| अमरीका ने भारत का अनुरोध ठुकराया | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
अमरीका के विदेश मंत्रालय ने गुजरात के मुख्यमंत्री को वीज़ा न देने के अपने फ़ैसले पर कायम रहने का निर्णय किया है. अमरीकी विदेश मंत्रालय ने भारत सरकार के इस मामले में पुनर्विचार के अनुरोध को ठुकरा दिया है. भारत में अमरीका के राजदूत डेविड सी मलफ़र्ड का कहना था कि नरेंद्र मोदी के अमरीकी में दाख़िल होने पर लगा प्रतिबंध जारी रहेगा. मलफ़र्ड का कहना था, "अमरीकी विदेश मंत्रालय मोदी का वीज़ा रद्द करने के अपने पहले फ़ैसले पर कायम है." उनका कहना था कि अमरीका का फ़ैसला विदेश मंत्रालय की मानवाधिकार रिपोर्ट और अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट पर आधारित है. उनका कहना था कि दोनो रिपोर्टों में गुजरात दंगों का ज़िक्र है जब नरेंद्र मोदी राज्य में प्रशासन के लिए ज़िम्मेदार थे. ये भी कहा गया कि दोनो रिपोर्टों में भारत के राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का ज़िक्र है जिसमें माना गया कि राज्य सरकार दंगों के दौरान लोगों के जान-माल की सुरक्षा करने में नाकाम रही. गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को अमरीकी में एक जनसभा को संबोधित करने के लिए बुलाया गया था लेकिन अमरीकी ने उनका वीज़ा रद्द कर दिया था. अमरीका ने सप्ताह नरेंद्र मोदी पर धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करने का आरोप लगाया था. अमरीकी फ़ैसले पर बवाल मोदी को वीज़ा नहीं दिए जाने के मुद्दे ने काफ़ी तूल पकड़ा था और भारत सरकार ने इस मुद्दे पर अमरीका सरकार से नाराज़गी जताई थी. भारतीय जनता पार्टी के साथ-साथ अन्य राजनीतिक दलों ने भी अमरीका के इस फ़ैसले की निंदा की थी. उधर नरेंद्र मोदी ने फ़ैसले को अलोकतांत्रिक बताया था. अहमदाबाद में एक संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने कहा था कि अमरीका का ये फ़ैसला 'भारतीय संविधान और आत्मसम्मान' का अपमान है. उन्होंने अमरीका पर दोहरे मापदंड अपनाने का भी आरोप लगाया. मोदी ने कहा कि एक तरफ़ तो उन्हें वीज़ा देने से इनकार किया गया है और उधर पाकिस्तान के राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ़ का स्वागत किया जा रहा है जिनपर भारत आतंकवाद को शह देने का आरोप लगाता है. सांप्रदायिक दंगे ग़ौरतलब है कि मार्च 2002 में गुजरात के विभिन्न हिस्सों में बड़े पैमाने पर सांप्रदायिक दंगे हुए थे जिनमें लगभग दो हज़ार लोग मारे गए थे. मारे गए लोगों में ज़्यादातर मुसलमान थे. इसको लेकर मानवाधिकार संगठनों ने नरेंद्र मोदी की कड़ी आलोचना की थी लेकिन वो सत्ता में बने रहे. यहाँ तक कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने गुजरात दंगों को पार्टी की हार की एक प्रमुख वजह बताया था और कहा था कि दंगों के बाद नरेंद्र मोदी को न हटाना बड़ी ग़लती थी. लेकिन बाद में वाजपेयी ने कहा कि नरेंद्र मोदी का मुद्दा पुराना पड़ गया है और अब पार्टी को भविष्य पर चर्चा करनी चाहिए. |
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