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ज़रदारी ज़मानत पर रिहा | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व प्रधानमंत्री बेनज़ीर भुट्टो के पति आसिफ़ ज़रदारी को ज़मानत दे दी है जिसके बाद उन्हें रिहा कर दिया गया है. रिहाई के बाद ज़रदारी अपने कराची स्थित घर बिलावल हाउस पहुँच गए हैं. कराची जेल के सुपरिंटेंडेंट ने उनकी रिहाई का आदेश कराची के जियाउद्दानी अस्पताल में पहुँचाया जहाँ ज़रदारी भर्ती थे. उनकी ज़मानत की ख़बर सुनते ही पार्टी कार्यकर्ता, स्थानीय नेता और उनके समर्थक बड़ी संख्या में अस्पताल में पहुँच गए. ज़रदारी 1996 से ही जेल में बंद थे और उनपर भ्रष्टाचार और हत्या की साज़िश रचने का आरोप है. सोमवार को अदालत ने उनके ख़िलाफ़ आख़िरी मामले में उन्हें 10 लाख रूपए के मुचलके पर ज़मानत दे दी. पाकिस्तान सरकार ने अदालत के फ़ैसले पर प्रसन्नता जताई है. पाकिस्तान के सूचना मंत्री शेख़ राशिद अहमद ने कहा है देश में राजनीतिक सद्भावना बढ़ेगी. शेख़ राशिद ने कहा,"सरकार सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले का सम्मान करेगी और जैसे ही वे ज़मानत की राशि जमा करते हैं उनको रिहा कर दिया जाएगा". प्रतिक्रियाएँ उधर बेनज़ीर भुट्टो ने दुबई से एक टीवी चैनल को बताया कि उन्हें इस दिन का पिछले आठ साल से इंतज़ार था. दो बार पाकिस्तान की प्रधानमंत्री रह चुकीं बेनज़ीर अभी अपने तीन बच्चों के साथ संयुक्त अरब अमीरात और लंदन में निर्वासन का जीवन व्यतीत कर रही हैं. 1990 और 1996 में कथित भ्रष्टाचार के आरोप के कारण बेनज़ीर की सरकार को बर्ख़ास्त कर दिया गया था. बेनज़ीर पाकिस्तान के मुख्य विपक्षी दल पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की अध्यक्ष हैं. उनकी पार्टी के एक प्रवक्ता फ़रहतुल्ला बाबर ने अदालत के फ़ैसले को सत्य की जीत बताया. उन्होंने कहा,"जिनलोगों ने ज़रदारी को लगभग आठ वर्षों तक ग़ैर क़ानूनी तरीक़े से हिरासत में रखा, उनको अपना सिर शर्म से झुका लेना चाहिए". मामले आसिफ़ ज़रदारी पर कई मुक़दमे चल रहे हैं जिनमें एक को छोड़ अन्य मामलों में उनको पहले ही ज़मानत मिल चुकी है. जिस मामले में उनको सोमवार को ज़मानत मिली वह एक कार के आयात कर की कथित चोरी का मामला है. उनपर 1996 में बेनज़ीर के भाई मीर मुर्तज़ा की हत्या में हाथ होने का भी आरोप है. |
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