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भाजपा का रजत जयंती अधिवेशन शुरू | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
सोमवार की शाम क़रीब चार बजे भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के शुरू होने के साथ ही भाजपा का रजत जयंती अधिवेशन मुंबई में शुरू हो रहा है. पाँच दिन के इस अधिवेशन में पूरे देश से पार्टी के विभिन्न स्तर के लगभग 5,000 प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं. पहले दो दिन राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक है जबकि बाकी के तीन दिन राष्ट्रीय परिषद की बैठक होगी. इस अवसर पर संघ के सह सरकार्यवाह मदनदास देवी ने कहा है कि भारतीय जनता पार्टी को अपनी विचारधारा और कार्य के बीच की दूरी को दूर करना चाहिए. इनमें पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्यों के अलावा संसद के दोनों सदनों में पार्टी के लगभग 200 सांसद और पाँच प्रदेशों में पार्टी के मुख्यमंत्री शामिल हैं. रजत जयंती अधिवेशन के लिए मुंबई में व्यापक तैयारी की गई है और इसपर पाँच करोड़ रूपए की लागत बैठी है. अधिवेशन में चर्चा के मुद्दे तो कई रहेंगे लेकिन सबसे अधिक कौतूहल पार्टी के नए अध्यक्ष के बारे में है. वर्तमान अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी इस महीने अपने पद से अलग होनेवाले हैं जिसकी घोषणा उन्होंने सितंबर में ही कर दी थी. वैसे इस बात के प्रबल संकेत हैं कि उत्तर प्रदेश से पार्टी के वरिष्ठ नेता राजनाथ सिंह नए अध्यक्ष हो सकते हैं लेकिन इसकी आधिकारिक घोषणा अभी नहीं की गई है. लेकिन समझा जाता है कि 30 दिसंबर को अधिवेशन की समाप्ति के समय से पहले ही पार्टी के नए अध्यक्ष का नाम सामने आ जाएगा. मुद्दे भाजपा अधिवेशन में दो तरह के मुद्दों पर चर्चा होगी, एक तो वे मुद्दे जिनपर सार्वजनिक रूप से बहस होगी और दूसरा वे मुद्दे जिनपर बंद कमरों में बातें होंगी. सार्वजनिक रूप से उठनेवाले मुद्दों में पार्टी की भावी रणनीति और पार्टी के भविष्य पर चर्चा होगी. पार्टी पर पिछले कुछ अर्से से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर से हिंदुत्व के मुद्दे पर वापस लौटने का दबाव बना हुआ है और बैठक में इस बारे में भी चर्चा हो सकती है. पिछले दिनों पार्टी में चाहे प्रदेश स्तर पर हो चाहे राष्ट्रीय स्तर पर, पार्टी में अनुशासन का प्रश्न भी गंभीरता से उठा. अधिवेशन में अनुशासन के विषय पर भी खुलकर चर्चा हो सकती है. साथ ही अगले वर्ष पश्चिम बंगाल, असम और केरल में होनेवाले विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखकर पार्टी की चुनावी नीति पर भी विचार हो सकता है. बंद कमरे में जिन मुद्दों पर बात होने की संभावना है उनमें पार्टी के प्रथम पंक्ति के नेताओं और द्वितीय पंक्ति के नेताओं के बीच के संबध का विषय महत्वपूर्ण माना जा रहा है. |
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