मेरी कॉम और ऑनलर का इश्क यूं चढ़ा था परवान

    • Author, सूर्यांशी पांडेय
    • पदनाम, बीबीसी संवाददाता

कोई कितना ज़िद्दी हो सकता है? तीन बच्चों को जन्म देने के बाद बॉक्सिंग रिंग में लड़ने पहुंच जाए. ऐसी ज़िद!

ऐसी हिम्मत कि 35 साल की उम्र में 22 साल की खिलाड़ी से मुक्कबाज़ी करने उतर गईं और वो भी विश्व बॉक्सिंग चैंपियनशिप के 48 किलो वर्ग के मुक़ाबले में. यह मुक़ाबला पिछले हफ़्ते ही दिल्ली में संपन्न हुआ.

आप कह सकते हैं कि विश्व बॉक्सिंग चैंपियनशिप में छठा गोल्ड मेडल जीतने वालीं मेरी कॉम ज़िद्दी हैं और वो इसे स्वीकार भी करती हैं. लेकिन उनके पति के.ऑनलर कॉम भी कम ज़िद्दी नहीं हैं. वो अपनी बीवी का हौसला कभी टूटने नहीं देते.

रिंग में मेरी कॉम लड़ती हैं तो रिंग के बाहर उनके पति घर से जुड़ी समस्याओं का सामना करते हैं.

आपने मेरी कॉम की कहानी 2014 में आई बॉलीवुड फ़िल्म 'मेरी कॉम' के ज़रिए देखी होगी. कई जगह उनकी कहानी पढ़ी भी होगी, लेकिन आज जानिए ऐसी कहानी जो आपको बताएगी कि कैसे एक पति अपनी पत्नी के सपनों के लिए जीता है. उसके साथ क़दम से क़दम मिलाकर चलता है और दोनों के बीच प्रेम, सम्मान और भरोसा कम नहीं होता.

कब, कहां कैसे मिले?

पहले ये जानते हैं कि इस सच्चे प्यार की नींव कहां, कैसे रखी गई यानी कि वो पहली मुलाक़ात, वो पहला-पहला प्यार का एहसास.

लेकिन मेरी कॉम के पति और मेरी कॉम दोनों के ही मुताबिक कहानी रोमानी नहीं बल्कि बेहद सहज तरीक़े से शुरू हुई. पहली मुलाक़ात में पहली नज़र का प्यार नहीं बल्कि दोस्ती का हाथ था.

बीबीसी से ख़ास बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि वह के. ऑनलर से साल 2000 में दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में मिली थीं. उन दिनों वो नेशनल गेम्स की तैयारी कर रहीं थीं तो ऑनलर शिलॉन्ग से ग्रैजुएशन की पढ़ाई कर दिल्ली में नौकरी की तलाश में आए थे.

लेकिन वह जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में फ़ुटबॉल खेलने आया करते थे और उसी दौरान उनकी मेरी कॉम से मुलाक़ात हुई.

इस मुलाक़ात के बारे में विस्तार से बताते हुए मेरी कॉम कहती हैं कि हम पहले दोस्त के तौर पर ही मिले थे. शादी या प्यार का ख़्याल मन में आया ही नहीं था.

के.ऑनलर बताते हैं कि 'हम दोनों के बीच शुरुआत में ही इतना तालमेल बैठ गया कि दोनों एक दूसरे को समझने लगे थे.'

फिर ये दोस्ती गहरी होती गई. 2001 का एक क़िस्सा बताते हुए ऑनलर कहते हैं, ''2001 में दिल्ली आते वक़्त ट्रेन सफ़र के दौरान मेरी कॉम का बैग़, पैसा और पासपोर्ट चोरी हो गया था. जब मुझे यह पता चला तो मैंने उनकी हर तरह से मदद की और उनका पासपोर्ट बनाने में मदद की क्योंकि उसके ग़ायब होने के कुछ दिन बाद ही मेरी कॉम को एक प्रतियोगिता में हिस्सा लेने जाना था.''

इस घटना से दोनों के बीच विश्वास और बढ़ गया.

2002 में विश्व बॉक्सिंग चैंपियनशिप में मेरी कॉम ने गोल्ड मेडल जीता और उनकी इस उपलब्धि के बाद भी ऑनलर से उनसे अपने दिल की बात कह डाली और शादी के लिए पूछा.

मेरी कॉम कहती हैं कि 'हम दोनों ने ज़्यादा समय नहीं बल्कि दो साल में ही रिश्ते को मज़बूत कर लिया था और शादी करने का फ़ैसला कर लिया.'

मां-बाप थे शादी के ख़िलाफ़

लेकिन इस शादी के लिए ना लड़की वाले तैयार थे ना लड़के वाले. मेरी कॉम अपनी शादी से पहले आई इस मुसीबत के बारे में बताते हुए कहती हैं, ''मां-बाप इस शादी के ख़िलाफ़ थे क्योंकि उनको लगा कि मैं बॉक्सिंग छोड़ दूंगीं और अपने करियर पर ध्यान नहीं दूंगी. उन्हें लोग-समाज का भी डर था कि लोग कहेंगे कि बॉक्सर थी और अब शादी करके घर बैठ गई है.''

यहां तक कि मेरी कॉम के कोच तक इस रिश्ते से नाख़ुश थे. लेकिन सभी की बातों को, तानों को दरकिनार करते हुए मेरी कॉम और ऑनलर ने शादी करने की ठान ली और फिर 2005 में शादी के बंधन में बंध गए.

शादी के बाद ही 2005 में रूस में आयोजित हुए विश्व बॉक्सिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल लाकर उन्होंने मानों बिना कुछ बोले बल्कि अपने मुक्कों से जवाब दे दिया.

शादी के बाद उनके पति हमेशा उनका साथ देते रहे. उनकी ट्रेनिंग का हिस्सा बनते, वह ट्रेनिंग के लिए जातीं तो घर का ध्यान रखते और साथ ही साथ नौकरी पर भी जाते.

"ग़ुस्से से लाल हो जाती हैं मेरी कॉम!"

इतनी समझदारी ना जाने कैसे है इस रिश्ते में. इस रिश्ते कि ताक़त ऑनलर कि इस बात से भी पता चलती है, जब वो बताते हैं कि कैसे वह मेरी कॉम के ग़ुस्से का सामना करते हैं.

वो कहते हैं, ''बॉक्सर्स बहुत ग़ुस्से वाले होते हैं. मेरी कॉम बहुत जल्दी ग़ुस्सा हो जातीं हैं. ऐसे में मैं या तो उस जगह से चला जाता हूं ताकि वो शांत हो जाएं या फिर अचानक से कुछ और टॉपिक पर बात छेड़ देता हूं ताकि उसका ध्यान कहीं और चला जाए और वह थोड़ी शांत हो जाए. जब वो शांत हो जाती है तो हम बैठकर बातें करते हैं. इसमें संयम मुझे ही रखना पड़ता है.'

वो बताते हैं, ''दोस्ती के दौरान ही मैं मेरी कॉम को समझने लगा था और उन्हें अच्छे से पता है कि मेरी कॉम के ग़ुस्से से कैसे निपटना है.''

शादी के बाद मेरी कॉम ने कई ख़िताब अपने नाम किए. 2005 में ताइवान के काओशियुंग शहर में हुए एशियन चैंपियनशिप में गोल्ड, 2006 में नई दिल्ली में आयोजित विश्व चैंपियनशिप में गोल्ड जीते.

जब रिंग में जाती हैं मेरी कॉम तो पति निभाते मां का किरदार

फिर चुनौती आई जब मेरी कॉम गर्भवती हुईं. उस वक़्त मेरी कॉम अपने करियर में अच्छा कर रहीं थीं, लेकिन दोनों ने परिवार को बढ़ाने का फ़ैसला किया और 2007 में उनकी ज़िंदगी में दो जुड़वा बच्चों ने दस्तक दी.

लेकिन अब मेरी कॉम के सपनों का क्या? क्या ममता के आंचल में उनके सारे सपने हमेशा के लिए छिप जाते?

उनके दृढ़ संकल्प और पति के साथ ने मेरी कॉम के सपनों को कभी ख़त्म होने ही नहीं दिया.

ऑनलर बताते हैं कि मेरी कॉम जब ट्रेनिंग के लिए जाती थीं तो वो पीछे से बच्चों का हर तरह से ध्यान रखते हैं. उनके घर के काम में उनके सास-ससुर भी हाथ बँटाते.

ऑनलर ने ग्रैजुएशन के साथ-साथ मणिपुर यूनिवर्सिटी से एम. ए भी किया था. लेकिन वो अपना सब कुछ मेरी कॉम के सपनों में तलाशने लगे.

ज़िद्दी मेरी कॉम!

मेरी कॉम बच्चों को जन्म देने के बाद अपनी ट्रेनिंग के बारे में कहती हैं कि 'डॉक्टर ने कहा था कि तीन साल तो लगेंगे फ़िट होने के लिए लेकिन मैंने एक साल में ही अपने आपको को बॉक्सिंग रिंग के लायक कर लिया'

2007 में दो जुडवा बच्चों को जन्म देने के बाद मेरी कॉम ने ठीक एक साल बाद 2008 में गुवाहाटी में हुए एशियन चैंपियनशिप में भाग लिया और सिल्वर मेडल जीता. इसके बाद उसी साल चीन में हुए विश्व बॉक्सिंग चैंपियनशिप में गोल्ड जीता.

और फिर तो मानो मेडल के गुच्छे गले में सजते ही रहे:

  • 2012 में लंदन में हुए ओलंपिक खेलों में कांस्य पदक अपने नाम किया.
  • 2010 में एशियन गेम्स में कांस्य पदक

2013 में मेरी कॉम की ज़िंदगी में तीसरा फरिश्ता बनकर आया उनका सबसे छोटा बेटा, प्रिंस. उसके जन्म के बाद मेरी कॉम फिर से रिंग में पहुंच गईं.

  • 2014 में गोल्ड - एशियन गेम्स
  • 2018 में राष्ट्रमंडल खेलों में गोल्ड

और 24 नवंबर को समाप्त हुए विश्व बॉक्सिंग चैंपियनशिप में गोल्ड हासिल करके मुक्केबाज आयरलैंड की कैटी टेलर को पछाड़कर सबसे अधिक छह बार विश्व चैंपियनशिप में खिताब जीतने वाली पहली महिला मुक्केबाज बन गईं.

"सपनों का राजकुमार!"

इतने रिकॉर्ड, इतने मेडल मेरी कॉम ने जीते, लेकिन ज़िंदगी का असली धन तो उन्हें साल 2000 में ही मिल गया था जब उन्होंने एक ऐसा जीवन साथी चुना जो उनके ज़स्बे से मोहब्बत करता है, उनके शरीर से नहीं उनके दिल से उनको देखता है.

मेरी कॉम कहती हैं, ''आजतक ऑनलर ने कभी मुझे अकेला नहीं छोड़ा. मेरा हर मुसीबत में साथ दिया. जब भी मुझे खाली वक़्त मिलता है मैं ऑनलर के लिए ख़ुद खाना बनाती हूं और अपने बच्चों के लिए भी.''

मेरी कॉम के पति अब मेरी कॉम बॉक्सिंग एकेडमी चलाते हैं.

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