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मुशर्रफ मिले जॉर्ज बुश से | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
पाकिस्तान के राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ़ ने बुधवार को अमरीका के राष्ट्रपति जॉर्ज बुश से मुलाक़ात की है. इससे बाद वे संयुक्त राष्ट्र महासभा के सालाना सत्र को संबोधित करनेवाले हैं. बीबीसी को दिए गए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा है कि उनकी सरकार आतंकवाद के ख़िलाफ़ जारी लड़ाई में एक अहम भूमिका निभा रही है. उन्होंने कहा कि ख़ासतौर से पाकिस्तान में अल क़ायदा के नेटवर्क को ख़त्म करने की दिशा में काफ़ी कुछ किया जा रहा है. मुशर्रफ़ ने भारत के साथ संबंधों का ज़िक्र करते हुए उम्मीद जताई कि भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ वे एक अच्छा संबंध बना सकेंगे. मनमोहन सिंह के साथ उनकी मुलाक़ात शुक्रवार को होनी है. मनमोहन सिंह ने मंगलवार को अमरीकी राष्ट्रपति बुश और संयुक्त राष्ट्र महासचिव कोफ़ी अन्नान के अलावा अफ़ग़ान राष्ट्रपति हामिद करज़ई से भी मुलाक़ात की थी. बुश के साथ मनमोहन सिंह की मुलाक़ात के बाद दोनों देशों की ओर से एक साझा बयान जारी कर ये दोहराया गया कि भारत और अमरीका आतंकवाद के ख़िलाफ़ मिल-जुलकर लड़ाई करेंगे. मुशर्रफ़ का बदला रूख़
बीबीसी संवाददाताओं का कहना है कि परवेज़ मुशर्रफ़ इस बार अपनी अमरीका यात्रा के दौरान इस्लाम के बारे में प्रचलित धारणा को दुरूस्त करने में व्यस्त हैं. वे ये जताना चाह रहे हैं कि इस्लाम कट्टर नहीं बनाता और ना ही दूसरे धर्मों और दूसरे देशों से दूर रहने को कहता है. इस्लामाबाद से बीबीसी संवाददाता पॉल एंडरसन के अनुसार संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने भाषण में मुशर्रफ़ इस विषय पर ज़ोर दे सकते हैं. संवाददाता का कहना है कि मुशर्रफ़ का ये रूख़ उन पिछले वर्षों से बिल्कुल अलग है जब पाकिस्तानी राष्ट्राध्यक्ष संयुक्त राष्ट्र महासभा के मंच का इस्तेमाल केवल कश्मीर को लेकर भारत की आलोचना करने के लिए ही किया करते थे. उन्होंने न्यूयॉर्क टाइम्स को एक इंटरव्यू में कहा,"ये एक ऐसी संस्कृति, ऐसा समाज है जो चरमपंथ और कट्टरपंथ की ओर जा रहा था और मैं इसे बदलने की कोशिश कर रहा हूँ. मैं पाकिस्तान की उस अच्छे-ख़ासे तबके को आवाज़ देने की कोशिश कर रहा हूँ जो उदार हैं". संवाददाताओं का कहना है कि मुशर्रफ़ अपने भाषण में पश्चिमी देशों से ये भी आग्रह करना चाहेंगे कि वे राजनीतिक विवादों, ग़रीबी और अशिक्षा जैसे मसलों का हल निकालने में अपनी भूमिका अदा करें क्योंकि उनकी निगाह में आतंकवाद की मूल जड़ यही है. |
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