हॉकी विश्व कपः मुँह खोला तो लगेगा भारतीय खिलाड़ियों पर जुर्माना

    • Author, हरप्रीत कौर लांबा
    • पदनाम, खेल पत्रकार, भुवनेश्वर से बीबीसी हिंदी के लिए

कहते हैं कि टीम के सदस्यों का आपस में बातचीत करना उन कुछ खास चीज़ों में से है जिन पर राष्ट्रीय टीमों का अच्छा प्रदर्शन टिका होता है लेकिन भुवनेश्वर में खेले जा रहे हॉकी विश्व कप 2018 के दौरान भारतीय टीम अपना कुछ भोजन बिल्कुल खामोशी में खा रही है!

जी हां, यह उन कुछ अनूठे उपायों में से है जिसे मुख्य कोच हरेंद्र सिंह लाए हैं ताकि टीम के भीतर आपसी संवाद को बढ़ाने में मदद मिले.

खिलाड़ियों को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि उन्हें केवल साइन लैंग्वेज यानी संकेत की भाषा और चेहरे के इज़हार के उपयोग से एक दूसरे के साथ संवाद करना है.

किसी ने इस नियम का उल्लंघन किया तो उन खिलाड़ियों में से प्रत्येक को 500 रुपए जमा करने होंगे.

अब, इसके पीछे कारण क्या है.

दरअसल मैच के दौरान कुछ ऐसे भी पल आते हैं जब मैदान के बाहर से दिया गया निर्देश खिलाड़ियों के खेल के जज़्बे और भुवनेश्वर के कलिंगा स्टेडियम में चिल्लाते 15,000 दर्शकों की गूंजती आवाज़ के बीच खो जाता है. और हरेंद्र नहीं चाहते कि उनकी टीम इस बार चूके.

इस प्रकार, खिलाड़ियों को डिनर टेबल पर साइन लैंग्वेज का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है. यह मूक बातचीत ट्रेनिंग सेशन के बारे में हो सकती है, उनके निजी जीवन के बारे में या फिर महज पानी का बोतल देने को लेकर भी.

नियम बेहद सामान्य हैं- कोई बोलेगा नहीं, केवल साइन लैंग्वेज और चेहरे के हावभाव से बात की जाएगी.

18 सदस्यीय भारतीय टीम और छह सदस्यीय सपोर्ट स्टाफ को इसे एक दिन के भीतर अपनाने में बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ा लेकिन अब कई सदस्य इस संकेत के ज़रिए प्रभावी तरीके से बातचीत करने लगे हैं.

क्यों हो रहा साइन लैंग्वेज का इस्तेमाल

टीम के एक सदस्य ने कहा, "यह टीम के सदस्यों के आपसी जुड़ाव और बेहतर संवाद के तरीकों में से एक है. विश्व कप हॉकी 2018 के आयोजन स्थल भुवनेश्वर के कलिंगा स्टेडियम में 15 हज़ार दर्शकों के बैठने की क्षमता है. मैच देखने पहुंचे दर्शकों को हमारे समर्थन में तेज़ आवाज निकालना पसंद होता है. लेकिन कई बार ये आवाज़ें इतनी तेज़ होती हैं कि हमें निर्देश सुनाई तक नहीं पड़ता. इसलिए, इस तरीके को अपनाया गया है ताकि हम मैच के दौरान इनके इस्तेमाल से संवाद कर सकें और क्या बोला जा रहा है उसे समझ सकें."

इसके अलावा अन्य विधियां भी अपनाई जा रही है. खाने के दौरान फ़ोन के इस्तेमाल की मनाही है. जो देर से पहुंचता है (यहां तक कि 30 सेकेंड की देरी से भी) उसे बाद में 500 रुपए का भुगतान करना पड़ता है और जुर्माने के इन पैसों को टीम की मौज़ मस्ती पर ख़र्च किया जाता है.

अगस्त में जकार्ता में खेले गए एशियन गेम्स के दौरान में भी कुछ ऐसी ही अनोखी सजा को अपनाया गया था. उस दौरान जो भी खिलाड़ी, कोच या सपोर्ट स्टाफ़ लेट पहुंचता या अपना किट कमरे में भूल जाता तो उसे बतौर सजा 24 घंटे के लिए एक स्कर्ट और रूस्टर हैट पहनना पड़ता था.

हरेंद्र कहते हैं, "इस तरह की तेज़ गति से खेले जाने वाले टूर्नामेंट में माहौल को सामान्य बनाए रखने के लिए ऐसा किया गया था."

ब्रेक के दौरान टीम इंडिया पुरी जाएगी

इस बार अंतरराष्ट्रीय हॉकी फ़ेडरेशन ने विश्व कप हॉकी में 12 टीमों की बजाए 18 टीमों को खिलाने का फ़ैसला किया है- तीन हफ़्ते के लंबे टूर्नामेंट का मतलब है कि मैचों के बीच बड़ा अंतराल मिलेगा, इससे खिलाड़ियों के पास बहुत ख़ाली वक्त होगा.

अधिकांश टीमों के पास पूल मैचों के दौरान तीन से चार दिनों का अंतर मिला है और खिलाड़ी खुद को व्यस्त रखने का तरीका ढूंढते रहते हैं.

भारतीय टीम के पास 8 दिसंबर को कनाडा के ख़िलाफ़ अपने अगले मैच से पहले पांच दिनों का वक्त है, इसलिए टीम तरोताज़ा होने के लिहाज से पुरी के समुद्र तट पर एक दिन बिताएगी. राज्य सरकार भी ओडिशा को खेल और पर्यटन के केंद्र के रूप में प्रचार करने को लेकर उत्सुक है. लिहाजा वो शहर के प्रसिद्ध मंदिर और पर्यटन स्थलों को बढ़ावा दे रही है ताकि लोगों को मनोरंजन और हाई प्रोफ़ाइल खेल के इस नशीले कॉकटेल का आनंद लेने के लिए आमंत्रित किया जा सके.

पाकिस्तानी खिलाड़ियों को भी अपने शुरुआती मैच से पहले एक मॉल में समय बिताते देखा गया था, जबकि दक्षिण अफ़्रीकी टीम भी कुछ विंडो शॉपिंग करती देखी गई. कुछ टीमें गोल्फ़ में हाथ आज़माएंगी तो कुछ दो दिनों के लिए बीच रिसॉर्ट पर मस्ती और आराम करेंगी.

हार्दिक ने अपना पहला विश्व कप बनाया खास

ऐसा बहुत कम ही होता कि किसी खिलाड़ी को अपना पहला विश्व कप खेलने का मौका अपने ही देश में मिल जाता है. भारतीय टीम के 20 वर्षीय मिडफील्डर हार्दिक सिंह को यह मौका मिला और वो इसे खास बनाना चाहते थे.

पंजाब के इस लड़के ने यह सुनिश्चित किया कि दक्षिण अफ़्रीका के ख़िलाफ़ पहले मैच में दर्शकदीर्घा में एक खास दर्शक मौजूद रहे.

इसके लिए उनकी मां कमलजीत संधू जालंधर से उड़ान भर कर पहुंची और इससे हार्दिक बेहद उत्साहित हो गए और उद्घाटन मैच भारत की जीत में अहम भूमिका निभाई.

हार्दिक, जिन्होंने पिछले महीने ओमान में एशियाई चैंपियंस ट्रॉफ़ी में भारत के लिए खेलना शुरू किया था. वहां भारत-पाकिस्तान संयुक्त विजेता रहे. हार्दिक को छह देशों के उस टूर्नामेंट में अच्छे प्रदर्शन के लिए पुरस्कृत किया गया और विश्व कप की टीम में शामिल किया गया.

फ़ुर्तीले पैरों वाले हार्दिक एक बेहद प्रतिभाशाली खिलाड़ी हैं, वो उस परिवार से आते हैं जिसका हॉकी से पुराना और मज़बूत नाता है.

उनके पिता वरिंदरप्रीत सिंह भी एक अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी थे और इस युवा खिलाड़ी का नाता भूतपूर्व हॉकी खिलाड़ी जुगराज सिंह और अर्जुन पुरस्कार विजेता राजबीर कौर से भी है.

हॉकी इंडिया लीग में कभी बॉल बॉय की भूमिका निभा चुके हार्दिक भुवनेश्वर में खेले जा रहे इस विश्व कप के सबसे कम उम्र खिलाड़ियों में से एक हैं.

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