दुनिया के दूसरे सबसे अमीर आदमी कैसे बने एलन मस्क

हफ़्ते की बड़ी आर्थिक खबरों में से एक थी- एलन मस्क की टेस्ला कम्पनी पाँच लाख करोड़ डॉलर की हुई और इसी के साथ एलन मस्क दुनिया के दूसरे सबसे बड़े अमीर बन गए.

इस दूसरे पायदान पर उनसे पहले बिल गेट्स थे.

टेक्नॉलॉजी जगत की खबरों से सम्बंधित बीबीसी टेक टेंट पॉडकास्ट का सवाल है कि इलेक्ट्रिक कार बनाने वाली इस कम्पनी में निवेशकों को ऐसा क्या दिख रहा है जो एक साल पहले नहीं दिखा था.

क्योंकि साल 2020 की शुरुआत में स्टॉक बाज़ार ने टेस्ला की क़ीमत 80 अरब डॉलर आंकी थी और तब भी कहा जा रहा था कि ये क़ीमत ऐसे बिज़नेस के लिए ज़्यादा ही है जो कोई ख़ास फ़ायदेमंद नहीं है.

पूरे साल इस कम्पनी के शेयर्स बढ़ते रहे और फिर कम्पनी पाँच लाख करोड़ डॉलर की क़ीमत भी पार कर गई.

मुनाफ़े के रास्ते पर...

ख़बरें थी कि S&P 500 इंडेक्स इसे अग्रणी कम्पनियों में शामिल करेगा.

टेस्ला की क़ीमत अब टोयोटा, फ़ॉक्सवैगन, ह्युंडे, जीएम और फ़ोर्ड की कुल क़ीमत से भी ज़्यादा हो चुकी है.

टेक टेंट ने हिसाब-किताब लगाया तो पता चला कि इन कम्पनियों ने पिछले साल कुल मिला कर 50 अरब डॉलर का मुनाफ़ा कमाया. इनमें से कुछ अब कोरोना महामारी की वजह से आर्थिक मार भी झेल रही हैं.

वहीं, इस साल टेस्ला 1 अरब डॉलर मुनाफ़े के रास्ते पर है.

अगर कम्पनी के इस मूल्यांकन को देखें तो क्या इसका मतलब ये हुआ कि निवेशकों को निकट भविष्य में 50 गुना फ़ायदा होने की संभावना है?

ऑटो इंडस्ट्री

पैशन कैपिटल के एलीन बरबिज का कहना है कि "इसका मतलब सिर्फ़ ये है कि जो लोग इस क़ीमत पर स्टॉक ख़रीद रहे हैं, उन्हें लगता है कि वे इसे ज़्यादा क़ीमत पर बेच पाएँगे."

बरबिज का काम है नई कम्पनियों का मूल्यांकन करना जो अभी टेस्ला से भी कहीं ज़्यादा शुरुआती स्टेज में हैं.

विश्लेषकों के मुताबिक़, अक्सर ये प्रक्रिया अतार्किक भी होती है क्योंकि ये मूल्यांकन बाज़ार के मूड पर भी निर्भर करता है, ना कि सिर्फ़ कम्पनी की क्वॉलिटी पर.

टेस्ला के प्रशंसक कहते हैं कि कम्पनी ने ऑटो इंडस्ट्री को एक नई दिशा दी है. लेकिन ये बात 2020 की शुरुआत में भी सच थी जब कम्पनी 'सिर्फ़' 80 अरब डॉलर की थी.

बरबिज का कहना है, "बिज़नेस की ऐसी कोई बुनियादी बात नहीं थी जिसके आधार पर साल की शुरुआत में कहा जा सकता था कि पाँच-छह गुना ज़्यादा फ़ायदा होगा."

शेयर बाज़ार

लेकिन विश्लेषक ज़ोर देते हैं कि निवेशक एक थोड़े वक़्त का जुआ खेल रहे हैं.

बरबिज ने कहा, "मुझे लगता है कि बाज़ार बुनियादी तौर पर तार्किक ही है. मेरे ख़याल से बात वक़्त की है. ख़रीदारों को लग रहा है कि वे अपने शेयर ज़्यादा क़ीमत पर बेच पाएँगे. और उनके ऐसा सोचने की वजह भी है."

विश्लेषकों के मुताबिक़ थोड़े वक्त के लिए स्टॉक ख़रीदने या बेचने पर ज़्यादा तर्क लगाने की ज़रूरत नहीं.

वो एक कहानी आप जानते होंगे जहां फ़्लीट स्ट्रीट स्टॉक के एक रिपोर्टर से उसके एडिटर ने पूछा कि बाज़ार बढ़ क्यों रहा है. रिपोर्टर का जवाब होता था, "बेचने वालों से ज़्यादा ख़रीदने वाले हैं."

जब बाज़ार गिरता था तो रिपोर्टर ठीक इसका उल्टा कहता था.

इलेक्ट्रिक कार कम्पनी टेस्ला

जैसे बरगंडी की 1945 की बोतल या पिकासो की पेंटिंग. जैसे लंदन या सैन फ्रांसिसको में छोटा सा फ़्लैट.

उसी तरह टेस्ला का मूल्यांकन वैसा ही है जैसे ख़रीदार क़ीमत से ज़्यादा प्रॉडक्ट को तवज्जो दे रहा हो, फिर चाहे क़ीमत कितनी भी अतार्किक हो.

हालांकि इस विषय के एक जानकार ने कई महीने पहले कहा था कि इलेक्ट्रिक कार कम्पनी टेस्ला का अधिक मूल्य लगाया गया है.

बल्कि एक मई को उन्होंने ट्वीट किया, "टेस्ला के शेयरों की क़ीमत बहुत ज़्यादा है."

ये साहब कौन थे? ये साहब ख़ुद एलन मस्क थे और इस ट्वीट के बाद कम्पनी का मूल्यांकन 14 अरब डॉलर घट भी गया.

लेकिन तब के बाद शेयर की क़ीमत चार गुना बढ़ गई लेकिन किसे पता कि भविष्य में क्या होने वाला है?

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