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बुधवार, 22 फ़रवरी, 2006 को 07:26 GMT तक के समाचार
 
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खेल प्राधिकरण पर जसपाल के सवाल
 

 
 
जसपाल राणा
जसपाल राणा ने खेल प्राधिकरण के रवैये पर नाराज़गी जताई है
भारत के मशहूर निशानेबाज़ जसपाल राणा ने राष्ट्रमंडल खेलों के ठीक पहले, भारत में शूटिंग के 'कोच की योग्यता' और भारतीय खेल प्राधिकरण के तौर-तरीकों को लेकर नाराज़गी ज़ाहिर की है.

जसपाल राणा हाल ही में ऑस्ट्रेलिया ओपन कप में हिस्सा लेकर वापस आए हैं जहाँ उन्होंने विश्व रिकॉर्ड बनाया.

लेकिन जसपाल राणा शूटिंग के प्रति भारतीय खेल प्राधिकरण(साई) के रवैये को लेकर काफ़ी खफ़ा नज़र आए.

बीबीसी से एक ख़ास बातचीत में उन्होंने शूटिंग के कोच, हंगरी के जी.चाबा की योग्यता पर उंगली उठाते हुए कहा, “चाबा नए और जूनियर खिलाड़ियों के लिए ठीक हो सकते हैं लेकिन पदक नहीं दिलवा सकते हैं. उनसे कहीं बेहतर और अनुभवी निशानेबाज़ हमारे यहाँ हैं.”

जसपाल राणा ने पिछले सप्ताह सेंटर फ़ायर निशानेबाज़ी में नया विश्व रिकॉर्ड कायम किया है. उन्होंने ये रिकॉर्ड ऑस्ट्रेलिया ओपन कप में 25 मीटर रेंज में 600 में से 591 अंक हासिल कर बनाया.

उनकी निगाह अब अगले महीने होने वाले राष्ट्रमंडल खेलों पर है.

सुविधाएँ

जसपाल राणा ने साई के उस नए नियम की भी आलोचना की है जिसके मुताबिक 60 साल से ऊपर का व्यक्ति कोच नहीं हो सकता.

 “शूटिंग आज पूरी तरह से तकनीकी और इलेक्ट्रॉनिक प्रतियोगिता बन चुकी है, जब हम अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में जाते हैं तो लगता है जैसे तांगे पर बैठकर हवाई जहाज़ से टक्कर ले रहे हों
 
जसपाल राणा

जसपाल ने सवाल उठाते हुए कहा, “अगर ग्रेग चैपल मैच जिता रहे हैं और अगर वो 61 साल के होते तो क्या उन्हे सिर्फ़ इसलिए हटा दिया जाता,
मनमाने ढंग से कोच थोप कर खेल प्राधिकरण निशानेबाज़ी के साथ मज़ाक कर रहा है.”

ये पूछे जाने पर कि आगामी राष्ट्रमंडल और एशियाई खेलों में उनसे जो उम्मीदें हैं वो उनपर कितने खरे उतर पाएँगे तो उनका कहना था, “शूटिंग आज पूरी तरह से तकनीकी और इलेक्ट्रॉनिक प्रतियोगिता बन चुकी है, जब हम ऐसी अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में जाते हैं तो ऐसा लगता है जैसे तांगे पर बैठकर हवाई जहाज़ से टक्कर ले रहे हों.

उन्होंने कहा, “दूसरे देशों के निशानेबाज़ों के पास काफ़ी आधुनिक पिस्टल और बाकी उपकरण होते हैं और एक-एक निशानेबाज़ के उपर चार- चार कोच होते हैं.ऐसे में हमारे खिलाड़ी जो भी प्रदर्शन करते हैं वो सिर्फ़ अपनी प्रतिभा और मेहनत के बल पर.”

1994 में पहली बार अंतरराष्ट्रीय जूनियर प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक हासिल कर जसपाल राणा ने निशानेबाज़ी में अपना सिक्का जमाया था और तब से इन 12 सालों में उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा है.

देश-विदेश की प्रतियोगिताओं में वो सैकड़ों पदक जीत चुके हैं. राष्ट्रमंडल खेलों के बाद वो अप्रैल में ब्राज़ील में हो रही वर्ल्ड कप शूटिंग चैंपियनशिप में हिस्सा लेंगे.

 
 
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