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ग़ज़ा से यहूदी बस्तियाँ हटाने का काम शुरू | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
ग़ज़ा में रहने वाले लोगों को इलाक़ा छोड़ने का नोटिस देने के लिए इसराइली सेना ग़ज़ा की सबसे बड़ी बस्ती में पहुँच गई है. वहाँ जमा हुए प्रदर्शनकारियों ने नेवे देकलीम बस्ती में सेना को रोकने की कोशिश की. ग़ज़ा में सोमवार से बस्तियाँ हटाने का काम शुरू हो गया है. लोगों के पास बस्तियाँ खाली करने के लिए 48 घंटे का समय है. क़रीब नौ हज़ार लोगों को नोटिस देने के लिए 40 हज़ार इसराइली सैनिकों और पुलिसकर्मियों को भेजा जा रहा है. बीबीसी संवाददाता का कहना है कि लोगों के लिए ये बेहद भावुक दिन है और कई लोगों की आँखे नम थीं. कई लोगों ने अपना सामान जला दिया. याकोव मज़ाल तारी नाम के एक किसान ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया, "मैं फ़लस्तीनियों के लिए अपनी कोई चीज़ नहीं छोड़ना चाहता." जश्न का माहौल संवाददाता के मुताबिक़ इस बात की आशंका बनी हुई है कि लोगों का विरोध हिंसक रूप ले सकता है क्योंकि हज़ारों अतिवादी विचारधारा वाले लोग भी ग़ज़ा में इकट्ठा हो गए हैं. और अधिक लोगों को जमा होने से रोकने के लिए बस्तियों को सील कर दिया गया है. सेना ने कहा है कि ऐसे लोग जिन्होंने न हटने की धमकी दी है उन्हें डाक के ज़रिए नोटिस भेजा गया है. ऐसा हिंसा से बचने के लिए किया जा रहा है. उधर फ़लस्तीनी नेता महमूद अब्बास ने इसे ऐतिहासिक क़दम बताया है और कहा है कि इसराइल को पश्चिमी तट से भी हट जाना चाहिए. उन्होंने बीबीसी को बताया कि इस क़दम से क्षेत्र में स्थायित्व आएगा. बस्तियों के आसपस क़रीब 7500 फ़लस्तीनी सैनिकों को भी तैनात किया गया है ताकि लोगों पर चरमपंथी हमलों को रोका जा सके. फ़लस्तीनी कस्बों में रहने वाले लोगों के हुजूम को ग़ज़ा में एक साथ आने से रोकने के लिए भी सैनिक तैनात किए गए हैं. इसराइल के ग़ज़ा से हटने पर फ़लस्तीन में जश्न मनाया जा रहा है. चरमपंथी गुट हमास ने इस अवसर पर विशेष प्रार्थना सभा का आयोजन किया है जिसमें कई लोगों ने हिस्सा लिया. |
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