सुन्नी चरमपंथियों को इराक़ी सेना की कड़ी टक्कर

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इराक़ में सरकारी सेना शिया और क़ुर्द लड़ाकों की मदद से सुन्नी चरमपंथी संगठन आईएसआईएस यानी इस्लामिक स्टेट इन इराक़ एंड लेवेंट की राजधानी बग़दाद की ओर बढ़त को रोक रही है.
सेना ने आईएसआईएस से कई शहरों को मुक्त करा लिया है लेकिन महत्वपूर्ण शहर मोसूल और तिकरित पर अभी भी आईएसआईएस का ही क़ब्ज़ा है.
रिपोर्टों के मुताबिक़ मोसूल के पश्चिम में स्थित ताल अफ़ार शहर में भारी झड़पे हुई हैं और कई इलाक़ों पर बम भी बरसाए गए हैं.
इस बीच हिंसा में हो रही भारी बढ़ोत्तरी के मद्देनज़र अमरीका ने अपना एक विमानवाहक जंगी बेड़ा खाड़ी में भेज दिया है.
सुन्नी और शिया तुर्कों की आबादी वाले ताल अफ़ार शहर के नागरिकों ने बीबीसी को बताया है कि शहर में घुसने की कोशिश कर रहे सुन्नी चरमपंथियों और सैनिकों के बीच भारी झड़पें हुई हैं.

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सरकारी अधिकारियों के हवाले से समाचार एजेंसी एपी ने लिखा है कि सुन्नी चरमपंथी सेना के छीने गए रॉकेटों का इस्तेमाल कर रहे हैं और सेना के एक स्थानीय ठिकाने को भारी नुक़सान हुआ है.
उत्तरी इराक़ में मौजूद बीबीसी संवादादाता जिम मुइर के मुताबिक़ सरकारी सैन्यबल समारा शहर में अपनी तादाद बढ़ा रहे हैं.
संवाददाता के मुताबिक़ वे सद्दाम हुसैन के पैतृक शहर तिकरित पर हमला करने की तैयारी करते प्रतीत हो रहे हैं.
2003 में इराक़ पर हुए अमरीकी हमले में सद्दाम हुसैन को सत्ता से बेदख़ल कर दिया गया था. बाद में इराक़ी सरकार ने उन्हें फ़ाँसी पर चढ़ा दिया था.
सुन्नी चरमपंथियों के बढ़ते प्रभाव के मद्देनज़र इराक़ के सबसे बड़े शिया धर्मगुरू अयातोल्लाह अली अल-सिस्तानी ने शियाओं से जेहादियों के ख़िलाफ़ हथियार उठाने के लिए कहा है.
रिपोर्टों के मुताबिक़ हज़ारों शिया लड़ाके सेना में शामिल हो चुके हैं.
इस बीच अमरीकी विमानवाहक पोत यूएसएस जॉर्ज एचडब्ल्यू बुश, जिस पर दर्जनों लड़ाकू विमान तैनात है, खाड़ी की ओर बढ़ रहा है. इसके साथ दो जंगी जहाज़ भी हैं.
लेकिन अमरीका का कहना है कि कोई भी अमरीकी सैनिक इराक़ की ज़मीन पर क़दम नहीं रखेगा. अमरीकी विदेश मंत्री जॉन कैरी इराक़ी नेताओं से कई बार एकजुट होने का आह्वान कर चुके हैं.

संवाददाताओं का कहना है कि अमरीका इराक़ी प्रधानमंत्री नूर अल-मलिकी और शिया नेताओं के सुन्नी और क़ुर्द नेताओं को नज़रअंदाज़ करने के कारण हताश है.
ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने शनिवार को कहा था कि उन्होंने बग़दाद को सीधी मदद भेजने की पेशकश की है. हालाँकि उन्होंने ईरानी सैनिकों के इराक़ भेजे जाने से इंकार किया है.
हालांकि बीबीसी फ़ारसी के स्थानीय विशेषज्ञ कसरा नाजी को बताया गया है कि ईरान के 130 से अधिक रिवोल्यूशनरी गॉर्ड प्रशिक्षण और सलाह देने के लिए इराक़ पहुँच चुके हैं.
ईरान ने यह भी कहा है कि वह ईरान और अमरीका के बीच कड़वे संबंधों के बावजूद सुन्नी जेहादियों से लड़ने के लिए अमरीका के साथ काम करने के लिए तैयार है.
इस बीच ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर ने कहा है कि 2003 में इराक़ पर अमरीका और ब्रिटेन के हमले को मौजूदा संकट के लिए ज़िम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है.
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