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फिर चला बीबीसी हिंदी का कारवाँ | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
बीबीसी हिंदी कारवाँ का पहला पड़ाव भोपाल. भोपाल को लेक सिटी या झीलों का शहर भी कहते हैं. और झील की सतह को चूमकर उठती हवाओं ने स्वागत किया बीबीसी हिंदी कारवाँ का. सुहानी हवा के झोंकों के साथ आया प्यार बीबीसी के हज़ारों सुनने वालों का. हमेशा की तरह हमारे पहुँचने से पहले श्रोताओं का इंतज़ार जैसे शुरु हो गया था. मिसाल दें तो सुबह सुबह फ़ोन आया एक पुरानी श्रोता शफ़ीका फ़रहत का. और उनकी कही यह बात कि वो जितनी पाबंदी से नमाज़ पढ़ती हैं उतनी ही पाबंदी से रोज़ बीबीसी हिंदी के कार्यक्रम सुनती हैं- दिल को छू गई. और श्रोताओं के इसी विश्वास के साथ शुरु हुआ बीबीसी हिदी कारवां 'आपकी बात बीबीसी के साथ' का पहला कार्यक्रम, पत्रकार सम्मेलन के साथ. उत्साह
सभास्थल पर बड़ी संख्या में आए पत्रकारों को और उनके उत्साह को देखकर लगा कि जिस विश्वास और मक़सद के साथ इस कार्यक्रम का आयोजन हो रहा है उसकी नींव पक्की है. बीबीसी हिंदी कारवाँ के उद्देश्य को सामने रखा दिल्ली में बीबीसी हिंदी की संपादक सीमा चिश्ती ने. सीमा चिश्ती ने कहा,"एक मक़सद तो ये है कि श्रोताओं के जीवन में परिवर्तन आ रहा है उससे अपने आपको अवगत कराएँ और फिर ये भी उद्देश्य है कि जो असल में कार्यक्रम करते हैं उन लोगों को श्रोताओं के बीच पहुँचाया जाए". इस कार्यक्रम में जहाँ श्रोताओं के बदलते हुए परिवेश के अनुसार अपने आप को ढालने की बात हुई वहीं ज़ोर इस बात पर भी दिया गया कि बीबीसी हिंदी अपने सुनने वालों की संस्कृति के साथ जुड़ना चाहती है. यही मक़सद है कि बीबीसी हिंदी कारवां के प्रचार के लिए चित्र बनाए लोकचित्रकार भज्जू श्याम ने. भज्जू श्याम ने लोककला की ही शैली में बीबीसी हिंदी और उसके सुनने वालों के बीच रिश्ते को अपने पारंपरिक प्रतीकों के ज़रिए व्यक्त किया. भज्जू श्याम ने कहा,"मैंने एक घेरा बनाया है जो गाँव का प्रतीक है और घेरे के बीच बीबीसी को रखा है. साथ ही, एक चिड़िया भी बनाई है जिसकी चोंच खुली है मानो वह ख़बर सुना रही है". चुनौतियाँ
बीबीसी कारवाँ के पत्रकार सम्मेलन में आए पत्रकारों की जिज्ञासा कुछ इतनी प्रबल लग रही थी कि भूमिका के पूरे होने से पहले ही सवालों की झड़ी लग गई. सबसे अधिक सवाल इस मुद्दे पर थे कि भारत में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की बढ़ती पहुँच के सामने बीबीसी हिंदी अपने श्रोताओं को कैसे अपने साथ रख पाएगी. इस संबंध में बीबीसी हिंदी विभाग की प्रमुख अचला शर्मा ने कहा कि बीबीसी हिंदी पर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का अच्छा ख़ासा असर पड़ा है और पिछले 10 वर्षों में श्रोताओं की संख्या कम हुई है. अचला शर्मा ने कहा,"रेडियो का अब जो भी भविष्य है वह एफ़एम की आज़ादी से जुड़ा है.जैस-जैसे एफ़एम पर समाचारों के प्रसारण की आज़ादी मिलेगी वैसे-वैसे रेडियो फिर से अपना पुराना अस्तित्व पा लेगा". शुरूआत साथ ही, 'नई दुनिया' समाचार समूह के सहयोग से बीबीसी हिंदी डॉट कॉम की ख़बरों को लोगों तक पहुँचाने के समझौते की भी घोषणा हुई. और श्रोताओं के साथ अपने रिश्ते मज़बूत करने के लिए उनकी संस्कृति से जुड़ने के लिए बीबीसी ने एक और कार्यक्रम शुरु करने की घोषणा की. और ये भी कि बीबीसी अब बनाने जा रहा है विश्व का सबसे बड़ा फ़ोटो एलबम. इस सिलसिले में दुनिया के 200 से ज्यादा देशों में जहाँ लोग रेडियो, टेलीविज़न या इंटरनेट के माध्यम से बीबीसी के साथ जुड़े हैं उन लोगों की तस्वीरें, उनके बारे में और उनके माहौल उनके प्रदेश के मुद्दों की जानकारी बीबीसी प्रकाशित करेगी. भोपाल के सफ़र के बाद नौ मार्च को बीबीसी का कारवाँ श्रोताओं से मुलाक़ात करेगा विदिशा में. शाम चार बजे नगु पटिका मैदान में एक परिचर्चा होगी जिसका विषय होगा- क्यों घट रहा है विदिशा का ऐतिहासिक महत्व. |
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