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विदर्भ, दक्षिणी राज्यों के किसानों को पैकेज | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
पिछले महीने महाराष्ट्र के विदर्भ इलाके में 80 किसानों ने आत्महत्या कर ली. पिछले एक साल में 450 किसानों ने आत्महत्या की है. संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की सरकार को सत्ता में आए हुए दो साल हो गए हैं और 2004 के चुनाव में काँग्रेस ने वायदा किया था कि सत्ता में आने के बाद वो देश के कुछ हिस्सों में किसानों की आत्महत्या रोकेगी. आंध्रप्रदेश में किसानों की आत्महत्या के मामले काफी हद तक रूके लेकिन विदर्भ में ऐसा नहीं हुआ. अब प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पहली बार विदर्भ की यात्रा पर 30 जून से तीन जुलाई के लिए जा रहे हैं. पुनर्वास योजना इस मौके पर वे विदर्भ सहित आंध्रप्रदेश, कर्नाटक और केरल के उन ज़िलों के लिए एक पुनर्वास की योजना की घोषणा करेंगे जहाँ पिछले सालों में कर्ज़ के दबाव से बेहाल किसानों ने आत्महत्या की थी. पिछले एक हफ्ते से प्रधानमंत्री कार्यालय, कृषि मंत्रालय, योजना आयोग और वित्त मंत्रालय के अधिकारी आर्थिक पैकेज के विभिन्न बिंदुओं पर चर्चा कर रहे हैं. प्रधानमंत्री ने कृषि संकट पर अध्ययन कर रहे जाने माने पत्रकार पी साइनाम को भी दिल्ली बुलाया और किसानों की समस्या पर चर्चा की. लेकिन पैकेज में किसानों की आर्थिक समस्या कम करने के लिए उनके कर्ज़ माफ किए जाने से लेकर उनके बच्चों की आर्थिक सहायता दिए जाने पर भी चर्चा हो रही है. मगर वित्त मंत्रालय ऐसा कुछ नहीं करना चाहता जिससे केंद्र सरकार का घाटा बढ़े. वित्त मंत्रालय की चिंता ‘द हिंदू’ अख़बार की कृषि मामलों के विशेषज्ञ गार्गी परसाई का कहना है कि जब किसानों का सवाल उठता है तो निश्चित ही वित्त मंत्रालय अपनी जेब ढीली नहीं करता. उसे डर रहता है कि बैंकों पर दबाव बढेगा. इस कारण प्रधानमंत्री के पैकेज के स्वरूप पर सरकार के विभिन्न विभाग अपनी अपनी राय दे रहे हैं. यूपीए अध्यक्ष सोनिया गाँधी ने भी प्रधानमंत्री से कहा है कि वे किसानों के लिए कुछ करें. लेकिन सरकारी सूत्रों का कहना है कि शरद पवार और प्रधानमंत्री कार्यालय के बीच इस पैकेज को लेकर मतभेद पैदा हो गए हैं. पवार का मानना है कि केंद्र सरकार में कुछ लोग किसानों की मौत के लिए उनको जिम्मेवार ठहरा रहे हैं जो सही नहीं है. पैकेज के विभिन्न बिंदुओं को लेकर पवार की सलाह ली नहीं जा रही है जिसके बाद पवार ने अपना असंतोष ज़ाहिर कर दिया है. अगले दो दिन में पैकेज तैयार होने की उम्मीद है. हालाँकि पवार का कहना है कि जल्दबाज़ी में कोई पैकेज तैयार नहीं किया जाए. | इससे जुड़ी ख़बरें किसानों की पीड़ा कौन दूर करेगा07 अक्तूबर, 2004 | भारत और पड़ोस हरित क्रांति लाने वालों का कड़वा सच14 अक्तूबर, 2004 | भारत और पड़ोस नाराज़ हैं हरियाणा के किसान02 फ़रवरी, 2005 | भारत और पड़ोस आत्महत्या करने को मजबूर विदर्भ के किसान26 अप्रैल, 2006 | भारत और पड़ोस केरल में आत्महत्या को मजबूर किसान29 मई, 2006 | भारत और पड़ोस | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
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