चीन ज़ीरो कोविड पॉलिसी से बाहर निकला, लेकिन सामने हैं ये चुनौतियां

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चीन ने अपनी ज़ीरो कोविड पॉलिसी के ख़िलाफ़ लोगों के भारी विरोध के बाद लॉकडाउन के बेहद सख्त नियमों को खत्म कर दिया है.
बुधवार को अधिकारियों ने उन नियमों को हटाने का ऐलान किया, जिनके तहत लोगों को एक जगह क्वारंटीन में रखा जा रहा था. अब कोविड के हल्के लक्षण वाले लोगों को घरों में आइसोलेशन में रहने की इजाजत दी रही है. लॉकडाउन भी सीमित किए जा रहे हैं.
कोविड टेस्ट रिजल्ट की जांच भी कम हो गई है. देश में यात्रा पर लगी पाबंदियां भी हल्की कर दी गई हैं.
देश के कुछ इलाकों में स्थानीय स्तर पर कोविड प्रतिबंध खत्म कर दिए गए थे. इसके बाद नियमों में बदलाव किए गए हैं.
चीन भले ही जीरो-कोविड पॉलिसी से निकलने की कोशिश कर रहा है लेकिन उसे इसकी राह में कई चुनौतियों के सामना करना होगा.
उसके सामने सबसे बड़ी चुनौती तो ये है कि कोरोना संक्रमण में लगातार इज़ाफा बड़ी तादाद में मौतों की वजह न बन जाए.
इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रेटजिक स्टडीज के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर जेम्स क्रैबट्री कहते हैं,'' चीन के पास इस वक्त सबसे बड़ा जोखिम तो ये है कि वह व्यापक टीकाकरण के बगैर ऐसा कर रहा है. ''
वो कहते हैं,'' चीन लॉकडाउन को इस तरह खोलना चाहेगा, जिससे वे लोग सुरक्षित रहें, जिन्हें टीका नहीं लगा है. लेकिन कई ऐसे देश हैं, जो ज्यादा लोगों को टीके नहीं लगा पाए हैं. उनसे खतरा रहेगा क्योंकि लॉकडाउन खोलने के बाद संक्रमण बढ़ सकता है. ''
चीन के लिए ये खास तौर पर परेशान करने वाला है क्योंकि देश के बुजुर्गों में कोविड प्रतिरक्षा का स्तर कम है.और ये भी सच है कि इसे कम प्रभावी घरेलू वैक्सीन पर निर्भर रहना पड़ रहा है.
जब दक्षिण कोरिया और सिंगापुर ने लॉकडाउन खत्म किया गया था तो वहां लोगों को फाइज़र, मॉर्डना और एस्ट्राजे़नेका जैसी विदेशी कंपनियों के टीके लग चुके थे.
बुजुर्गों को ख़तरा

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चीनी अधिकारियों से मिले आंकड़ों के मुताबिक देश में 60 वर्ष से अधिक उम्र के सिर्फ 69 फीसदी लोगों को टीका लगा है. अस्सी साल से ज्यादा उम्र के लोगों में सिर्फ 40 फीसदी को बूस्टर डोज लगा है.
इस उम्र के लोगों के बीच वैक्सीन को लेकर जो अविश्वास बना हुआ है उसमें टीकाकरण की गति तेज करना एक चुनौती होगी.
चीन के कोविड एक्सपर्ट पैनल के प्रमुख प्रोफेसर लियांग वानियन ने इससे पहले बीबीसी से कहा था, '' कई बुजुर्गों को पहले से बीमारियां हैं. उनका मानना है कि ऐसे में टीका लगवाना नुकसानदेह हो सकता है. लेकिन वास्तविकता तो इस तरह का टीकाकरण सुरक्षित है. ''
बुधवार को चीनी अधिकारियों ने अस्थायी और मोबाइल वैक्सीनेशन क्लीनिक जैसी योजनाओं का ऐलान किया. स्थानीय अधिकारियों से कहा गया कि बुजुर्गों को टीका लगवाने के लिए ''प्रेरित करने के लिए प्रोत्साहन'' का सहारा लिया जाए.
अधिकारी ज्यादा बुजुर्ग लोगों में प्रतिरोधी क्षमताओं को बढ़ाने की भी योजना बना रहे हैं. चीनी नव वर्ष से पहले इस योजना को लागू करना. उस वक्त बड़ी तादाद में लोग देश भर में घूमने निकलते हैं. लोग शहरों से पैतृक घरों की ओर लौटते हैं.
हालांकि चीन में बुजुर्गों के सामने कोविड का ख़तरा बना हुआ है. उसके सामने कोविड के गंभीर मामलों के भी बढ़ने का डर है. ऐसे में अगर अस्पतालों में मरीजों की तादाद बढ़ी तो मौतें बढ़ सकती हैं .
इस साल की शुरुआत में जब हॉन्गकॉन्ग में कोरोना के ओमिक्रोन वैरिएंट का हमला हुआ तो उसे ऐसे ही हालात का सामना करना पड़ा था.
शायद इसलिए चीन के अंदर अब हल्के और कोरोना के लक्षण दिखने के बाद लोगों को होम क्वारंटीन में शिफ्ट किया जा रहा है.

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हेल्थकेयर इन्फ्रास्ट्रक्चर को दबाव से बचाना होगा
इस सप्ताह की शुरुआत में सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स में सिंगापुर में अपनाई जा रहे इस तरीके का हवाला दिया. उसका कहना था कि चीन में भी ऐसा किया जाना चाहिए. लोगों को होम क्वारंटीन में भेजे जाने से स्वास्थ्य संसाधनों पर बोझ कम होगा.अस्पतालों में ज्यादा बेड उपलब्ध रहेंगे.
लेकिन ये लक्ष्य हासिल करना मुश्किल हो सकता है.
सिंगापुर का हेल्थकेयर सिस्टम काफी मजबूत है और वहां कई विकल्प भी हैं. वह लोगों को सफलतापूर्वक होम क्वारंटीन में शिफ्ट कर सकता है. लोग देश के कम्यूनिटी क्लीनिक के विशाल नेटवर्क के जरिये अपना इलाज करा सकते हैं. टेलीमेडिसिन प्रोवाइडर्स में भी लोगों को मदद कर सकते हैं.
जबकि चीन का हेल्थकेयर इन्फ्रास्ट्रक्चर में अभी ज्यादा मजबूत नहीं है. कोरोना के दौरान इनमें निवेश की रफ्तार कम हो गई थी. हॉन्गकॉन्ग यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी में पब्लिक पॉलिसी एक्सपर्ट डोनाल्ड लो बताते हैं कि बेसिक इलाज के लिए भी लोगों की निर्भरता इन्हीं अस्पतालों पर बनी हुई है.
वो कहते हैं, '' चीन में अस्पताल आधारित केयरिंग की तुलना में सामुदायिक स्वास्थ्य सुविधाएं काफी कम हैं. इसलिए सिंगापुर के मॉडल को अपनाना मुश्किल है. चीन के पास अपने हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए दो साल का वक्त था लेकिन उन्होंने नहीं किया.
कोविड के सख्त नियमों को शिथिल करने के वक्त पर भी सवाल उठ रहे हैं. ये भी चुनौती बन सकता है. हॉन्गकॉन्ग यूनिवर्सिटी में क्लीनिकल वायरोलॉजिस्ट डॉ, सिद्धार्थ श्रीधर कहते हैं, '' चीन में लॉकडाउन ठंड में खोला जा रहा है. इस समय वायरस के तेजी से फैलने की ज्यादा आशंका होती है. ''

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लॉकडाउन खत्म करने के मामले में धीमा चलना होगा
डॉ. श्रीधर ने कहा, '' चीन को लॉकडाउन खत्म करने के मामले में धीमा चलना होगा. अगर ऐसा नहीं किया गया तो काफी तेजी से संक्रमण फैल सकता है. हॉन्गकॉन्ग में इस साल ऐसा ही हुआ था. लेकिन हॉन्गकॉन्ग का हेल्थकेयर सिस्टम का इन्फ्रास्ट्रक्चर काफी मजूबत है और आबादी है सिर्फ 75 लाख. हॉन्गकॉन्ग के पास इस पर खर्च करने के लिए काफी धन भी है. लेकिन चीन के कई इलाकों में लोगों के स्वास्थ्य पर खर्च करने के लिए ज्यादा धन नहीं है. ''
ओमिक्रोन संक्रमण के फैलने के बाद अमेरिका और यूरोप के आंकड़ों के आधार पर किए गए ब्लूमबर्ग के एक विश्लेषण के मुताबिक अगर लॉकडाउन पूरी तरह खोल दिया गया तो चीन में 58 लाख लोगों के इंटेंसिव केयर यूनिटों में भर्ती होने का अनुमान है. इससे चीन का हेल्थकेयर सिस्टम भारी दबाव में आ जाएगा. यहां प्रति एक लाख लोगों पर चार आईसीयू बेड हैं.
डॉ. श्रीधर ने कहा कि चीन सरकार उन इलाकों के संसाधनों का इस्तेमाल डोर-टु-डोर वैक्सीनेशन में कर सकती है, जहां अभी संक्रमण अभी काबू में है.
इसके साथ ही वह क्रिटिकल केयर इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए ऑक्सीजन सप्लाई बढ़ने और लोगों को बेसिक क्रिटिकल केयर में ट्रेनिंग दे सकती है.
विशेषज्ञों का कहना है कि चीन को अभी अपने सार्वजनिक हेल्थकेयर सिस्टम को सुधारने की भी जरूरत है ताकि लोगों को वायरस के डर से निजात दिलाई जा सके. लोगों को साफ निर्देश देना होगा कि कोविड पॉजीटिव होने पर वे क्या करें.

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महामारी के साथ रहने की ट्रेनिंग देनी होगी
हॉन्गकॉन्ग में ओमिक्रोन संक्रमण की लहर के दौरान स्पष्ट निर्देशों न होने की वजह से लोग बदहवास होकर अस्पतालों में भर्ती होने लगे थे. इससे मरीजों की भीड़ से अस्पताल भर गए थे. भले ही उन्हें घर में आइसोलेट होने की इजाजत थी लेकिन वो डर कर अस्पताल में भर्ती हो रहे थे.
प्रोफेसर लो ने कहा की चीन के अधिकारी कोविड के साथ रहने का रोडमैप बना सकते हैं. सिंगापुर ने ऐसा किया था. सरकार को लोगों के साथ ईमानदार होना होगा. उन्हें बताना होगा कि कोविड एक ऐसी महामारी है जिसके साथ रहना सीखना होगा.
डॉ. श्रीधर ने कहा कि सतर्कता भी बरतनी होगी. वो कहते हैं, '' इस समय ऐसा कहना बड़ी गलती होगी कि ओमिक्रोन खतरनाक नहीं है. और इसके साथ रहा जा सककता है. हम इस समय यही कर रहे हैं. अब लॉकडाउन खुल रहा है और ऐसा करना खुद को भारी मुसीबत में डालने जैसा होगा.
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