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गुरुवार, 23 मार्च, 2006 को 03:38 GMT तक के समाचार
 
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संसद का सत्र बीच में ही ख़त्म
 
सोनिया गाँधी
वैसे सरकार कह रही है कि राष्ट्रीय सलाहकार परिषद के चेयरपर्सन का पद लाभ का पद नहीं है
'लाभ के पद' का मामला अब राजनीतिक तूल पकड़ता जा रहा है और इस पर राजनीति तेज़ हो गई है.

बुधवार को यूपीए सरकार ने बजट सत्र में सत्रावकाश करने की बजाय सत्रावसना करने का फ़ैसला किया तो इसे भी इसी से जोड़ कर देखा गया.

हालांकि सरकार ने सफ़ाई में कहा है कि बजट सत्र के शेष हिस्से में कोई सरकारी कामकाज शेष न होने की वजह से ऐसा किया जा रहा है.

लेकिन विपक्ष का आरोप है कि सोनिया गाँधी सहित कई प्रमुख सांसदों की सदस्यता बचाने के लिए सरकार ऐसा कर रही है.

ख़बरें हैं कि सरकार इस बीच एक अध्यादेश लाने की तैयारी कर रही है जिससे कि 'लाभ के पद' को फिर से परिभाषित किया जा सके और कुछ पदों को सरकार लाभ के पद की सूची से कुछ पदों को बाहर किया जा सके.

उधर राष्ट्रीय जनताँत्रिक गठबंधन ने संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार को घेरने की रणनीति के तहत राष्ट्रपति अब्दुल कलाम से मुलाक़ात की है.

उन्होंने सरकार के संसद को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने के फ़ैसले पर विरोध जताया और राष्ट्रपति से अनुरोध किया कि वो संविधान के संरक्षक हैं इसलिए किसी ऐसे अध्यादेश पर हस्ताक्षर न करें.

एनडीए प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने किया और इसमें भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी, जसवंत सिंह और एनडीए संयोजक जॉर्ज फर्नांडिस शामिल थे.

क्यों

बुधवार को लोकसभा की कार्यवाही के बीच जब लाभ के पद के मामले में हंगामा हो रहा था तभी नेता प्रतिपक्ष लालकृष्ण आडवाणी ने आशंका जताई थी कि सरकार सत्रावसान करने जा रही है.

बाद में यही हुआ.

दरअसल जया बच्चन को लाभ के पद पर रहते हुए राज्यसभा की सदस्य होने की शिकायत के बाद राष्ट्रपति अब्दुल कलाम ने उनको सदस्य होने के अयोग्य ठहरा दिया था.

 संविधान की धारा 123 के अनुसार अध्यादेश लाने के लिए ज़रूरी है कि संसद का सत्र न चल रहा हो
 

इसके बाद तेलगु देशम पार्टी ने यूपीए की चेयरपर्सन सोनिया गाँधी के ख़िलाफ़ एक शिकायत राष्ट्रपति को भेजी. इसमें कहा गया है कि चूंकि सोनिया गाँधी राष्ट्रीय सलाहकार परिषद की प्रमुख हैं इसलिए उनकी लोकसभा की सदस्यता भी रद्द की जानी चाहिए.

इसी तरह की एक शिकायत लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी के ख़िलाफ़ ममता बैनर्जी ने की है.

ख़बरें हैं कि कोई 44 सांसदों के ख़िलाफ़ इस तरह की शिकायतें राष्ट्रपति के पास पहुँच चुकी हैं.

यूपीए सरकार चाहती है कि इस तकनीकी दिक्क़त को दूर करने के लिए एक क़ानून बनाकर कुछ पदों को लाभ के पद से अलग कर दिया जाए.

इसके लिए सरकार एक अध्यादेश लाना चाहती है.

संविधान की धारा 123 के अनुसार अध्यादेश लाने के लिए ज़रूरी है कि संसद का सत्र न चल रहा हो.

यदि परंपरा के अनुसार बजट सत्र का सत्रावकाश होता तो सरकार अध्यादेश नहीं ला सकती थी क्योंकि इसे तकनीकी रुप से माना जाता है कि संसद का सत्र जारी है.

इसलिए सरकार ने कामकाज न होने का तर्क देकर सत्रावसान कर दिया है.

अब यूपीए सरकार अध्यादेश लाने के लिए स्वतंत्र हो गई है जिसे छह महीने के भीतर कभी भी संसद में रखकर पास करवाना होगा.

हालांकि अध्यादेश के मामले में सरकार ने अभी चुप्पी साधी हुई है.

संसद में हंगामा

बुधवार को 'लाभ के पद' को लेकर यूपीए सरकार के अध्यादेश लाने की ख़बर पर संसद के दोनों सदनों में विपक्ष ने जमकर हंगामा किया जिसके कारण कार्यवाही नहीं चल पायी.

जया बच्चन
लाभ के पद के कारण जया बच्चन की सदस्यता समाप्त कर दी गई थी

विपक्ष के विरोध के बावजूद संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही अनिश्चतकाल के लिए स्थगित कर दी गई.

दोनों ही सदनों में विपक्ष ने यूपीए की अध्यक्ष सोनिया गाँधी के इस्तीफ़े की मांग करते हुए नारे लगाए और जया बच्चन को वापस लाने की भी मांग की.

कुछ सदस्यों ने लोक सभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी के 'लाभ के पद' पर होने की बात उठाई जिससे नाराज़ होकर उन्होंने दिनभर सदन की कार्यवाही में हिस्सा नहीं लिया.

दरअसल दिल्ली से प्रकाशित होने वाले एक अख़बार ने ख़बर छापी थी कि सरकार एक अध्यादेश लाने जा रही है ताकि सोनिया गाँधी, कर्ण सिंह और सोमनाथ चटर्जी जैसे प्रभावशाली नेताओं को लाभ के पद की व्यवस्था से बचाया जा सके.

ये लोग सांसद होने के साथ किसी और संस्था में भी पदस्थ हैं.

उल्लेखनीय है कि सांसद रहते हुए उत्तर प्रदेश सरकार की एक संस्था में पदस्थ होने के कारण जया बच्चन को राज्यसभा की सदस्यता के लिए अयोग्य घोषित कर दिया गया था.

चुनाव आयोग का कहना था कि जया बच्चन राज्यसभा सांसद होते हुए भी उत्तर प्रदेश फ़िल्म विकास निगम की चेयरमैन रही हैं जो कि लाभ का पद है इसलिए उनकी सदस्यता समाप्त कर दी जानी चाहिए.

चुनाव आयोग की सिफ़ारिश मानते हुए राष्ट्रपति अब्दुल कलाम ने जया बच्चन को राज्यसभा के लिए अयोग्य घोषित कर दिया था.

 
 
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