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सैनिक भर्ती के लिए एड्स परीक्षण | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
भारत के राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने सशस्त्र सेनाओं में एचआईवी/एड्स के संक्रमण को रोकने लिए अब कुछ नए उपायों घोषणा की है. राष्ट्रपति ने कहा है कि उन उपायों के तहत अब सशस्त्र सेनाओं में सभी तरह की भर्तियों के लिए एचआईवी का परीक्षण किया जाएगा. ग़ौरतलब है कि एचआईवी के संक्रमण से व्यक्ति को एड्स हो सकता है. पूर्वोत्तर शहर शिलांग में शनिवार को एक सेना सेमिनार में राष्ट्रपति ने कहा है कि ये परीक्षण अक्तूबर 2005 से ही शुरू किए जाएंगे और इनमें सैन्यकर्मियों की गर्भवती पत्नियों के भी परीक्षण किए जाएंगे. राष्ट्रपति ने कहा कि यह भी ज़रूरी है कि एचआईवी से संक्रमण के ज़्यादा मामलों वाले क्षेत्रों में तैनात सैनिकों की लगातार जाँच की जाए. पिछले क़रीब दो साल के दौरान भारतीय सेना के लगभग 200 कर्मी एड्स की वजह से जान गँवा चुके हैं. भारतीय सेना के एक वरिष्ठ कमांडर लैफ़्टिनेंट जनरल भूपिन्दर सिंह ने कहा कि एचआईवी/एड्स भारत के लिए एक सुरक्षा ख़तरा बन चुका है. उन्होंने कहा कि एड्स अपने आप में किसी युद्ध से कम विध्वंसक नहीं है. एचआईवी से संक्रमित लोगों की संख्या के हिसाब से दुनिया भर में भारत का दूसरा स्थान है. अनुमान है कि भारत में क़रीब पचास लाख लोग एचआईवी से संक्रमित हैं और वर्ष 2010 तक यह संख्या दो करोड़ होने की आशंका जताई गई है. एचआईवी से संक्रमित लोगों की सबसे ज़्यादा संख्या दक्षिण अफ्रीका में है. भारत सरकार देश में एचआईवी और एड्स के बारे में लोगों को जागरूक बनाने के प्रयास कर रही है, हालाँकि देश में सेक्स अब भी एक ऐसा विषय है जिसपर खुलकर बहस नहीं होती. |
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