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अधिकारियों को 'घर के भेदी' का शक | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
सुरक्षा अधिकारियों को शक है कि किसी घर के भेदी की सूचना के आधार पर ही शनिवार को प्रशिक्षु सैनिकों की हत्या की गई होगी. उल्लेखनीय है कि ईरान की सीमा के निकट कुल 49 इराक़ी सैनिकों के शव मिले हैं. इन लोगों को हाल ही में सेना में भर्ती किया गया था और वे शुरुआती ट्रेनिंग पूरी कर घर लौट रहे थे और उस वक़्त उनके पास हथियार नहीं थे. दियाला प्रांतीय पुलिस के कमांडर वालिद अल असावी ने बताया है कि इन लाशों को चार कतारों में रखा गया था. उन्होंने कहा, "जाँच करने के बाद हमने पाया कि लोगों को ज़मीन पर लिटाकर उन्हें गोली मारी गई थी." बताया गया है कि इन लोगों को घात लगाकर पकड़ा गया और उनकी हत्या कर दी गई. अधिकारियों को संदेह है कि चरमपंथियों को किसी ने यह सूचना दे रखी थी कि तीन मिनी बसों में सवार सैनिकों के पास कोई हथियार नहीं है. शनिवार को 37 प्रशिक्षु सैनिकों की लाशें मिली थीं और अब रविवार को 12 लाशें मिलने के बाद यह संख्या 49 हो गई है. नवनियुक्त सैनिकों की ये लाशें बक़ूबा के मंडाली नाम के गाँव के पास से मिली हैं. एक वरिष्ठ अधिकारी ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया है कि इन लोगों ने सैनिक वर्दी नहीं पहनी थी और उनके पास कोई हथियार नहीं था. मुख्य निशाना असावी का कहना है कि "एक संगठित और हथियारबंद बड़े गिरोह ने इन्हें निशाना बनाया जिन्हें इनके आने-जाने की पूरी ख़बर थी." जानकारी मिली है कि इनमें से ज्यादातर लोग दक्षिणी इराक़ के शहरों बसरा, अमारा और नासिरिया के रहने वाले शिया नौजवान थे. पिछले कुछ समय में सैनिक भर्ती केंद्रों और प्रशिक्षण ले रहे इराक़ी सैनिकों को लगातार निशाना बनाया जा रहा है लेकिन यह इस तरह की अब तक की सबसे बड़ी घटना है. शनिवार को ही दो अलग अलग कार बम धमाकों में 20 इराक़ी पुलिसकर्मी मारे गए थे और 47 लोग घायल हो गए थे. इस मामले की जाँच चल रही है और घटना से इराक़ी सेना के मनोबल पर बुरा असर पड़ने की आशंका भी ज़ाहिर की जा रही है. |
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