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शनिवार, 05 अगस्त, 2006 को 15:19 GMT तक के समाचार
 
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सोमवार को अपने पत्ते खोलेंगे नटवर सिंह
 

 
 
नटवर सिंह
नटवर सिंह को इस विवाद पर इस्तीफ़ा देना पड़ा था
इराक़ में तेल के बदले अनाज कार्यक्रम के तहत कंपनियों को ठेके दिलाने और कथित तौर पर लाभ उठाने के मामले में पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह की भूमिका पर वोल्कर समिति ने सवाल उठाए थे.

इस मामले की जाँच के लिए बनी जस्टिक आरएस पाठक समिति की रिपोर्ट लीक हो जाने पर पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह ने कड़ा ऐतराज़ जताया है और कहा है कि वह इस बारे में सोमवार को संसद में अपनी बात रखेंगे.

बीबीसी के साथ विशेष बातचीत में पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह ने इस मुद्दे पर अपना पक्ष रखा. प्रस्तुत है बातचीत के महत्वपूर्ण अंश

जस्टिस पाठक समिति की रिपोर्ट कहती है कि आपके हस्तक्षेप के बिना कोई भी ठेका नहीं दिया जा सकता था. तेल के बदले अनाज कार्यक्रम में आपके रिश्तेदारों और दोस्तों को ठेके दिए गए हैं. आपका क्या कहना है?

बुनियादी बात तो ये थी कि इस ठेके से मुझे या मेरे बेटे को पैसा मिला या नहीं? मैं दोषमुक्त पाया गया हूँ. बाक़ी मैंने चिट्ठी लिखी या नहीं लिखी ये सवाल अप्रासांगिक है. पाठक समिति ने भी यही कहा है कि मुझे पैसा नहीं मिला.

लेकिन नटवर जी लिखावट पहचानने वाले विशेषज्ञ पुष्टि कर रहे हैं कि चिट्ठियों पर आपके हस्ताक्षर हैं.

ठेके में तो नहीं है. ये अगर कोई बता दे तो मैं उस पर अभी दावा कर दूँ. न किसी कॉन्ट्रेक्ट में हस्ताक्षर हैं न ही कोई वाउचर मिला है. न मुझे रसीद ही मिली है और मेरे दस्तख़त भी नहीं है. दस्तख़त होते तो पाठक समिति कह देती कि इनके पास रसीद है और इनका नाम है. उन्होंने कहा है कि चिट्ठी लिखी है.

उस ज़माने में न तो मैं सांसद था, न ही विधायक था और न ही मंत्री था. मेरा बेटा विधायक ज़रूर था. व्यक्तिगत रूप से मैं बहुत से लोगों को पत्र लिखता हूँ. पत्र लिखना कोई गुनाह तो नहीं है. किसी हिंदुस्तानी बिज़नेसमैन की मदद हो जाए तो क्या ग़लत है. सरकारी प्रतिनिधिमंडल इसीलिए जाता है कि सरकार के लिए कॉन्ट्रेक्ट ले आए तो क्या ये ग़लत काम है?

जस्टिस पाठक की रिपोर्ट में आपको और कांग्रेस पार्टी को पाक-साफ़ कहा गया है तो क्या ये आपके लिए थोड़ी राहत की बात है?

देखिए, मैंने ये रिपोर्ट नहीं पढ़ी है. मुझे पता नहीं है. मैं तो इतना हैरान हूँ कि रिपोर्ट संसद पटल पर रखने के पहले ही लीक हो गई. ये भी तो कोई पूछे. ज़िम्मेदार सरकार है और इतना बड़ा सवाल है. प्रधानमंत्री कार्यालय कहता है कि मैंने तो लीक नहीं की, वित्त मंत्रालय को भेज दी. पाठक कहते हैं कि मैंने तो लीक नहीं की तो आख़िर किसने लीक की.

रिपोर्ट के लीक होने के मामले में आपके शक की सुई किस पर घूमती है. इस मामले में आप क्या क़दम उठाने वाले हैं?

ये सवाल सोमवार को संसद में आएगा फिर बातचीत होगी.

आप कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता और विदेश मंत्री रहे हैं लेकिन आपको नहीं लगता कि जब से यह मुद्दा उठा है, पार्टी ने आपसे किनारा कर लिया है और आपके साथ सौतेला व्यवहार किया गया है?

मैं इस बारे में कोई टिप्पणी नहीं करूँगा. लेकिन मुझे बहुत आश्चर्य हुआ है.

कांग्रेस के इस आश्चर्यपूर्ण रवैए के बारे में क्या आप पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से बातचीत करेंगे?

देखा जाएगा. पहले ये देखना है कि सोमवार को क्या होता है. मुझे इस बात की चिंता नहीं है क्योंकि मैंने कहा था कि मेरे ऊपर कोई दाग़ नहीं लगेगा और नहीं लगा है और न ही मेरे लड़के पर. हाँ, अगर जस्टिस पाठक कहते कि इनको पैसा मिला है तो बहुत सीरियस मामला था.

आपने संसद में कहा था कि आपके पास कुछ महत्वपूर्ण जानकारियाँ हैं, बताना चाहेंगे?

मैं कुछ नहीं बताऊँगा. मैं पूरी रिपोर्ट तो पढ़ लूं. मैं रिपोर्ट में तो पढ़ लूँ कि मथरानी ने इंडिया टुडे में एक इंटरव्यू में कहा था कि वाउचर कांग्रेस और नटवर सिंह को मिले हैं लेकिन उनको बरी कर दिया गया है. संसद में ये सब बातें उठेंगी. लेकिन मैं यह कहना चाहता हूँ कि जस्टिस पाठक ने मुझे और मेरे बेटे के बारे में कहा है कि इन्होंने कोई आर्थिक फ़ायदा नहीं उठाया.

यह मुद्दा अहमियत का है बाक़ी पत्र लिखना, न लिखना- ये तो बहुत मामूली बात है. एनडीए सरकार के पैट्रोलियम मंत्री राम नाइक ने कहा था कि प्रतिनिधिमंडल लेकर वे गए थे. कोई जवान आदमी को कहे कि यहाँ बिज़नेस करिए तो फिर उसकी क्या ग़लती है. ये बताए किस संसद सदस्य ने सिफ़ारिश वाले पत्र नहीं लिखे हैं.

कई राजनीतिक पार्टियों ने आपसे संपर्क किया है. क्या आप किसी और पार्टी में शामिल होने का मन बना रहे हैं?

अभी कुछ नहीं. आप सोमवार तक इंतज़ार करिए.

 
 
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