चीन में कोविड का कहर, 80 करोड़ लोग हो सकते हैं संक्रमित, भारत में भी बढ़ीं चिंताएं

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चीन में अब तक की सबसे बड़ी कोविड-19 की लहर आई है. वहाँ कोरोना संक्रमण अब तक की सबसे तेज़ रफ़्तार से बढ़ रहा है.

चीन के स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि देश में आने वाले कुछ महीनों में कोविड 19 से 80 करोड़ लोग संक्रमित हो सकते है.

एनपीआर की रिपोर्ट कहती है कि चीन में कोरोना से मरने वालों की संख्या 5 लाख हो सकती है, लेकिन चीन का मौजूदा आधिकारिक आँकड़ा इस संख्या से बेहद कम है.

चीन के अधिकारियों के मुताबिक़ मंगलवार को संक्रमण से केवल पाँच और सोमवार को दो मौतें हुईं. दरअसल, चीन जिस तरह से कोरोना की मौत को माप रहा है वह तरीक़ा विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों के विपरीत है. चीन उन्हीं मौतों को कोविड से हुई मौत मान रहा है, जिनकी मौत सांस की बीमारी से हो रही है.

चीन के अलावा जापान, दक्षिण कोरिया में भी कोरोना संक्रमण के मामले काफ़ी तेज़ी से बढ़ रहे हैं.

मामले की गंभीरता को देखते हुए भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक अधिसूचना जारी की है.

अधिसूचना

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इस अधिसूचना में स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा है, "भारत अपने पाँच चरण वाले कोविड उपाय टेस्ट-ट्रैक-ट्रीट-टीकाकरण और कोविड-उपयुक्त व्यवहार के पालन से कोरोना वायरस के संक्रमंण के विस्तार को रोकने में सक्षम है. चीन, जापान, ब्राज़ील, दक्षिण कोरिया और अमेरिका में कोरोना के तेज़ी से बढ़ते मामले को देखते हुए हम सभी पॉजिटिव केस की जीनोम सीक्वेंसिंग करें ताकि वेरिएंट को ट्रैक किया जा सके. सभी राज्यों से अपील है कि हर दिन सामने आने वाले कोरोना के मामलों के सैंपल जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए लैब में भेजें."

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़ सोमवार को 11 बजे स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया कोरोना वायरस से जुड़ी समीक्षा बैठक करेंगे.

स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, मंगलवार को भारत में कोरोना के 112 नए मामले दर्ज किए गए और देश में कुल सक्रिय केस इस समय 3490 हैं.

चीन पर ट्रैवल बैन लगाने की मांग

चीन में तेज़ी से बढ़ता संक्रमण और वहाँ से आने वाले वीडियो लोग सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए भारत सरकार से अपील कर रहे हैं कि वह चीन पर पूरी तरह ट्रैवल बैन लगाए.

फ़िल्म प्रोड्यूसर तनुज गर्ग ने एक वीडियो ट्वीट करते हुए लिखा है, "मेरी बेचैनी बढ़ती जा रही है, हम हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं. चीन में कोरोना का सैलाब आया है और एक नए वैरिएंट का ख़तरा है. अगर हमने अपने देश में एंट्री प्रोटोकॉल को सख़्त नहीं किया तो वो दिन दूर नहीं जब देश में फिर लॉकडाउन लग जाएगा."

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करन वर्मा नाम के एक यूज़र ने निखा है, " चीन पर तत्काल प्रभाव से यात्रा प्रतिबंध लगाना चाहिए, कोरोना से निपटने की तैयारी तुरंत हमें शुरू कर देनी चाहिए. हम किसी भी क़ीमत पर 2021 जैसी स्थिति दोबारा नहीं आने दे सकते."

भारत में कोविड को ट्रैक करने वाली प्रोफ़ेसर शमिका रवि ने ट्वीट किया है, "चीन कोरोना से जैसे निपट रहा है, वह इस बात का प्रमाण बन गया है कि कैसे इस महामारी से नहीं निपटना चाहिए. उनकी कड़ी ज़ीरो-कोविड पॉलिसी की कलई तेज़ी से खुल रही है. ज़ाहिर है अभी चीन महामारी के साथ-साथ व्यापार के संकट से भी जूझ रहा है."

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चीन में हो क्या रहा है?

चीन के सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि आने वाले कुछ महीनों में कोरोना से 80 करोड़ लोग संक्रमित होंगे और मरने वालों की संख्या पांच लाख हो सकती है.

समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार, चीन के सेंटर फॉर डिज़िज़ कंट्रोल एंट प्रिवेंशन के अधिकारी शु वेंबो ने संवादाताओं से बात करने हुए ये बताया कि वायरस का नया वेरिएंट तेज़ी से म्यूटेट होगा लेकिन उन्होंने इसके ख़तरे को कम आंका.

अमेरिकी मीडिया संस्था एनपीआर में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, येल यूनिवर्सिटी में सार्वजनिक स्वास्थ्य पर रिसर्च करने वाले और चीनी स्वास्थ्य प्रणाली के जानकार शी चेन ने कहा है कि चीन के स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर शाओफेंग लिएंग का कहना है कि कोरोना की इस लहर से चीन की लगभग 60 फ़ीसदी आबादी प्रभावित हो सकती है.

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रिपोर्ट कहती है, "इसका मतलब है कि धरती की 10 फ़ीसदी आबादी आने वाले 90 दिनों में कोरोना से संक्रमित हो सकती है."

इस महीने की शुरुआत में चीन ने अपनी कड़ी ज़ीरो कोविड पॉलिसी में ढील दी और इसके बाद से ही वहाँ कोरोना मामलों की बाढ़ सी आई गई है. चीन के स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा है कि मंगलवार को कोरोना के संक्रमण से मरने वालों की संख्या केवल पाँच है और मंगलवार को इससे दो मौतें हुईं.

ये आंकड़े इसलिए बेहद कम हैं क्योंकि चीन कोविड से होने वाली मौत उन्हें ही मान रहा है, जैसे निमोनिया के मामले या ऐसे मामले जिसमें मौत के पीछे सांस से जुड़ी बीमारी होगी.

ये तरीक़ा विश्व स्वास्थ्य संगठन के कोरोना से मौत मापने के तरीक़े से अलग हैं.

विश्व स्वास्थ्य संगठन का भी कहना है कि देश अपने-अपने मानक तय करके कोविड से होने वाली मौत रिपोर्ट करते हैं ऐसे में देशों के बीच तुलना करना मुश्किल हो जाता है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन उन मौतों को भी शामिल करता है जो सीधे तौर पर भले कोरोना के संक्रमण के कारण नहीं हुई है लेकिन उन पर कोरोना के संक्रमण का अप्रत्यक्ष असर पड़ा हो.

वहीं, चीन की इसे लेकर कड़े नियम हैं, चीन उन्हें ही कोरोना से होने वाली मौत मान रहा है, जिसमें मरने वाले के फ़ेफड़े संक्रमण से प्रभावित हुए. ये पुष्टि स्कैन के ज़रिए की जा रही है.

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क्या चीन का ये संकट दुनिया का संकट बन जाएगा?

अमेरिकी अख़बार वॉशिंगटन पोस्ट ने चीन में कोरोना की नई लहर को लेकर एक लेख प्रकाशित किया है.

इसमें कहा गया है, "चीन की ज़ीरो कोविड नीति ऐसी नीति थी जो टिक नहीं सकती थी और इसे बिना किसी तैयारी और बैकअप प्लान के अचानक से ख़त्म करने के फ़ैसले से ना सिर्फ़ यहाँ के लोगों के लिए एक भयानक नई लहर का ख़तरा पैदा हुआ है बल्कि ये वहाँ के व्यापार को भी झटका देगा और चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व पर भी बड़ा सवाल पैदा करता है.'

''संभव है कि ये नया संकट पूरी दुनिया को हिला कर रख दे जैसा कि वुहान में होने वाले आउटब्रेक ने तीन साल पहले पूरी दुनिया को ठप कर दिया था. चीन में जो होता है वो ज़रूरी नहीं है कि बस चीन तक ही सीमित रहे."

"जिनपिंग सरकार ने पूरे कोरोना के समय कठोर कोविड नीति अपनाई, टेस्ट किए, जबरन लोगों को क्वॉरंटीन किया लेकिन सात दिसंबर को सरकार ने नियमों में बड़ी ढील दी और कहा कि सब कुछ कंट्रोल में है. लेकिन अभी जो हालात हैं, उनसे ज़ाहिर है कि बात उसके काबू में नहीं है.''

''बीजिंग में ओमिक्रॉन का संक्रमण ऐसा फैला है कि कि यह एक भूतिया शहर में तब्दील हो गया है और डर है कि ये हालत पूरे चीन में हो सकते हैं. चीनी की सरकार जो अपने डेटा को छुपाने के लिए जानी जाती है, वह अपने प्रतिदिन आने वाले मामलों को ठीक से रिपोर्ट नहीं कर रही और कई सारे ट्रैकिंग ऐप डिएक्टिवेट कर दिए गए हैं, जिससे वहाँ के हालात कैसे हैं, आंकड़े क्या हैं? इसे लेकर असमंजस बना हुआ है."

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भले ही नियमों के अनुसार लोगों को बाहर जाने की आज़ादी है लेकिन हालात ऐसे हैं कि लोग ख़ुद को घरों में ही बंद रख रहे हैं.

"चीन के लिए ये संकट और भी बुरा होने वाला है क्योंकि इसके 60 से अधिक उम्र की आबादी केवल 69 फ़ीसदी लोगों ने ही बूस्टर डोज़ लिया है. यह संख्या 80 से अधिक उम्र वालों में और भी कम है. ये वे लोग हैं जो ओमिक्रॉन के संक्रमण से सबसे ज़्यादा प्रभावित हो सकते हैं. चीन से जो रिपोर्ट्स सामने आ रही हैं, उसने इस बात के संकेत दिए हैं कि वहाँ मौत का आँकड़ा बढ़ता ही जा रहा है और श्मशान के कर्मचारियों को दिन-रात काम करना पड़ा रहा है. मैथमैटिकल मॉडल कहता है कि चीन में अगले साल की शुरुआत तक 10 लाख लोगों की मौत कोरोना के कारण हो सकती है."

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ख़ाली होती फार्मेसी और अस्पतालों में बढ़ते वॉर्ड और बेड

समाचार एजेंसी रॉयटर्स लिखता है कि साल 2019 में जब वुहान में कोरोना आया तब से लेकर अब तक चीन के आधिकारिक आँकड़ों के मुताबिक़ संक्रमण से केवल 5242 लोगों की मौत हुई है.

अभी भी चीन जो आँकड़े पेश कर रहा है, उसे लेकर भी संदेह जताया जा रहा है और माना जा रहा है कि असल आँकड़े इससे कहीं ज़्यादा हैं. सात दिसंबर से चीन में संक्रमण में काफ़ी उछाल आया है.

रॉयटर्स के संवादाताओं के मुताबिक़, "राज़धानी बीजिंग में कोरोना से होने वाली मौतों के लिए तय किए गए श्मशान घाटों के बाहर लोग लंबी क़तार लगाए खड़े थे. सुरक्षा गार्ड इसके एंट्री गेट पर गश्त लगा रहे थे."

रॉयटर्स कहता है कि इस संक्रमण का हॉटस्पॉट बीजिंग है. शंघाई शहर जहाँ संक्रमण तेज़ी से फैल रहा है, वहाँ की सड़कों पर इन दिनों कोई नज़र नहीं आता. ज़ाहिर है बढ़ता कोविड देश के स्वास्थ्य प्रणाली पर भी दबाव बना रहा है और ऐसे में चीन के अस्पतालों में स्वास्थ्य इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ाया जा रहा है. नए आईसीयू बनाए जा रहे हैं, बुखार के क्लिनिक तैयार किए जा रहे हैं, बेड की संख्या बढ़ाई जा रही है.

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पिछले सप्ताह में, बीजिंग, शंघाई, चेंग्दू और वानज़ाउ सहित प्रमुख शहरों ने घोषणा की कि उन्होंने सैकड़ों बुखार के क्लीनिक बनाए हैं और इसके लिए कुछ खेल फ़ैसेलिटी को क्लिनिक में बदला गया.

चीन में कई अस्पताल मरीज़ों से पटे पड़े हैं, दवाओं की दुकानें ख़ाली हो गई हैं, लोग घबराहट में दवाएं ख़रीद कर स्टोर कर रहे हैं. दुकानों पर इन दिनों ज़रूरी दवाएं नहीं मिल पा रही हैं लोगों ने ख़ुद को घरों में बंद कर लिया है और डिलिवरी सर्विस में ज़बर्दस्त उछाल आया है.

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