कोविड पर ताज़ा चिंताएं, चीन जैसे हालात से बचने के लिए क्या करे भारत?

इमेज स्रोत, Hindustan Times vis Getty Images

- डॉक्टर गगनदीप कंग वेल्लोर के क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज में वैज्ञानिक हैं. वे भारत की नामचीन वायरोलॉजिस्ट और महामारी विशेषज्ञ हैं.
- चीन में ताज़ा लहर के बाद कई लोगों ने भारत की तैयारी के बारे में और नई लहर के भारत पर असर के बारे सवाल पूछने शुरू कर दिए.
- डॉक्टर कंग ने ट्विटर पर अंग्रेज़ी में ऐसी ही कई सवालों के जवाब दिए हैं. नीचे उनके ट्वीट्स का अनुवाद है

चीन के बारे में कई प्रश्न पूछे गए हैं. विशेषकर ये कि चीन में हो रही है घटनाओं का भारत पर क्या असर पड़ा है. इसके अलावा कोरोना महमारी की तीसरी लहर, ट्रेवल बैन और वैक्सीन बूस्टरों पर भी सवाल पूछे जा रहा हैं. आइए जानते हैं ताज़ा स्थिति का सारांश -
शुरूआत चीन से करते हैं. चीन इस समय बड़ी तेज़ी से कोविड की पाबंदियों को हटा रहा है. लेकिन वहां की आबादी में नेचुरल इंफ़ेक्शन से एक्सपोज़र बहुत कम है. इस वक्त जो वेरिएंट फैल रहे हैं वो ऑमिक्रोन के वेरिएंट हैं. जिस आबादी में टीकाकरण पूरा हो गया है वहां ये वेरिएंट्स इवॉल्व हो गए हैं. इस वजह से ये वेरिएंट अधिक संक्रामक हो गए हैं.
आसान शब्दों में इसका अर्थ है कि चीन में बहुत से लोगों को संक्रमण होगा. आपको अप्रैल-मई 2021 और जनवरी 2022 याद होगा. इस दौरान भारत में सैकड़ों लोगों को कोरोना संक्रमण हुआ था. अगर जल्द ही चीन ने कुछ नहीं किया तो वहां भी यही स्थिति हो सकती है. जितने अधिक संक्रमण उतने अधिक बीमार लोग.
चीन की अधिकतर आबादी को वैक्सीन के दो डोज़ मिल चुके हैं. अधिकतर संक्रमित लोग घर के भीतर ही ठीक जाएंगे लेकिन चूंकि चीन की आबादी बहुत है इसलिए जनसंख्या का बहुत छोटे हिस्सा भी अगर गंभीर रूप से बीमार पड़ा तो मरने वालों की संख्या बहुत होगी.
चीन के वैक्सीन अभियान के प्रभावी होने पर भी काफ़ी चर्चा हुई है.
चीन में अधिकतर लोगों को वैक्सीन के दो डोज़ लगे हैं. लेकिन बूस्टर टीकों का लेवल काफ़ी कम है. चीन में साइनोफ़ॉर्म कंपनी की वैक्सीन इस्तेमाल की गई है.
चीन की इन-एक्टिवेट्ड वैक्सीन गंभीर बीमारी या मौत से सुरक्षा देती है लेकिन उतनी नहीं जितनी सुरक्षा वेक्टर्ड या एमआरएनए तकनीक से बनी वैक्सीन देती है. इस वैक्सीन के साथ बूस्टर मददगार साबित हो सकता है. उम्मीद है कि चीन से बूस्टर के बाद लोगों की सेहत पर पड़ने वाले असर डेटा मिलेगा लेकिन इसकी उम्मीद कम ही है.
इस लेख में X से मिली सामग्री शामिल है. कुछ भी लोड होने से पहले हम आपकी इजाज़त मांगते हैं क्योंकि उनमें कुकीज़ और दूसरी तकनीकों का इस्तेमाल किया गया हो सकता है. आप स्वीकार करने से पहले X cookie policy और को पढ़ना चाहेंगे. इस सामग्री को देखने के लिए 'अनुमति देंऔर जारी रखें' को चुनें.
पोस्ट X समाप्त
वैक्सीन गंभीर रूप से बीमार लोगों के एक हिस्से को तो बचा लेगी लेकिन अस्पताल में भर्ती होने वालों की संख्या या मरने वालों की तादाद बीते कुछ महीनों की तुलना में अधिक होगी.
इसके दो कारण होंगे. जब बहुत सारे लोग बीमार होते हैं तो उनमें हेल्थकेयर वर्कर भी शामिल होते हैं. स्टाफ़ की कमी से जूझते अस्पतालों में मरीज़ों की भीड़ लग जाती है. लेकिन उन्हें अच्छी सेवाएं नहीं मिल पाती हैं. साथ ही सर्दियों में कोविड के अलावा दूसरे वायरस भी सक्रिय होते हैं, जिनकी वजह से अस्पताल में भर्तियां अधिक रहती हैं.
चीन में वैक्सीनेशन में तेज़ी और पैक्सलोविड को भी इसमें शामिल किया जाना तो ठीक है पर ये इस तरह वक्त के साथ दौड़ है. क्योंकि उस देश आने वाले दिनों में लोगों की यात्राएं बढ़ने वाली हैं.
तो जो कुछ दुनिया ने पीछे कुछ सालों में सहा है वो चीन को आने वाले कुछ हफ़्तों के भीतर सहना है.
बाक़ी दुनिया पर क्या असर?

चीन में जो कुछ हो रहा है उसका बाक़ी दुनिया पर क्या प्रभाव पड़ेगा. क्या और नए वेरिएंट सामने आएंगे? क्या घूमने-फिरने पर पाबंदी लगेगी? हमें करना क्या चाहिए?
जहां तक हमें जानकारी है फ़िलहाल कोई नया वेरिएंट नहीं आया है. चीन के पास नए वेरिएंट को खोजने की योग्यता है. और हमें उम्मीद है कि वो इस बारे में सबके साथ डेटा शेयर करेगा. जो वायरस इस वक्त चीन में फैला है वो कई महीनों से दुनिया भर में मौजूद है.
भारत में भी XBB और BF.7 नाम के वेरिएंट पहले से ही हैं. बीएफ़.7 को नया राक्षस बताया जा रहा है. लेकिन ये दोनों ऑमिक्रोन के सभी सबवेरिएंट की ही तरह लोगों को संक्रमित करने में सक्षम हैं. लेकिन इनके संक्रमण से डेल्टा वेरिएंट जैसी स्थिति नहीं हो रही है.
ऑमिक्रोन के संक्रमण से लोगों को गंभीर बीमारी तो होती है लेकिन इसकी गंभीरता डेल्टा जितनी नहीं है. लेकिन कम प्रभाव डालने वाला हो ऐसी भी बात नहीं है. इतना ज़रूर है कि ये वेरिएंट लोअर रेस्पिरेटरी सिस्टम की तुलना में अपर रेस्पिरेटरी सिस्टम पर अधिक हमला करता है.
चौकस रहने की ज़रूरत
ज़रूरत क्लिनिकल निगरानी की है ताकि ये सुनिश्चित किया जा सके कि वायरस के व्यवहार में किसी भी परिवर्तन को डिटेक्ट किया जा सके. ये निगरानी कैसे रखी जा सकती है?
सभी अस्पतालों, डिटेक्टशन और इंवेस्टीगेशन क्लस्टरों पर निगरानी रखी जानी चाहिए. समय-समय पर सीरो सर्वे और पर्यावरणीय निगरानी भी उपयोगी हो सकती है.
रैन्डम लोगों की टेस्टिंग बढ़ाने से अधिक लाभ नहीं होता. बाहर से आने वाले यात्रियों की टेस्टिंग, जोखिम के आधार पर की जानी चाहिए. जब आप यात्रियों के सिर्फ़ एक निश्चित प्रतिशत की टेस्टिंग करेंगे तो आप यह मान रहे हैं कि यहां पहुंचने वाले हर संक्रमित व्यक्ति को आप नहीं पकड़ पाएंगे.
क्या भारत के लिए बड़ा ख़तरा है?

इमेज स्रोत, REUTERS/NAVESH CHITRAKA
हमारे यहां लोगों को वैक्सीन लग चुकी है और क़रीब 90 फ़ीसदी संक्रमण हो चुका है. इनमें अधिकतर लोग ऑमिक्रोन के दौरान संक्रमित हुए थे. इससे हमें हाइब्रिड इम्यूनिटी मिलती है. ये कब तक मिलती रहेगी?
फ़िलहाल भारत की स्थिति ठीक है. हमारे यहां केस बहुत कम हैं. XBB और BF.7 यहां पहले से ही मौजूद रहे हैं और उनके कारण संक्रमण में कोई ख़ास बढ़ोतरी नहीं हुई है.
लेकिन क्या हम किसी नए वेरिएंट को डिटेक्ट कर पाएंगे? भारत में जीनोम-सीक्वेंसिंग की पर्याप्त क्षमता है. इसके ज़रिए ही नए वेरिएंट का पता चलता है. अस्पतालों में अगर मरीज़ों की तादाद बढ़ी तो हमें तुरंत पता चल जाएगा.
बात वैक्सीन की

इमेज स्रोत, REUTERS/Francis Mascarenhas
अब बात करते हैं कि किसे बूस्टर का टीका लगाया जाना चाहिए? बूस्टर डोज़ से कुछ समय तक तो निश्चित तौर पर फ़ायदा होता है. भारत में उपलब्ध सभी वैक्सीन कारगर हैं. किसी भी वैक्सीन के दो डोज़ आप को बीमारी या मौत से बचा सकते हैं.
हमारे पास इस बात का कोई डेटा नहीं है कि भारतीय वैक्सीन की समय के साथ संक्रमण से लड़ने की क्षमता कम हुई है. लेकिन भारत से बाहर इस बारे में डेटा उपलब्ध है. बुज़ुर्ग लोगों में बूस्टर की वेल्यू अधिक है.
अगर आपके परिवार में कोई बुज़ुर्ग व्यक्ति है तो उसे तुरंत अतिरिक्त वैक्सीन डोज़ लगवा लें. इससे कोई नुकसान नहीं बल्कि मदद ही मिलेगी.
लेकिन युवा और सेहतमंद लोगों में भी इसकी ज़रूरत है.
मुझे नहीं मालूम को सभी को बूस्टर लगाने का क्या असर होगा. लेकिन मैं लगातार निगरानी की ज़रुरत की हिमायत करती हूँ.

इमेज स्रोत, EPA/Andre Coelho
वैक्सीन के अलावा क्या?
बूस्टर के अलावा और क्या? क्या मास्क लगानी चाहिए?
मेरे विचार से मास्क लगाने को ज़रूरी बनाने के बजाय उसके लगाए जाने के मकसद को समझने की ज़रुरत है.
अगर आपको कोई सांस की बीमारी है तो घर पर रहें. अगर घर से बाहर निकल रहे हैं तो मास्क लगा लें. अगर आपको लगता है कि आप संक्रमित हो सकते हैं तो अनजान लोगों की सोहबत में मास्क लगाकर रखें. अगर आपके आस-पास कोई बीमार है तो बिल्कुल मास्क पहनें.
अगर आपके इलाक़े में संक्रमण अधिक है तो मास्क पहने रखिए. लेकिन अगर आप स्वस्थ हैं और तो मास्क पहनने से क्या लाभ होगा?
एक और सवाल जो बार-बार उठ रहा है. क्या हमें ट्रेवल करना चाहिए? भारत में इस वक्त संक्रमण बहुत कम है. यात्रा करिए, अगर चिंतित हों तो मास्क पहनिए. लेकिन फ़िलहाल चीन जानें से बचें.
(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)




















