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केरल में कोका कोला को एक और झटका | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
कोका कोला कंपनी ने केरल सरकार के उस फ़ैसले को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है जिसमें सरकार ने कंपनी को अपने प्लांट के लिए पानी निकालने से मना कर दिया है. ग़ौरतलब है कि केरल के पालक्कड़ ज़िले में कोका कोला का एक बहुत बड़ा प्लांट है जो अपने उत्पादों के लिए आसपास के क्षेत्र से भारी मात्रा में पानी निकालता है. चूँकि कंपनी के सभी उत्पादों के लिए पानी की भारी ज़रूरत होती है इसलिए वह भारी पंपों के ज़रिए पानी खींचकर अपने प्लांट में इकट्ठा करती है. क्षेत्र के किसानों ने इसकी वजह से कुँए सूखने और फ़सलों को भारी नुक़सान होने के आरोप लगाए हैं और यह मामला अदालत में है. पिछले साल दिसंबर में केरल हाई कोर्ट ने भी कंपनी को इस प्लांट के लिए इलाक़े का पानी निकालने पर रोक लगा दी थी. केरल के मुख्यमंत्री एके एंटोनी ने मंगलवार को आदेश जारी करते हुए कहा कि कोका कोला कंपनी को जून तक पंपों के ज़रिए पानी निकालने की इजाज़त नहीं दी जाएगी क्योंकि कंपनी के पानी निकालने से सूखा पड़ने का ख़तरा पैदा हो गया है. विकल्प तलाशे मुख्यमंत्री ने कहा है कि ऐसे हालात में कंपनी को पानी निकालने की इजाज़त नहीं दी जा सकती अलबत्ता कंपनी अपना प्लांट चालू रख सकती है लेकिन उसे पानी के अन्य विकल्प तलाशने होंगे.
पर्यावरणवादियों का कहना है कि कोका कोला के इस प्लांट की वजह से क्षेत्र के किसानों की मुसीबतें शुरू हुई हैं और इलाक़े में बहुत से कुँए सूख गए हैं और जो बचे भी हैं उनका पानी पीने लायक़ नहीं बचा है. ग्रामीणों का कहना है कि प्लांट से निकलने वाला कचरा खेतों में डालने से फ़सलों को भारी नुक़सान हो रहा है. जबकि कोका कोला कंपनी इन आरोपों का खंडन करते हुए कहती है कि वह इस मामले में सभी मानकों का पालन करती है. भारत में कोका कोला के उपाध्यक्ष सुनील गुप्ता ने बुधवार को कहा कि राज्य सरकार का यह आदेश दुर्भाग्यपूर्ण है. उन्होंने कहा कि पालक्कड़ ज़िले में उनकी कंपनी का प्लांट हर दिन क़रीब 400 घन मीटर (क्यूबिक मीटर) पानी निकालता है और कंपनी बारिश के पानी को इकट्ठा करके इस्तेमाल करने की परियोजना पर भी काम कर रही है. |
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