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शांति वार्ता में तेज़ी की उम्मीद: मुशर्रफ़ | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक में हिस्सा लेने गए पाकिस्तान के राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ़ ने उम्मीद जताई है कि उनकी इस बैठक से कश्मीर के मुद्दे पर शांति वार्ता में तेज़ी आएगी. इसी बैठक के दौरान उनकी मुलाक़ात भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और अमरीका के राष्ट्रपति जॉर्ज बुश के साथ होगी. राष्ट्रपति मुशर्रफ़ यही कहते हुए पाकिस्तान से निकले कि वह कश्मीर सहित भारत के साथ सभी विवादित मसलों पर प्रगति के संकेतों की उम्मीद के साथ जा रहे हैं. इस बीच भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी इसी उम्मीद से निकले हैं कि ये मुलाक़ात दोनों देशों के बीच चल रही वार्ता में एक और क़दम होगा. अब लोगों की आँखें इस बात पर लगी होंगी कि क्या प्रधानमंत्री सिंह और राष्ट्रपति मुशर्रफ़ के बीच भी वैसे ही संबंध बन पाएँगे जैसे मनमोहन सिंह के पूर्ववर्ती अटल बिहारी वाजपेयी के मुशर्रफ़ से थे. पिछले कुछ महीनों में दोनों देशों के बीच राजनयिक रिश्तों से लेकर यातायात संबंध सुधारने पर भी बातचीत हुई है. राष्ट्रपति मुशर्रफ़ की मुलाक़ात अमरीकी राष्ट्रपति से भी होगी. माना जा रहा है इसमें मुख्य रूप से ध्यान होगा इस्लामी चरमपंथ पर रोक लगाने के लिए पिछले कुछ महीनों में हुए प्रयासों पर. पिछले तीन महीनों में पाकिस्तान ने अल-क़ायदा के 60 से भी अधिक संदिग्ध चरमपंथियों को गिरफ़्तार किया है और इनमें से कुछ तो काफ़ी वरिष्ठ भी बताए जा रहे हैं. वह इस दौरान पाकिस्तान में और निवेश की संभावनाओं पर भी ज़ोर देंगे. वैसे ऐसा भी नहीं है कि उनके लिए सब कुछ आसान होगा क्योंकि उनके सामने ये सवाल भी उठाया जा सकता है कि पाकिस्तान में पूरी तरह से नागरिक शासन कब लौट रहा है. इसके अलावा हाल ही में पाकिस्तान के सूचना मंत्री कह चुके हैं कि मुशर्रफ़ अभी सेनाध्यक्ष के पद से नहीं हट रहे हैं. वैसे बाद में उन्होंने बयान वापस ले लिया था. |
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