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आठवाँ एशियाई फ़िल्म समारोह शुरू | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
अगर आप लेबनान और सीरिया, जापान और चीन, सिंगापुर और श्रीलंका और एशिया के बाक़ी कई देशों के नामी निर्देशकों की कुछ चुनिंदा फ़िल्में देखना चाहते हैं तो इसके लिए आपको इन सारे देशों की यात्रा करने की कोई ज़रूरत नहीं है. दिल्ली में शुक्रवार से शुरू हुए आठवें एशियाई फ़िल्म समारोह में क़रीब 40 देशों की 120 से भी ज़्यादा फ़िल्में प्रदर्शित की जाएंगी. 14 जुलाई से शुरू हुआ यह फ़िल्म समारोह अगले 10 दिनों तक दिल्ली में चलेगा. दुनियाभर की कई फ़िल्मी हस्तियाँ इस समारोह में शिरकत करेंगी. इस समारोह में इस वर्ष को बुद्ध की 2550वीं जयंती के रूप में भी मनाया जा रहा है. इसीलिए बौद्ध मत पर आधारित विषयों पर बनी फ़िल्मों को भी इस समारोह में शामिल किया गया है. समारोह में भारत के महान फ़िल्मकार ऋत्विक घटक और हाँगकाँग के फ़िल्मकार स्टेनले क्वॉन की फ़िल्में ख़ास तौर पर प्रदर्शित की जा रही हैं. समारोह का आयोजन ओसियान-सिनेफ़ैन नाम के एक मंच की ओर से किया गया है. ख़ास फ़िल्में पिछले वर्ष जब दिल्ली में इस समारोह का आयोजन हुआ था तो लोग अरब और पूर्वी देशों की फ़िल्मों की प्रशंसा करते नहीं थक रहे थे और लगता है कि इस बार भी खाड़ी और मध्यपूर्व के देशों की फ़िल्में बाज़ी मार ले जाएँगी.
इस बार इसराइल, लेबनान, इराक़, ईरान, साउदी अरब, सीरिया, मिश्र, तुर्की, ओमान जैसे कई देशों से चुनी हुई फ़िल्में समारोह में दिखाई जाएँगी. इसके अलावा कई पूर्वी देशों से भी फ़िल्में इस समारोह में दिखाई जानी है. इन देशों से आने वाली फ़िल्में बहुत ही सशक्त विषयों पर आधारित रही हैं. और इस बार भी ऐसी फ़िल्मों को शामिल किया गया है जो युद्धोत्तर विषयों, महिलाओं और मानवीय संबंधों जैसे विषयों पर केंद्रित हैं. हालांकि पिछले कुछ समारोहों में दिखाई गई भारतीय फ़िल्मों में से अधिकतर ने दर्शकों को निराश ही किया था पर आयोजकों का मानना है कि इस समारोह में कुछ बेहतर फ़िल्मों को दिखाया जा सकेगा. हालांकि फ़िल्म समारोह की शुक्रवार को शुरुआत हो गई है और बड़ी तादाद में दर्शक फ़िल्में देखने पहुँच रहे हैं पर लोगों को इंतज़ार है शनिवार को दिखाई जाने वाली समारोह की ओपनिंग फ़िल्म 'वैली ऑफ़ फ़्लावर्स' का. इस फ़िल्म का निर्देशन किया है फ़्रांस में रह रहे भारतीय मूल के निर्देशक पान नलिन ने. वहीं समापन समारोह के लिए ईरान के जाने-माने फ़िल्मकार जफ़र पनाही की फ़िल्म 'ऑफ़साइड' को चुना गया है. देखना यह है कि इस बार अंतरराष्ट्रीय सिनेमा की तुलना में भारतीय सिनेमा जगत क्या कुछ कर पाता है. |
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