इराक़ की मदद करने को ईरान तैयार

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ईरानी राष्ट्रपति हसन रूहानी ने कहा है कि सुन्नी इस्लामिक चरमपंथियों के ख़िलाफ़ लड़ाई में ईरान अपने पड़ोसी मुल्क इराक़ की सरकार की मदद करने को तैयार है.
हालांकि उन्होंने इस बात का खंडन किया कि ईरान ने इराक़ी सरकार की मदद के लिए सेना की कोई टुकड़ी भेजी है.
इस्लामिक स्टेट इन इराक़ एंड लेवैंट (आईएसआईएस) के विद्रोहियों ने मोसूल और तिकरित शहरों पर क़ब्ज़ा कर लिया है और वे बग़दाद के नज़दीक पहुंचते जा रहे हैं.
वे इराक़ के शिया बहुल आबादी को 'काफ़िर' समझते हैं.
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इराक़ में 2003 में अमरीकी सेना के आने और तत्कालीन राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन के तख़्तापलट के बाद सत्ता में आए शिया नेतृत्व के साथ ईरान के क़रीबी संबंध हैं. सद्दाम हुसैन का मुख्य आधार देश के सुन्नी अल्पसंख्यकों के बीच था.
आईएसआईएस एक कट्टर इस्लामी चरमपंथी समूह है जो अमरीकी नेतृत्व में हुए हमले के दौरान मज़बूत हुआ. पड़ोसी देश सीरिया में बशर अल-असद की सरकार के ख़िलाफ़ लड़ने वाले तमाम जिहादी लड़ाकों में यह संगठन भी शामिल है.
इराक़ में रिवोल्यूशनरी गार्ड?

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ईरान के राष्ट्रपति चुनाव में अपनी जीत की पहली वर्षगांठ के अवसर पर राष्ट्रपति रुहानी ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ''यदि इराक़ की सरकार मदद के लिए हमसे कहती है तो हम वो हर मदद कर सकते हैं जो चरमपंथ से मुक़ाबला करने के लिए इराक़ हमसे चाहेगा.''
उन्होंने कहा, ''हालांकि ईरानी सुरक्षा बलों को तैनात करने पर कोई बातचीत नहीं हो रही है. मदद करना और अभियान में शामिल होना अलग-अलग बाते हैं.''
उन्होंने कहा कि अभी तक इराक़ की सरकार ने ईरान से मदद के लिए आग्रह नहीं किया है.
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रुहानी ने आईएसआईएस से लड़ने में ईरान के प्रतिद्वंद्वी अमरीका का साथ देने की संभावना से पूरी तरह से इनकार नहीं किया है.
उन्होंने कहा, ''यदि अमरीका इराक़ या और कहीं चरमपंथी संगठनों के ख़िलाफ़ कार्रवाई शुरू करता है तो हम इस विषय पर सोचेंगे.''
हालांकि वॉल स्ट्रीट जर्नल और सीएनन में अज्ञात सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि ईरान ने इराक़ की मदद के लिए अपने रिवोल्यूशनरी गॉर्ड (विशेष सैन्य बल) की कई यूनिटों को पहले भी भेज चुका है लेकिन ईरानी अधिकारियों ने इसका खंडन किया है.
अमरीका को ख़तरा

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अमरीकी राष्ट्रपित बराक ओबामा ने कहा है कि इराक़ में क़दम उठाने के बारे में निर्णय लेने में वो पर्याप्त समय लेंगे लेकिन वहां अमरीकी सैनिक तैनात नहीं किए जाएंगे.
उन्होंने कहा कि इराक़ के नेताओं द्वारा आपसी मतभेदों को किनारे करने की गंभीर और संजीदा कोशिशें किए जाने के बाद ही अमरीका किसी तरह का हस्तक्षेप करेगा.
ओबामा ने कहा, ''अमरीका अपने हिस्से का काम करेगा लेकिन हम समझते हैं कि जैसे एक सम्प्रभु देश अपनी समस्याओं को हल करता है उसी तरह यह इराक़ी लोगों पर निर्भर करता है.''
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उन्होंने कहा कि आईएसआईएस न केवल इराक़ के लिए ख़तरा बन गया है बल्कि यह अमरीकी हितों के लिए भी ख़तरा बन सकता है.
इराक़ के सबसे वरिष्ठ शिया मौलवी ने अपने समुदाय के लोगों से हथियार उठाने की अपील की है.
सबसे वरिष्ठ धार्मिक नेता अयातुल्लाह अली अल-सिस्तानी ने शुक्रवार को कर्बला में जुमे की नेमाज़ के दौरान कहा, ''अपने देश और पवित्र स्थानों को बचाने के लिए जो नागरिक हथियार उठा सकते हैं और चरमपंथियों से मुक़ाबला कर सकते हैं उन्हें इस पवित्र काम में सेना का साथ देना चाहिए.''
शहर में मौजूद बीबीसी के रिचर्ड गाल्पिन ने बताया कि ख़बरें है कि हज़ारों लोग पहले ही शिया मिलिशिया में शामिल हो चुके हैं. यह बग़दाद की रक्षा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं.
गत सोमवार को मोसूल और फिर सद्दाम हुसैन के गृह ज़िले तिकरित पर क़ब्ज़ा करने के बाद सुन्नी चरमपंथी दक्षिण की ओर स्थित दियाला प्रांत की ओर बढ़ गए हैं.
बग़दाद के पास

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शुक्रवार को बग़दाद की सीमा से महज़ 80 किमी दूर मक्दादिया के पास उनकी शिया लड़ाकों से भिड़ंत हुई.
इराक़ी सेना और शिया लड़ाकों की टुकड़ियां समारा में पहुंच चुकी हैं. यहां आईएसआईएस के वफ़ादार लड़ाके शहर में उत्तर की ओर से घुसने की कोशिश कर रहे हैं.
जेनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार मुखिया नवि पिल्लई ने कहा कि हाल ही में हुई हत्याओं की संख्या बढ़कर सैकड़ों हो सकती है.
शरणार्थी मामले की अंतरराष्ट्रीय संस्था ने अनुमान लगाया है कि मोसूल से पलायन कर चुके पांच लाख लोगों के अलावा तिकरित और समारा से क़रीब 40,000 लोग पलायन कर चुके हैं.
पलायन कर चुके लोगों ने स्वायत्त कुर्दिश क्षेत्र में पनाह ली है.
<link type="page"><caption> संसद से इमरजेंसी लगाने की अपील</caption><url href="http://www.bbc.co.uk/hindi/international/2014/06/140610_iraq_mosul_militants_vt.shtml" platform="highweb"/></link>
कुर्दिश नेता वर्तमान लड़ाई का फ़ायदा उठाते हुए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण सादिया और जलावला ज़िलों पर नियंत्रण स्थापित कर लिया है.
समीक्षकों का कहना है कि इस हिंसा से इराक़ में फिर से सुन्नी, शिया और कुर्दिश क्षेत्रों में विभाजन हो रहा है.
आईएसआईएस के पास तीन हज़ार से पांच हज़ार तक लड़ाके हैं और इनका नेता अबू बकर अल-बग़दादी हैं.
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