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सैन्य बलों के लिए ट्रिब्यूनल बनेगा | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
केंद्र की यूपीए सरकार ने भारतीय सैन्य बलों के लिए एक न्यायाधिकरण यानी ट्रिब्यूनल बनाने का फ़ैसला किया है. इसके लिए शीघ्र ही एक विधेयक लाया जाएगा. इस ट्रिब्यूनल का प्रमुख न्यायिक अधिकारी होगा और यह सेना के तीनों अंगों के लिए अपीलीय न्यायालय की तरह काम करेगा. गुरुवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इसका फ़ैसला किया गया. मंत्रिमंडल की बैठक के बाद इसकी जानकारी देते हुए वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने बताया कि सैन्य बलों के लिए ट्रिब्यूनल या पंचाट बनाने का फैसला छह साल से लंबित था. उन्होंने कहा कि पिछले कुछ सालों में सेना के छोटे बड़े अधिकारी, जिनमें एयर मार्शल जैसे बड़े अधिकारी भी थे अपने अधिकारों के लिए न्यायालय का दरवाज़ा खटखटा रहे थे. इसके बाद सेना के तीनों अंगों के प्रमुखों की सहमति से इस ट्रिब्यूनल के गठन का फ़ैसला किया गया. उन्होंने बताया कि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने भी हाल ही में एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा था कि सरकार चाहे तो इस तरह का एक ट्रिब्यूनल गठित कर सकती है. इस ट्रिब्यूनल सेना के तीनों शाखाओं के लिए सभी विवादों के अलावा कोर्ट मार्शल की भी सुनवाई करेगा. किसी पूर्व न्यायाधीश को इसका प्रमुख बनाया जाएगा. वित्तमंत्री चिदंबरम ने स्पष्ट किया कि इस ट्रिब्यूनल के गठन से सैन्य कर्मियों के न्यायिक अधिकारों का हनन नहीं होगा और वे किसी भी मामले को लेकर न्यायालय तक जाने के लिए स्वतंत्र होंगे. संविधान की धारा 246 के तहत गठित होने वाले इस ट्रिब्यूनल के लिए संसद में जल्दी ही एक विधेयक लाया जाएगा क्योंकि इसके लिए थल सेना, वायु सेना और नौसेना के अधिनियमों में भी परिवर्तन करना होगा. |
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