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मंगलवार, 20 जुलाई, 2004 को 17:02 GMT तक के समाचार
 
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दिल्ली में एशियाई फ़िल्मों की धूम
 

 
 
छठा एशियाई फ़िल्म महोत्सव
महोत्सव में अच्छी फ़िल्में दिखाई गई हैं
दिल्ली में हो रहे छठे एशियाई फिल्म महोत्सव को फिल्म प्रेमियों ने हाथों- हाथ लिया है.

सीटें नहीं मिलने पर दर्शक ज़मीन पर बैठकर फ़िल्मों का मज़ा लेते नज़र आए. ऐसे ही एक फिल्म प्रेमी इन्द्रनाथ चड्डा का कहना है, "जमीन से जुड़ी हुई, हो हल्ले से परे और कुछ न कुछ संदेश देती इन फिल्मों को देखने के लिए कहीं भी बैठा जा सकता है."

16 से 25 जुलाई तक चलने वाले इस महोत्सव को मुंबई की ओसियान और दिल्ली की सिने फैन संस्थाओं ने दिल्ली सरकार की सहायता से मिलकर आयोजित किया है.

इस महोत्सव को दस वर्गों में बाँटा गया जिनमें अरब सिनेमा, ईरान के मख़मलबफ़ परिवार, हांगकांग के वाँग कार-वाई, गुरुदत्त की फिल्में और प्रतियोगी वर्ग विशेष हैं.

कुल 30 देशों से आई 90 फिल्मों में एक बौद्धभिक्षु की भूटान में पहली बार बनाई गई 'ट्रैवलर्स एंड मैजीशियन', विवाह से पहले गर्भवती हुई एक मुस्लिम लड़की की कहानी बयान करने वाली मिस्र की फ़िल्म 'असदार-अल-बानात' और कट्टरपंथ के प्रभावों का विश्लेषण करती अल्जीरिया की 'रशीदा' प्रमुख हैं.

पिछले पाँच साल से आयोजित हो रहे इस महोत्सव में दर्शकों की संख्या हर साल बढ़ती ही जा रही है.

सिने-फैन की निदेशक अरुणा वासुदेव का मानना है, "हमारा मक़सद दर्शकों को एशिया की चुनिंदा फ़िल्मों से रूबरू करवाना है."

उनका कहना है कि इस फिल्मोत्सव के माध्यम से भारत और यूरोप के बीच फिल्मोद्योग को बढ़ावा देने का काम भी किया जा रहा है.

मुफ़्त में

इस फ़िल्मोत्सव के शुरूआती दिनों से अब तक फिल्म प्रेमियों को मुफ़्त में बेहतरीन फ़िल्मे देखने का मौक़ा मिलता रहा है लेकिन सिने फैन की कार्यकारी संपादक तलिका का कहना है, "अब तक तो प्रायोजकों के सहारे गाड़ी खींची है, लेकिन अगले साल टिकट भी बेचे जाएंगे, ताकि आर्थिक मोर्चा मजबूत रहे."

मिस्र की ख़ाकेस्तरो-ओ-ख़ाक
कई देशों की अच्छी फ़िल्में दिखाई गईं

महोत्सव का उदघाटन जाने-माने जर्मन निर्देशक फातीक एकिन की फिल्म 'गेगेन डाई वांड' से हुआ, जबिक इस समारोह के अंतिम दिन ईरान के निर्देशक मोहसन मरवमलबफ की फिल्म "वंस अपॉन ए टाइम" दिखाई जाएगी.

गौरतलब है कि मोहसन मरवमलबफ का पूरा परिवार किसी न किसी रूप में फ़िल्मों से जुड़ा रहा है.

प्रतियोगी वर्ग में 14 फ़िल्में दिखाई जा रही हैं जिनमें अफग़ानिस्तान के अतीक़ राहिमी की 'ख़ाकेस्तारओ-खाक़', दक्षिण कोरिया की 'समार्टियन गर्ल' और भारत के मकरंद देशपांडे निर्देशित 'दानव' प्रमुख होंगी.

निर्णायक मंडल की अध्यक्ष प्रसिद्ध अभिनेत्री शबाना आज़मी हैं.

इस महोत्सव के माध्यम से एशिया में पहली बार टेलेंट कैम्पस इंडिया का आयोजन किया जा रहा है, जिसके तहत देशभर के पचास प्रतिभाशाली युवाओं को जानेमाने फिल्मकारों और निर्देशकों से फ़िल्म की अलग-अलग विधाओं पर बातचीत का मौक़ा मिलेगा.

 
 
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