नोबेल शांति पुरस्कार विजेता को वेनेजु़एला से निकालने के सीक्रेट मिशन की पूरी कहानी

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- Author, आयोनी वेल्स
- पदनाम, दक्षिण अमेरिका संवाददाता
वेनेज़ुएला की विपक्षी नेता और नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मारिया कोरीना मचादो को देश से बाहर निकालने का रेस्क्यू ऑपरेशन काफ़ी जटिल था.
इसमें भेष बदलना, उफ़नते समंदर में नाव से सफ़र और फिर फ़्लाइट से सफ़र शामिल था. इस ऑपरेशन का नेतृत्व करने का दावा करने वाले शख़्स ने बीबीसी को यह जानकारी दी.
'गोल्डन डायनामाइट' नाम के इस ऑपरेशन का नेतृत्व अमेरिकी स्पेशल फ़ोर्सेस के पूर्व सैनिक और ग्रे बुल रेस्क्यू फ़ाउंडेशन के संस्थापक ब्रायन स्टर्न ने किया. वह बताते हैं कि मचादो का सफ़र ठंड के बीच, पानी से भीगा हुआ और लंबा था. लेकिन मचादो ने एक बार भी शिकायत नहीं की.
उन्होंने कहा, "समंदर बहुत उग्र था. चारों तरफ़ घना अंधेरा था. हम बातचीत के लिए टॉर्च का इस्तेमाल कर रहे थे. यह बेहद डरावना था, बहुत कुछ ग़लत हो सकता था."
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इतने जोखिम के बावजूद कोई भी अप्रिय घटना नहीं हुई. मचादो बुधवार की आधी रात से ठीक पहले नॉर्वे के ओस्लो सुरक्षित पहुंचीं, जहां उन्होंने अपना नोबेल शांति पुरस्कार लिया.
वेनेज़ुएला में पिछले साल हुए विवादित चुनावों के बाद से मचादो अपने ही देश में छिपकर रह रही थीं और जनवरी के बाद से सार्वजनिक रूप से दिखाई नहीं दी थीं.
वह अपने बच्चों से दो साल से नहीं मिली थीं. मचादो का स्वागत करने के लिए उनके बच्चे ओस्लो में मौजूद थे.
ऑपरेशन की ऐसे हुई तैयारी

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ग्रे बुल रेस्क्यू फ़ाउंडेशन, रेस्क्यू मिशन और निकासी अभियान चलाने में माहिर है. मचादो की टीम के एक प्रतिनिधि ने बीबीसी के अमेरिकी मीडिया पार्टनर सीबीएस न्यूज़ से पुष्टि की कि इस रेस्क्यू ऑपरेशन के पीछे यही संगठन था.
ब्रायन स्टर्न वेनेज़ुएला में संभावित अभियानों की तैयारी के लिए ग्रे बुल कई महीनों से कैरिबियाई इलाक़े में, वेनेज़ुएला के भीतर और पड़ोसी द्वीप अरूबा में अपनी मौजूदगी बढ़ा रहा था.
उन्होंने बीबीसी से कहा, "हम वेनेज़ुएला में ज़मीन पर ऐसा ढांचा खड़ा कर रहे थे, ताकि अगर वेनेज़ुएला में युद्ध शुरू हो जाए तो अमेरिकियों, सहयोगियों, ब्रिटिश नागरिकों और दूसरे लोगों को बाहर निकाला जा सके."
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति मादुरो से पद छोड़ने की मांग की है और उन पर अमेरिका में नशीले पदार्थ भेजने का आरोप लगाया है. ट्रंप की इस मांग के बाद से वेनेज़ुएला के ख़िलाफ़ संभावित अमेरिकी सैन्य कार्रवाई को लेकर अटकलें तेज़ हो गई हैं.
स्टर्न ने कहा कि इस मामले में सबसे बड़ी चुनौती मारिया कोरीना मचादो जैसी मशहूर शख़्सियत को बाहर निकालना था.
उन्होंने कहा कि उनकी फ़र्म ने वेनेज़ुएला में जो ढांचा तैयार किया था वह "देश की किसी अन्य लोकप्रिय शख़्सियत को निकालने के लिए नहीं बनाया गया था, जिसकी जान को ख़तरा हो."
स्टर्न बताते हैं कि जब पहली बार उन्हें मचादो की टीम से जोड़ा गया, तो शुरुआत में उनकी पहचान नहीं बताई गई थी. लेकिन उन्होंने अंदाज़ा लगा लिया था.
उनके मुताबिक़, दिसंबर की शुरुआत में एक कॉन्टैक्ट के ज़रिए मचादो से बात की गई. यह कॉन्टैक्ट मचादो की टीम को जानता था. यह वेनेज़ुएला से उन्हें बाहर निकालने की दूसरी कोशिश थी, क्योंकि पहला प्लान "काम नहीं आया था."
भीषण ठंड और उफ़नती लहरों के बीच पूरा हुआ ऑपरेशन

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इस ऑपरेशन को 'गोल्डन डायनामाइट' नाम दिया गया, क्योंकि "नोबेल ने डायनामाइट का आविष्कार किया था" और मचादो ओस्लो जाकर नोबेल शांति पुरस्कार स्वीकार करना चाहती थीं.
इसके बाद चीज़ें तेज़ी से आगे बढ़ीं. स्टर्न के मुताबिक़, शुक्रवार को टीम से बातचीत हुई, रविवार को टीम तैनात हुई और मंगलवार तक मिशन पूरा हो गया.
उनकी टीम ने मचादो को देश से बाहर निकालने के कई विकल्पों पर विचार किया और अंत में उथल-पुथल भरे समुद्री सफ़र वाली योजना पर सहमति बनी.
वेनेज़ुएला में भविष्य के अपने काम की सुरक्षा के लिए स्टर्न ने कहा कि वह मचादो के सफ़र के बारे में सीमित जानकारी ही दे सकते हैं.
ज़मीन के रास्ते मचादो को उस घर से निकाला गया, जहां वह छिपी हुई थीं और एक छोटी नाव के पिक-अप पॉइंट तक ले जाया गया. उस नाव ने उन्हें तट से दूर एक थोड़ी बड़ी नाव तक पहुंचाया, जहां उनकी मुलाक़ात स्टर्न से हुई.
स्टर्न ने बताया कि सफ़र "बहुत उथल-पुथल वाले समंदर" से शुरू हुआ, जहां लहरें 10 फ़ीट यानी करीब 3 मीटर तक ऊंची थीं और चारों तरफ़ "घना अंधेरा" था.
उन्होंने कहा, "यह सफ़र मज़ेदार नहीं था. ठंड थी, बहुत भीग गए थे, सब लोग पूरी तरह गीले थे, लहरें बहुत उग्र थीं और हमने इसी का फ़ायदा उठाया. हम उन्हें ज़मीन तक और वहां से उस जगह तक ले गए, जहां उनका विमान था और फिर उन्होंने नॉर्वे के लिए उड़ान भरी."
बुरे हालात में भी 'मज़बूत' बनी रहीं मचादो

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स्टर्न ने बताया कि पूरे सफ़र के दौरान मचादो का चेहरा और डिजिटल पहचान छिपाने के लिए कई चीज़ें की गईं, क्योंकि वह बहुत जानी-मानी शख़्सियत हैं.
उन्होंने कहा, "बायोमेट्रिक से पहचान का ख़तरा बहुत ज़्यादा है." उन्होंने बताया कि मचादो के फ़ोन के ज़रिए उन्हें ट्रैक न किया जा सके, यह सुनिश्चित करने के लिए क़दम उठाए गए.
उन्होंने बताया कि इन हालात के बावजूद मचादो "मज़बूत" रहीं. उन्होंने गर्म रहने के लिए एक स्वेटर लिया, लेकिन इसके अलावा कुछ नहीं मांगा.
स्टर्न बताते हैं, "वह पूरी तरह भीगी हुई थीं और ठंड से कांप रही थीं, लेकिन एक बार भी शिकायत नहीं की." स्टर्न मानते हैं कि यह ऑपरेशन बहुत ख़तरनाक था, क्योंकि पानी "बिल्कुल भी रहम नहीं करता".
उन्होंने कहा, "अगर मैं नाव चला रहा हूं और इंजन बंद हो जाए, तो मुझे तैरकर वेनेज़ुएला लौटना पड़ेगा."
जब उनसे पूछा गया कि ऑपरेशन में मदद करने वाले वेनेज़ुएला के लोगों की सुरक्षा की गारंटी कैसे दी जा सकती है, तो स्टर्न ने कहा कि उनकी पहचान गोपनीय है और "हम (ग्रे बुल) बहुत सारे ऐसे ऑपरेशन चलाते हैं जिनमें लोगों को गुमराह किया जाता."
उन्होंने कहा कि मदद करने वालों में से कई को यह भी नहीं पता था कि वे किसके लिए काम कर रहे हैं, जबकि कुछ लोगों को लगता है कि वे "पूरी कहानी जानते हैं". लेकिन असल में वे कुछ नहीं जानते.
स्टर्न ने कहा, "कुछ लोगों ने ऐसे कामों के ज़रिए मदद की, जो उनके लिए सामान्य थे. लेकिन हमारे मिशन के लिए बेहद अहम थे."
उन्होंने कहा कि इस ऑपरेशन के लिए फंडिंग डोनर्स ने की, न कि अमेरिकी सरकार ने. उन्होंने कहा, "हमें अमेरिकी सरकार से न तो किसी ने शुक्रिया कहा, न ही कोई पैसा मिला."
स्टर्न ने यह भी कहा कि उन्होंने कुछ देशों, उनकी ख़ुफ़िया और कूटनीतिक सेवाओं के साथ तालमेल बिठाया. इसमें अमेरिका को "अनौपचारिक" तरीके से सूचना देना भी शामिल था.
मचादो ने कहा है कि वह वेनेज़ुएला लौटने का इरादा रखती हैं, लेकिन स्टर्न ने उन्हें ऐसा न करने की सलाह दी.
उन्होंने कहा, "मैंने उनसे कहा 'वापस मत जाइए. आप एक मां हैं. हमें आपकी ज़रूरत है.' वह वही करेंगी, जो वह चाहेंगी... मैं समझता हूं कि वह क्यों वापस जाना चाहती हैं, क्योंकि वह उनके लोगों की हीरो हैं."
"मैं चाहता हूं कि वह वापस न जाएं. मगर मुझे लगता है कि वह जाएंगी."
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.
















