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मंगलवार, 06 दिसंबर, 2005 को 13:02 GMT तक के समाचार
 
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सद्दाम के ख़िलाफ़ महिलाओं की गवाही
 
सद्दाम हुसैन
सद्दाम हुसैन ने अदालत में कहा कि वह मौत की सज़ा से नहीं डरते हैं
इराक़ के पूर्व राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन के ख़िलाफ़ चल रहे मुक़दमे में चल रही सुनवाई में मंगलवार को कुछ और गवाहियाँ हुईं और पहली बार किसी महिला ने गवाही दी.

मंगलवार को इस मुक़दमें किसी पहली महिला की गवाही हुई और वह महिला अपनी बात कहने के दौरान ही फूट-फूटकर रोने लगी.

उस महिला गवाह ने कहा कि जब उसे 1980 में हिरासत में रखा गया था तो वह किशोरावस्था में थी और उसे हिरासत में बिजली के झटके दिए गए और पीटा भी गया.

महिला गवाह ने कहा, "मेरी युवावस्था के दिन तबाह हो गए."

गवाही के लिए इस महिला की पहचान गुप्त रखी गई और उसे गवाह-ए कहकर पुकारा गया.

उसने बताया कि उसे दुजैल में हिरासत में लिए जाने के बाद सुरक्षा बलों के एक एजेंट ने कपड़े उतारने के लिए मजबूर किया था.

महिला ने कहा, "उसने मेरी टाँगें ऊपर उठा दीं और मेरे हाथ बाँध दिए. उसने मेरी पिटाई की और मुझे बिजली के झटके भी दिए."

इस महिला गवाह ने बताया कि बाद में उसे अबू ग़रेब की बदनाम जेल में क़रीब चार साल तक रखा गया. उसने बताया कि उसके बहुत से रिश्तेदारों को भी बंदी बनाया गया था.

इस महिला ने अपनी पहचान छुपाने की वजह से पर्दे के पीछे से ही गवाही दी और उसकी आवाज़ को बदलने वाले उपकरण भी इस्तेमाल किए गए.

थोड़ी देर के लिए उन उपकरणों में कुछ ख़राबी हो गई तो जज ने सुनवाई कुछ देर के रोकने के आदेश दिए.

लेकिन जब जज ने सवाल उठाया तो यह महिला सद्दाम हुसैन और उनके सहयोगियों के ख़िलाफ़ कोई ठोस और सीधा आरोप नहीं लगा सकी.

उसने सिर्फ़ यह कहा कि उसके साथ हुए इस बर्ताव के लिए सद्दाम हुसैन ज़िम्मेदार थे क्योंकि वह देश पर शासन कर रहे थे.

सद्दाम हुसैन और उनके कुछ सहयोगियों पर 1982 में क़रीब डेढ़ सौ लोगों की हत्या करने का आरोप है.

बाद में एक अन्य महिला - गवाह-बी की भी गवाही हुई जिसने कहा कि उसे उसके पति, पाँच बेटियों और दो बेटों के साथ पकड़ लिया गया था.

 
 
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