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'जल्दी ही ख़ाली हो जाएँगी बस्तियाँ' | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
इसराइली सेना का कहना है कि गज़ा पट्टी से बचे हुए यहूदी बाशिंदों को बाहर निकालने का काम अगले कुछ दिनों में पूरा हो जाएगा. पहले अनुमान लगाया गया था कि इस काम में छह सप्ताह लगेंगे लेकिन अब कहा जा रहा है कि छह दिन में ही बस्तियाँ खाली हो जाएँगी. गज़ा पट्टी से बाहर निकलने की समय सीमा मंगलवार आधी रात को ख़त्म हो गई, उसके बाद से यहूदी बाशिंदों को इसराइली सुरक्षा बल बाहर निकालने के काम में जुटे हैं. गज़ा पट्टी छोड़ने वाले यहूदियों को काफ़ी मोटा मुआवज़ा दिया जा रहा है और सरकार उन्हें नई जगह पर बसने में मदद भी करेगी. बीबीसी संवाददाता का कहना है कि एक औसत परिवार को लगभग चार लाख डॉलर तक का मुआवज़ा मिल सकता है जो कि इसराइल के लिए काफ़ी बड़ी रक़म है. इस बीच फ़लस्तीनी चरमपंथी संगठन हमास ने कहा है कि अगर यहूदी ग़ज़ा पट्टी से शांति से चले जाएँ तो इसके लिए उनकी सराहना ही होगी. लेकिन संगठन ने चेतावनी भी दी कि अगर इसराइल ने पश्चिमी तट के इलाक़े में बस्तियाँ बसाने का काम जारी रखा तो फ़लस्तीनी इसका जमकर विरोध करेंगे. विरोध ग़ज़ा पट्टी से बाक़ी बचे लोगों को बाहर निकालने का काम बुधवार को दिन में शुरू हुआ. सबसे बड़ी बस्ती नेवे देकलीम में सबसे ज़्यादा विरोध हो रहा है, वहाँ कई लोगों को पुलिस ने जबरन बसों में बिठाकर बस्ती से बाहर निकाला. बीबीसी संवाददाता का कहना है कि कई लोग ज़ोर से चिल्लाकर कह रहे थे 'हमें कहीं नहीं जाना.' नेवे देकलीम में तो एक महिला ने बस्ती से जबरन निकाले जाने के विरोध में ख़ुद को आग लगा ली. इसराइल के प्रधानमंत्री अरियल शेरॉन ने कहा है कि वे टीवी पर बस्ती ख़ाली किए जाने के दृश्य देखकर बहुत भावुक हो गए थे. |
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