'अल क़ायदा की भी नहीं सुनता' आईएसआईएस

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इराक़ के मोसूल और तिकरीत शहरों समेत बड़े हिस्से पर क़ब्ज़ा करने के साथ ही चरमपंथी संगठन इस्लामिक स्टेट ऑफ़ इराक़ एंड अल शाम (आईएसआईएस) चौतरफ़ा चर्चा में आ चुका है.

आईएसआईएस एक जिहादी समूह है और यह इराक़ के साथ ही सीरिया में भी सक्रिय है.

आईएसआईएस का गठन अप्रैल 2013 में हुआ और ईरानी अल क़ायदा से अलग रहते हुए यह तेज़ी से बढ़ा.

इसके बाद अल क़ायदा ने उसे अपने ग्रुप से बाहर कर दिया, पर इसके बावजूद आईएसआईएस सीरिया में सरकारी बलों के ख़िलाफ़ लड़ रहा मुख्य जिहादी समूह बन गया और इराक़ में तेज़ी से सैन्य बढ़त हासिल कर रहा है.

इसके आकार के बारे में स्पष्ट तौर पर जानकारी नहीं है, लेकिन माना जाता है कि इसमें हज़ारों लड़ाके हैं, जिनमें कई विदेशी जिहादी शामिल हैं.

बीबीसी संवाददाता का कहना है कि ऐसा लगता है कि दुनिया के सर्वाधिक ख़तरनाक जिहादी समूह के रूप में यह अल क़ायदा को पीछे छोड़ सकता है.

इस्लामिक अमीरात?

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इस संगठन की अगुआई <link type="page"><caption> अबू बकर अल-बग़दादी</caption><url href="http://www.bbc.co.uk/hindi/international/2014/06/140612_iraq_baghdadi_profile_sr.shtml" platform="highweb"/></link> कर रहे हैं. इनके बारे में बहुत कम जानकारी उपलब्ध है.

माना जाता है कि उनका जन्म उत्तरी बग़दाद के समारा में 1971 में हुआ और 2003 में अमरीका की अगुआई में हुए आक्रमण के बाद इराक़ में भड़के विद्रोह में वह भी शामिल हो गए.

2010 में वो इराक़ी अल क़ायदा के नेता के तौर पर उभरे.

बग़दादी को युद्ध का कुशल रणनीतिकार और कमांडर माना जाता है. विश्लेषकों का कहना है कि इसी वजह से युवा जिहादियों के लिए अल क़ायदा के मुक़ाबले आईएसआईएस अधिक आकर्षक हो गई है.

इराक में आईएसआईएस

किंग्स कॉलेज लंदन के प्रोफ़ेसर पीटर न्यूमन का अनुमान है कि सीरिया में क़रीब 80 फ़ीसदी विदेशी चरमपंथी इस संगठन में शामिल हो चुके हैं.

आईएसआईएस का दावा है कि उसके लड़ाकों में अरब देशों और काकेशस के अलावा ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी और अन्य यूरोपीय देशों के लोग शामिल हैं.

सीरिया के दूसरे विद्रोही समूहों के विपरीत आईएसआईएस सीरिया से लेकर इराक़ तक फैले एक इस्लामिक अमीरात के लिए काम कर रहा है.

सफलता

अबू बकर अल-बगदादी

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समूह को उल्लेखनीय सैन्य सफलता मिली हैं. मार्च 2013 में इसने सीरियाई शहर राक्का पर क़ब्ज़ा कर लिया था. साथ ही विद्रोहियों के नियंत्रण में पहली बार किसी प्रांत की राजधानी आई.

इसके बाद जनवरी 2014 में इसने इराक़ में सुन्नी अल्पसंख्यकों और शिया की अगुआई वाली सरकार के बीच बढ़ते तनाव का फ़ायदा उठाया और सुन्नी प्रभाव वाले शहर फ़ालूज़ा पर नियंत्रण हासिल कर लिया.

रमादी प्रांत के एक बड़े हिस्से पर भी इसका क़ब्ज़ा हो गया और तुर्की और सीरिया की सीमा पर कई क़स्बों में इसकी मौजूदगी है.

इस समूह को अपने नियंत्रण वाले इलाक़ों में क्रूर शासन के लिए काफ़ी ख्याति मिली. हालांकि जून में जब आईएसआईएस ने <link type="page"><caption> मोसूल पर क़ब्ज़ा</caption><url href="http://www.bbc.co.uk/hindi/international/2014/06/140611_iraq_crisis_mosul_ra.shtml" platform="highweb"/></link> किया, तो दुनिया भर का ध्यान इस पर टिक गया.

अमरीका ने कहा कि इराक़ के दूसरे शहर के पतन के साथ ही पूरे क्षेत्र के लिए आईएसआईएस चुनौती बन गया है. साथ ही आईएसआईएस दुनिया का सबसे अधिक नक़दी वाला चरमपंथी समूह बन गया है.

इराक में आईएसआईएस

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शुरुआत में उन्हें कुवैत और सऊदी अरब जैसे खाड़ी देशों के अमीर लोगों के दान का ही भरोसा रहता था. ये लोग राष्ट्रपति बशर अल-असद के खिलाफ लड़ाई का समर्थन कर रहे थे.

अल क़ायदा से मतभेद

कहते हैं कि आज <link type="page"><caption> आईएसआईएस</caption><url href="http://www.bbc.co.uk/hindi/international/2014/06/140617_iraq_capture_near_baghdad_tk.shtml" platform="highweb"/></link> को पूर्वी सीरिया में अपने नियंत्रण वाले तेल के कुओं से काफ़ी कमाई होती है. आईएसआईएस कथित रूप से सीरिया सरकार को ही तेल बेचती है.

प्रोफ़ेसर न्यूमन का मानना है कि जून 2014 में मोसूल पर क़ब्ज़ा करने से पहले आईएसआईएस के पास नक़द और परिसंपत्तियों के तौर पर करीब 90 करोड़ डॉलर की संपत्ति थी, जो अब बढ़कर क़रीब दो अरब डॉलर हो गई है.

समूह को कथित रूप से इराक़ के सेंट्रल बैंक की मोसूल शाखा से लाखों डॉलर मिलते हैं.

इराक संकट

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आईएसआईएस अल-नुसरा फ्रंट जैसे सीरिया के दूसरे जिहादी समूहों से अलग काम करता है और उसके दूसरे विद्रोही समूहों के साथ संबंध तनावपूर्ण हैं. अल-नुसरा फ्रंट सीरिया में अल-क़ायदा का सहयोगी संगठन है.

बग़दादी ने अल-नुसरा के साथ विलय की कोशिश की थी, पर यह समझौता नहीं हो सका और दोनों समूह अलग-अलग काम कर रहे हैं.

अल क़ायदा के प्रमुख जवाहिरी ने आईएसआईएस से इराक़ पर ध्यान देने और सीरिया को छोड़ने के लिए कहा था, लेकिन बग़दादी और उनके लड़ाकों ने अल क़ायदा चीफ़ की सलाह ठुकरा दी थी.

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