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शुक्रवार, 15 दिसंबर, 2006 को 19:04 GMT तक के समाचार
 
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भूटान नरेश ने राजगद्दी छोड़ी
 
ज़िग्मे सिंग्ये वाँग्चुक
पहले भूटान नरेश ने वर्ष 2007 के मध्य में राजगद्दी छोड़ने का फैसला किया था
भूटान नरेश ज़िग्मे सिंग्ये वांगचुक ने राजगद्दी छोड़ दी है. उनके बेटे जिग्मे केसर नामग्याल नए भूटान नरेश होंगे.

राजा वांगचुक के गद्दी छोड़ने का शाही आदेश गुरुवार को मंत्रिपरिषद की बैठक में पढ़ा गया.

उस आदेश में राजा वागग्चुक ने लिखा था,''मैं भूटान के राजगद्दी छोड़ रहा हूँ.''

अपनी घोषणा में भूटान नरेश वांगचुक ने पिछले तीन दशकों के दौरान उनको मिले समर्थन के लिए भूटान की जनता, धर्म गुरुओं और व्यापारी समुदाय का धन्यवाद किया है.

ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में पढ़ चुके राजकुमार जिग्मे केसर नामग्याल भूटान के पाँचवे नरेश होंगे. हालाँकि ये अब तक साफ़ नहीं हुआ है कि उनकी ताजपोशी कब होगी.

सन् 2003 में असम के कुछ भारत विरोधी छापामारों के साथ भूटान सेना की लड़ाई के दौरान अपने पिता की मदद के लिए राजकुमार नामग्याल वापस आए थे.

शाही परिवार के एक अधिकारी ने फोन पर बताया,'' राजकुमार को प्रशासन चलाने के पर्याप्त अनुभव और मौक़े की ज़रुरत है इसलिए भूटान नरेश ने तय समय से पहले ही गद्दी छोड़ने का फैसला किया है.''

भूटान नरेश ने पहले 2007 के मध्य में राज गद्दी छोड़ने का फ़ैसला किया था.

लोकतंत्र

भूटान 2008 में एक नए संविधान के तहत संसदीय लोकताँत्रिक देश बन जाएगा.

इसी साल भूटान में पहली बार आम चुनाव कराए जाएंगे. इन चुनावों में मतदान करने के लिए किसी भी तरह की रोक नहीं होगी.

इन चुनावों से भूटान के इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय जुड़ जाएगा जब भूटान के पूर्ण शाही राज का अंत हो जाएगा और संवैधानिक लोकतंत्र की शुरुआत होगी.

भूटान में ये चुनाव दो चरणों में कराए जाएंगे. पहले चरण के चुनाव में कोई भी पार्टी या उम्मीदवार चुनाव में हिस्सा ले सकते हैं.

लेकिन देश के संविधान को ध्यान में रखते हुए दूसरे चरण के चुनाव में सिर्फ़ उन दो पार्टियों को ही चुनाव में शामिल होने दिया जाएगा जिन्हें पहले चरण में सबसे ज़्यादा वोट मिलेंगे.

जिस पार्टी के उम्मीदवार ज़्यादा सीट जीतेंगे उसी को सरकार बनाने का मौक़ा दिया जाएगा.

अगले साल एक अंतरिम संविधान को अपनाया जाएगा जिसके अनुसार संसद में दो सदनों में से ऊपर के सदन में 20 सीटें होंगी और निचले सदन में 75 सीटें होंगी.

राजा वांगचुक ने इस दशक की शुरुआत में ही लोकतंत्र की तरफ क्रमबद्ध शुरुआत कर दी थी.

उन्होंने देश में राष्ट्रीय सभा या संसद बनाकर मंत्रिपरिषद का गठन कर दिया था और उसे देश का प्रशासन चलाने की ज़िम्मेदारी दे दी थी.

भूटान में राष्ट्रीय सभा या संसद ने ही एक समिति गठित की थी जिसे देश के लिए संविधान बनाने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई है.

 
 
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