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'ग़ज़ा से वापसी दर्दनाक लेकिन ज़रूरी' | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
इसराइल के प्रधानमंत्री अरियल शेरॉन ने कहा है ग़ज़ा से इसराइली बस्तियाँ हटाना बहुत कष्टकारी प्रक्रिया है लेकिन यह देश के भविष्य की सुरक्षा के लिए बेहद ज़रूरी है. शेरॉन ने टेलीविज़न पर दिए भाषण में कहा कि इसराइल ग़ज़ा को हमेशा के लिए अपने पास नहीं रख सकता और उन्होंने ग़ज़ा से वापसी की प्रक्रिया से प्रभावित होने वाले लोगों से समर्थन का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि ग़ज़ा से बस्तियाँ हटाना इसराइल और इसकी सुरक्षा के लिए अच्छा होगा. शेरॉन ने कहा, "हम ग़ज़ा में हमेशा के लिए नहीं रह सकते. वहाँ दस लाख से ज़्यादा फ़लस्तीनी रहते हैं और हर पीढ़ी के साथ उनकी संख्या दोगुनी हो जाती है." शेरॉन ने कहा कि अब फ़लस्तीनियों को यह साबित करना होगा कि वे शांति के लिए संकल्पबद्ध हैं और अगर वे ऐसा करते हैं तो इसराइल उन्हें ज़ैतून की टहनी पेश करेगा यानी उनकी तरफ़ दोस्ती का हाथ बढ़ाएगा. अरियल शेरॉन ने कहा कि ग़ज़ा से हटने वाले लोगों को फिर से बसाने और उनके जीवन को फिर से पटरी पर लाने के लिए भरपूर मदद की जाएगी. उन्होंने कहा कि उन्होंने सभी इसराइलियों के लिए एक ख़तरों से भरा रास्ता चुना है लेकिन उन्होंने उम्मीद जताई कि यह रास्ता प्रेम की तरफ़ ले जाएगा न कि नफ़रत की तरफ़. इससे पहले ग़ज़ा में रहने वाले लोगों को इलाक़ा छोड़ने का नोटिस देने के लिए इसराइली सेना ग़ज़ा की सबसे बड़ी बस्ती में पहुँची. वहाँ जमा हुए प्रदर्शनकारियों ने नेवे देकलीम बस्ती में सेना को रोकने की कोशिश की और सेना को प्रबल विरोध का सामना करना पड़ा. लोगों को ग़ज़ा में बस्तियाँ ख़ाली करने के लिए 48 घंटे का समय दिया गया है. क़रीब नौ हज़ार लोगों को नोटिस देने के लिए 40 हज़ार इसराइली सैनिकों और पुलिसकर्मियों को भेजा गया है. बीबीसी संवाददाता का कहना है कि लोगों के लिए ये बेहद भावुक दिन है और कई लोगों की आँखे नम थीं. कई लोगों ने अपना सामान जला दिया. याकोव मज़ाल तारी नाम के एक किसान ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया, "मैं फ़लस्तीनियों के लिए अपनी कोई चीज़ नहीं छोड़ना चाहता." हिंसा की आशंका संवाददाता के मुताबिक़ इस बात की आशंका बनी हुई है कि लोगों का विरोध हिंसक रूप ले सकता है क्योंकि हज़ारों अतिवादी विचारधारा वाले लोग भी ग़ज़ा में इकट्ठा हो गए हैं. और अधिक लोगों को जमा होने से रोकने के लिए बस्तियों को सील कर दिया गया है. सेना ने कहा है कि ऐसे लोग जिन्होंने न हटने की धमकी दी है उन्हें डाक के ज़रिए नोटिस भेजा गया है. ऐसा हिंसा से बचने के लिए किया जा रहा है. उधर फ़लस्तीनी नेता महमूद अब्बास ने इसे ऐतिहासिक क़दम बताया है और कहा है कि इसराइल को पश्चिमी तट से भी हट जाना चाहिए. उन्होंने बीबीसी को बताया कि इस क़दम से क्षेत्र में स्थायित्व आएगा. बस्तियों के आसपस क़रीब 7500 फ़लस्तीनी सैनिकों को भी तैनात किया गया है ताकि लोगों पर चरमपंथी हमलों को रोका जा सके. फ़लस्तीनी कस्बों में रहने वाले लोगों के हुजूम को ग़ज़ा में एक साथ आने से रोकने के लिए भी सैनिक तैनात किए गए हैं. इसराइल के ग़ज़ा से हटने पर फ़लस्तीन में जश्न मनाया जा रहा है. चरमपंथी गुट हमास ने इस अवसर पर विशेष प्रार्थना सभा का आयोजन किया है जिसमें कई लोगों ने हिस्सा लिया. |
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