जांच पर पता चला कि उन मोबाइल कनेक्शन के काग़ज़ात में जामिया नगर बाटला हाउस के एल-18 मकान का पता लिखा था. पुलिस की दलील दिल्ली पुलिस के प्रवक्ता राजन भगत की माने तो स्पेशल सेल के इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा और एसीपी संजीव यादव की टीम जामिया नगर मात्र सर्वेक्षण करने गई थी और उस मकान में रहने वाले लोगों के बारे में पता लगाने गई थी और इसलिए मोहन चंद शर्मा ने बुलेट प्रूफ़ जैकेट नहीं पहन रखी थी.
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि पहले स्पेशल सेल का एक व्यक्ति सेल्समैन बनकर उस घर के अंदर गया था और उसके बाद मोहन चंद शर्मा ज़्यादा जानकारी लेने के लिए अंदर गए जहाँ उन पर गोलियाँ चलने लगीं. दिल्ली पुलिस के मुताबिक इस मुठभेड़ में दो लोग वहां से भागने में सफल हो गए. जामिया नगर के लोग सवाल उठाते हैं कि क्या ऐसे वक़्त जब पुलिस का भारी जमावड़ा हो, क्या जामिया नगर की तंग गलियों से दो लोगों का भागना मुमकिन है. इस पर राजन भगत कहते हैं कि ऐसे वक़्त जब अव्यवस्था फ़ैली हुई हो, पुलिस वालों का ध्यान अपने एक घायल अफ़सर पर हो, ऐसे वक़्त ये लोग वहाँ से भाग निकले थे. पर्याप्त सबूत जब मैने स्पेशल सेल के संयुक्त पुलिस आयुक्त करनैल सिंह से पूछा कि क्या उनके पास ग़िरफ़्तार किए गए लोगों के ख़िलाफ़ पर्याप्त सबूत है, इस पर उनका कहना था कि ‘हमारे पास कई सबूत हैं. हमें वो बाल्टी मिली है जिसमें विस्फोटक रखा था. हमने उसे जाँच के लिए भेज दिया है. गुजरात में जिन कारों में धमाके हुए हैं, उन कारों की धमाकों के पहले की भी तस्वीरें हमें मिली हैं.'
उनका कहना था कि "ये तस्वीरें किसी और के पास नहीं हो सकतीं. जयपुर में हमें उन साइकिलों की तस्वीरें मिली हैं जिनमें विस्फोटक लगाए हुए हैं. ये तस्वीरें भी किसी और के पास नहीं हो सकतीं". करनैल सिंह पुलिस की कार्रवाई को देशहित में बताते हैं और कहते हैं कि आम आदमी को समझना चाहिए कि ये लोग किस तरह से खुले आम धमाके करने की धमकी दे रहे थे. लेकिन पुलिस के बयान जिस तरह से आ रहे हैं और लोगों के मन में अब भी अनसुलझे सवाल हैं. सोहराबुद्दीन औऱ ख़्वाजा यूनुस के साथ हुए एनकाउंटर और अंसल प्लाज़ा में घटित घटनाएं बहुत ज़्यादा पुरानी नहीं हुई हैं. लोगों का पुलिस में विश्वास कम है. पिछले कुछ महीनों में हुए विभिन्न प्रदेशों में हुए धमाकों को लेकर अलग अलग लोगों जैसे अबू बशर, शाहबाज़ हुसैन और अब्दुस सुभान उर्फ तौकीर के नाम आते रहे हैं. वाराणसी धमाकों के मामले में विभिन्न अधिनियमों के तहत वलीउल्लाह को दस वर्ष की क़ैद भी हो चुकी है. उधर करनैल सिंह कहते हैं कि उनके पास पुलिस कार्रवाई को लेकर पक्के सबूत हैं और बेवजह पुलिस पर इल्ज़ाम लगाना ठीक नहीं है. |
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