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सोमवार, 18 सितंबर, 2006 को 18:41 GMT तक के समाचार
 
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विकासशील देशों की आवाज बुलंद हुई
 
राटो
राटो का कहना है कि नए देशों को ज़्यादा अधिकार मिलने से संस्थान को वैधात मिलेगी
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आईएमएफ की नीति निर्धारण प्रक्रिया में विकासशील देशों की भागीदारी बढ़ाने के प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई है.

सिंगापुर में चल रही बैठक में आईएमएफ के 184 सदस्य देशों में से 90 फ़ीसदी से अधिक ने नए बदलाव के पक्ष में मतदान किया है.

इस फ़ैसले के बाद चीन, दक्षिण कोरिया, मैक्सिको और तुर्की के मतदान अधिकारों में बढ़ोत्तरी होगी.

ग़ौरतलब है कि आईएमएफ के सदस्य देश कोई भी बड़ा फ़ैसला मतदान के ज़रिए करते हैं. पिछले कुछ वर्षों से आर्थिक ताकत के रुप में बढ़ रहे नए देश मतदान प्रक्रिया में धनी देशों को अधिक अधिकार दिए जाने का विरोध कर रहे थे.

मौजूदा प्रणाली पर नज़र दौराएँ तो चीन को बेल्जियम या नीदरलैंड से भी कम मतदान अधिकार प्राप्त है जबकि उसकी अर्थव्यवस्था इन दोनों देशों के सम्मिलित आकार से दोगुनी है.

इस बदलाव के बावजूद लैटिन अमरीका और मध्य-पूर्व के 23 देशों का कहना है कि अभी और सुधार किए जाने की आवश्यकता है.

तय कार्यक्रम के अनुसार सुधारों के दूसरे चरण में अगले दो सालों के भीतर सभी देशों के मतदान अधिकारों को बदला जाएगा.

आईएमएफ के प्रबंध निदेशक रोड्रिगो डे राटो ने कहा, "इस संस्थान के भविष्य के लिए शासकीय सुधार बेहद अहम हैं. इससे हम और प्रभावशाली होंगे और आईएमएफ संचालित सुधार प्रक्रिया को वैधता मिलेगी."

विश्व बैंक

आईएमएफ के साथ ही विश्व बैंक की बैठक भी सिंगापुर में चल रही है. विश्व बैंक इससे पहले सहायता लेने वाले देशों में भ्रष्टाचार पर लगाम कसने के लिए एक रणनीति बना चुकी है.

हालाँकि नीतिगत मामलों से जुड़ी बैंक की समिति ने नए उद्देश्यों के लिए ग़रीबी उन्मूलन पर से ध्यान नहीं हटाने का अनुरोध किया है.

बैठक में एक प्रतिनिधि ने तर्क दिया कि विकास की प्रक्रिया दुनिया के भ्रष्टाचारमुक्त होने का इंतज़ार नहीं कर सकती.

ग़ौरतलब है कि विश्व बैंक पिछले एक वर्ष में एशिया और अफ्रीका के कुछ देशों में भ्रष्टाचार को देखते हुए उनको दी जाने वाली वित्तीय सहायता में कटौती कर चुका है.

 
 
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