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चल पड़ा बीबीसी हिंदी का कारवाँ | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
बीबीसी हिंदी का 'कारवाँ' उत्तर प्रदेश और बिहार के दो महीने के दौरे पर रवाना हो गया है. बीबीसी हिंदी को श्रोताओं से जोड़ने और उनकी भागीदारी बढ़ाने के लिए चला ये कारवाँ मुख्य रूप से मध्य और पूर्वी उत्तर प्रदेश के साथ बिहार के विभिन्न क्षेत्रों में जाएगा. ये कारवाँ बीबीसी वर्ल्ड सर्विस के भारत से जुड़े मामलों के प्रमुख सैम मिलर ने उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से झंडी दिखाकर रवाना किया. कारवाँ पाँच फ़रवरी को गोंडा में टॉमसन कॉलेज के अहाते में दो बजे पहुँचेगा. कारवाँ को रवाना करते समय आयोजित संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने उत्तर प्रदेश और बिहार को बीबीसी हिंदी सेवा की हृदयस्थली बताया. इस मौके पर बीबीसी हिंदी सेवा की प्रमुख अचला शर्मा, हिंदी सेवा की दिल्ली संपादक सीमा चिश्ती और उत्तर प्रदेश के संवाददाता रामदत्त त्रिपाठी भी मौजूद थे.
हिंदी सेवा की प्रमुख अचला शर्मा ने कहा कि बीबीसी हिंदी सेवा श्रोताओं की राय और विचारों को बहुत महत्त्व देती है और ये मौका इस रिश्ते को मज़बूत करने का है. उनका कहना था, "हम अपने श्रोताओं के लिए एक मंच तैयार करना चाहते हैं जो उनके लिए विचार और चिंताएँ व्यक्त करने का व्यापक माध्यम बन सके. श्रोताओं के साथ वैचारिक आदान-प्रदान के इन कार्यक्रमों के कुछ अंश बीबीसी हिंदी पर प्रसारित भी किए जाएँगे." इस अवसर पर सीमा चिश्ती ने कहा कि बीबीसी हिंदी को बहुत से भारतीय पत्रकारों और विशेषज्ञों का सहयोग भी प्राप्त है जो समाचारों को भारतीय श्रोताओं के लिए उपयोगी और प्रासंगिक बनाता है. इस कारवाँ के तहत चल रही बस पर बीबीसी हिंदी सेवा लिखा है और उसमें एक चलता-फिरता स्टूडियो भी है. इस तरह स्टूडियो को लोगों के दरवाज़े तक पहुँचाया जा रहा है जिससे लोगों की बात सीधे प्रसारित की जा सके. |
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