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भूटान नरेश भारत की यात्रा पर | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
भूटान नरेश जिग्मे खेसर नाग्याल वांग्चुक की भारत यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच मैत्री संधि की समीक्षा होगी और नई मैत्री संधि पर हस्ताक्षर किए जाएंगे जिसमें भूटान को कई अधिकार मिलेंगे. भूटान नरेश के तौर पर जिग्मे खेसर वांग्चुक की यह पहली भारत यात्रा होगी. वो बुधवार को भारत की दो दिवसीय यात्रा पर दिल्ली पहुंच रहे हैं. क़रीब पचास साल पुरानी मैत्री संधि के कई प्रस्तावों को बदला जा रहा है जिसमें धारा 2 और 6 भी शामिल हैं. इन प्रस्तावों के बदलने से भूटान अपनी विदेश नीति को लेकर बहुत स्वतंत्र हो सकेगा. धारा 2 में कहा गया है कि भूटान अपनी विदेश नीति भारत की सलाह के अनुसार बनाएगा लेकिन अब इसकी भाषा बदल कर सलाह की जगह सहयोग लाया गया है. नई संधि में यह बात भी शामिल होगी कि भूटान अपनी ज़मीन से किसी भी प्रकार की भारत विरोधी गतिविधियां नहीं चलने देगा. धारा 6 में बदलावों के बाद भूटान भारत की अनुमति के बिना किसी अन्य देश से कम ख़तरनाक सैन्य उपकरण ख़रीद सकेगा. अबतक ऐसा करने के लिए उसे भारत से अनुमति लेनी होती थी. अपनी छह दिवसीय यात्रा में जिग्मे ख़ेसर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम और संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाक़ात करने वाले हैं. | इससे जुड़ी ख़बरें भूटानी शरणार्थियों की भूख हड़ताल | भारत और पड़ोस उल्फ़ा के संस्थापक की भूटान में मौत19 दिसंबर, 2003 | भारत और पड़ोस भूटान में नए संविधान का मसौदा तैयार27 मार्च, 2005 | भारत और पड़ोस गद्दी छोड़ेंगे भूटान नरेश वांगचुक18 दिसंबर, 2005 | भारत और पड़ोस भूटान से लगी अंतरराष्ट्रीय सीमा सील03 दिसंबर, 2006 | भारत और पड़ोस भूटान नरेश ने राजगद्दी छोड़ी15 दिसंबर, 2006 | भारत और पड़ोस इंटरनेट लिंक्स बीबीसी बाहरी वेबसाइट की विषय सामग्री के लिए ज़िम्मेदार नहीं है. | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
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