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बुधवार, 18 फ़रवरी, 2004 को 16:16 GMT तक के समाचार
 
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केरल के किसान बनाम कोका कोला-2
 

 
 
कोका कोला
कोका कोला कंपनी विभिन्न पेय उत्पाद बनाती है
इस श्रंखला की पिछली कड़ी में हमने बात की थी कि कोका कोला प्लांट की वजह से केरल में पानी की समस्या खड़ी हो गई है.

इस प्लांट से एक और बड़ी समस्या सामने आई और वो है - उससे निकलने वाला कचरा.

क़रीब छह महीने पहले बीबीसी की एक टीम ने वहाँ का दौरा करके कुछ तथ्यों का पता लगाया था और एक कार्यक्रम पेश किया था. जिसके बाद इस मुद्दे ने काफ़ी तूल पकड़ा और कोका कोला के उत्पादों की जाँच परख हुई थी. अब मामला न्यायालय में है.

स्थानीय लोगों ने बीबीसी को बताया कि कोका कोला प्लांट से हर दिन टनों कचरा पास के खेतों में डाल दिया जाता है.

इस बारे में कोका कोला की नीति पर नज़र डालते हैं जो कहती है, "कोका कोला कंपनी अपने कचरे को फिर से इस्तेमाल के क़ाबिल बनाने के लिए रचनात्मक तरीक़े खोजने की दिशा में लगातार काम करती रहती है."

नीति
 अगर पृथ्वी की सुंदरता और पर्यावरण को बनाए रखना है तो कचरे को फिर से इस्तेमाल के लायक़ बनाया जाना बहुत महत्वपूर्ण है.
 
कोका कोला का नीतिगत बयान

"अगर पृथ्वी की सुंदरता और पर्यावरण को बनाए रखना है तो कचरे को फिर से इस्तेमाल के लायक़ बनाया जाना बहुत महत्वपूर्ण है."

कोका कोला का कहना है कि इसके केरल प्लांट से निकलने वाला कचरा दरअसल खाद है जो स्थानीय किसानों को मुफ़्त दिया जा रहा है.

इस दावे की जाँच परख के लिए बीबीसी टीम ने कोका कोला के प्लांट से थोड़ी ही दूर एक गाँव का दौरा किया. वहाँ के खेतों में पिछले दो साल से हर सप्ताह भारी मात्रा में कोका कोला के प्लांट का कचरा डाला जाता रहा है जिससे वहाँ मटमैले और काले रंग के टीले नज़र आने लगे हैं.

यह कचरा हज़ारों टन की तादाद में है. बीबीसी की टीम ने उस कचरे के नमूने इकट्ठे किए और लंदन में उनकी जाँच कराई.

बीबीसी रिपोर्टर जॉन वेट ने कोका कोला के भारत में उपाध्यक्ष सुनील गुप्ता से इस कचरे की उपयोगिता के बारे में सवाल उठाए जिसे कोका कोला खाद बताता है.

इस सवाल-जवाब का हिंदी रूपांतर हम आपके लिए पेश कर रहे हैं-

रिपोर्टर: मिस्टर सुनील गुप्ता, हम आपके प्लांट से निकलने वाले कचरे के बारे में कुछ बात करना चाहेंगे. हमने अपनी आँखों से देखा कि एक ट्रैक्टर-ट्रॉली कोका कोला के प्लांट से निकला और उसने सारा कचरा पास की एक नदी के किनारे उलट दिया. क्या यह ठीक बर्ताव है?

 जो भी कुछ बाहर निकलता है उसे यहाँ के किसान खाद के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं. और इस बारे में अभी तक तो कोई शिकायत नहीं मिली है.
 
सुनील गुप्ता

सुनील गुप्ता: हमारे प्लांट से कुछ भी ख़राब पदार्थ बाहर नहीं निकलता है और इसके लिए हमारे पास बहुत ही अत्याधुनिक और वैज्ञानिक प्लांट हैं. जो भी कुछ बाहर निकलता है उसे यहाँ के किसान खाद के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं. और इस बारे में अभी तक तो कोई शिकायत नहीं मिली है.

रिपोर्टर: और आप कहते हैं कि यह पदार्थ खाद है?

सुनील गुप्ता: इसमें से कुछ हिस्से का इस्तेमाल यहाँ के किसान खाद के रूप में करते हैं.

 यह किसानों को खाद बताकर पेश किया जा रहा है लेकिन हम आपसे पूछते हैं क्या यह वाक़ई खाद है?
 
बीबीसी रिपोर्टर

रिपोर्टर: यह किसानों को खाद बताकर पेश किया जा रहा है लेकिन हम आपसे पूछते हैं मिस्टर गुप्ता, क्या यह वाक़ई खाद है?

सुनील गुप्ता: हम समझते हैं कि यह फ़सलों के लिए भी ठीक है.

रिपोर्टर: ऐसा समझने का आपका आधार क्या है?

सुनील गुप्ता: हमने इस पदार्थ का विश्लेषण कराया है, उसी से हम इस नतीजे पर पहुँचे हैं.

ये थे भारत में कोका कोला कंपनी के उपाध्यक्ष सुनील गुप्ता से सवाल जवाब.

बीबीसी टीम ने उस पदार्थ और वहाँ के पानी के कुछ नमूने लिए जिनकी जाँच ब्रिटेन में यूनिवर्सिटी ऑफ़ एक्जेटर में ग्रीनपीस की प्रयोगशालाओं में कराई गई.

जाँच करने वाले वैज्ञानिक डॉक्टर डेविड सेंटिलो ने बीबीसी को बताया कि पानी के उस सैंपल में बहुत खनिज अशुद्धताएं थी और वह पीने के लिए बिल्कुल भी सही नहीं था.

कैडमियम और सीसा

ध्यान दिला दें कि यह सैंपल वही था जिसे बीबीसी रिपोर्टर ने कोका कोला के भारत में उपाध्यक्ष सुनील गुप्ता से पीने की पेशकश की थी और जिसे उन्होंने पीने से साफ़ मना कर दिया था.

इतना ही नहीं, कोका कोला के प्लांट से खेतों में डाले जाने वाले काले पदार्थ के सैंपलों की जाँच के नतीजे और भी परेशान करने वाले थे.

इसके बारे में डॉक्टर डेविड सैंटिलो ने बताया, "इस काले पदार्थ में ज़हरीली धातुओं की भारी मात्रा पाई गई जिनमें कैडमियम और सीसा भी शामिल हैं."

"कैडमियम आदमी के गुर्दों और जिगर के लिए बहुत ख़तरनाक होता है. जहाँ तक सीसे का ताल्लुक़ है तो यह ख़ासतौर से बच्चों के नर्वस सिस्टम यानी तंत्रिका प्रणाली के विकास के लिए एक ज़हर का काम करता है."

रिपोर्टर: क्या आपको ऐसा कुछ नज़र आया जिससे कोका कोला इस पदार्थ को खाद के रूप में पेश कर रहा है.

सैंटिलो: यह वाक़ई देखने वाली बात है. कोका कोला एक ज़हरीले पदार्थ को खाद के रूप में पेश करके किसानों के खेतों में डाल रहा है. यह किसी प्लांट के कचरे से छुटकारा पाने के लिए एक तरह से किसानों का शोषण है.

डॉक्टर डेविड सैंटिलो का यह कहना था कि यह पदार्थ फ़सलों को भी प्रदूषित कर देता है जिसका असर उस अनाज को खाने वालों पर होना निश्चित है.

(श्रंखला की अगली और अंतिम कड़ी में जानेंगे पर्यावरणविदों की राय और क्या है जवाब भारत में कोका कोला के अध्यक्ष संजीव गुप्ता का.)

 
 
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