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अब वाजपेयी ने की जिन्ना पर टिप्पणी | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
पाकिस्तान के संस्थापक मुहम्मद अली जिन्ना को लेकर भारतीय जनता पार्टी एक बार फिर चर्चा में है. पार्टी अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी के बाद पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भी जिन्ना पर टिप्पणी की और वह भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख केएस सुदर्शन की मौजूदगी में. आरएसएस नेता एचवी शेषाद्री के श्रद्धांजलि समारोह में उन्होंने शेषाद्री की एक किताब 'और देश बँट गया....' का उल्लेख करते हुए कहा कि जिन्ना पहले धर्मनिरपेक्ष थे. शेषाद्री का 14 अगस्त को निधन हो गया था. वाजपेयी ने किताब का उल्लेख करते हुए कहा कि बाद में जिन्ना के जीवन में बदलाव आया. वाजपेयी ने कहा, "हम जिन्ना के जीवन को आधा करके नहीं देख सकते. उनका बाद का जीवन कट्टरता का जीवन, मुस्लिम लीग के निर्माता का जीवन, देश के विभाजन के लिए उत्तरदायित्व का जीवन है." विवाद वाजपेयी ने कहा कि वे चाहते हैं कि इस किताब को पढ़ा जाय. हालाँकि वाजपेयी ने जिन्ना को लेकर पिछले दिनों पार्टी में हुए विवाद पर कुछ नहीं कहा. कुछ महीने पहले पार्टी अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी ने अपनी पाकिस्तान यात्रा के दौरान मोहम्मद अली जिन्ना को धर्मनिरपेक्ष कहा था जिसके बाद काफ़ी विवाद खड़ा हो गया था. पार्टी के भीतर ही विवाद इतना बढ़ा कि लालकृष्ण आडवाणी ने अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा तक दे दिया लेकिन बाद में उन्होंने अपना इस्तीफ़ा वापस ले लिया. आरएसएस और विश्व हिंदू परिषद जैसे संगठनों ने भी जिन्ना को धर्मनिरपेक्ष कहने पर आडवाणी की आलोचना की थी. वाजपेयी ने कहा कि शेषाद्री की किताब विभाजन की दर्दनाक कहानी कहती है. किताब का उल्लेख करते हुए वाजपेयी ने कहा कि जो लोग पहले राष्ट्रवादी थे वो बाद में सांप्रदायिक घृणा फैलाने वाले बन गए. वाजपेयी ने संघ के प्रमुख सुदर्शन की मौजूदगी में संघ की सराहना की और कहा कि संघ इसलिए मज़बूत है क्योंकि इसमें विचारधारा को प्रमुखता दी जाती है न कि व्यक्ति विशेष को. |
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