यूक्रेन, रूस, ताइवान, परमाणु हथियारों पर चर्चा - यूएन महासभा की बैठक इस बार है ख़ास

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- Author, सलीम रिज़वी
- पदनाम, न्यूयॉर्क से बीबीसी के लिए
पिछले दो साल के दौरान कोविड महामारी के कारण संयुक्त राष्ट्र महासभा का वार्षिक सम्मेलन अपनी पूरी शानोशौकत के साथ आयोजित नहीं हो पाया था.
अब इस साल के अधिवेशन में विश्व भर के अधिकतर राजनेता और प्रतिनिधि शामिल हो रहे हैं.
हर वर्ष महासभा का अधिवेशन सितंबर में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में आयोजित होता है. अधिवेशन दो हफ़्ते तक जारी रहता है और बीच में आमतौर पर 5 दिन हर सदस्य देश के राष्ट्राध्यक्षों, राजनेताओं या प्रतिनिधियों के भाषण होते हैं.
1945 में स्थापित इस संस्था में 193 सदस्य हैं जिनको पूर्ण सदस्यता मिली है जबकि दो गैर-सदस्य देश हैं - द होली सी (वह इलाका जो पोप के अधिकारक्षेत्र में आता है) और फ़लस्तीन. महासभा में ही संयुक्त राष्ट्र के सभी 193 सदस्यों का प्रतिनिधित्व होता है.
महासभा के भाषणों में क्या चर्चा होगी?

संयुक्त राष्ट्र महासभा के 77वें अधिवेशन में भारत समेत कई देशों द्वारा आतंकवाद और संयुक्त राष्ट्र में सुधार जैसे मुद्दों पर भी ज़ोर शोर से चर्चा करने की उम्मीद की जा रही है.
महासभा का 77वां अधिवेशन 21 सितंबर से शुरू हो गया जिसकी थीम है - "एक ऐतिहासिक क्षण: जटिल चुनौतियों के परिवर्तनकारी हल."
यह थीम इसलिए चुनी गई क्योंकि माना जा रहा है कि इस समय संयुक्त राष्ट्र के इतिहास में विश्व एक नाज़ुक क्षण से गुज़र रहा है जिसमें कोविड-19 जैसी महामारी, यूक्रेन युद्ध, अभूतपूर्व मानवीय चुनौतियां, खतर्नाक हद तक जलवायु परिवर्तन का असर और विश्व अर्थव्यवस्था के सामने खतरों पर बढ़ती चिंता जैसी जटिल और विश्व भर की साझा समस्याएं हैं.
इसलिए इन समस्याओं का हल भी साझा तरीके से ढूंढने की ज़रूरत महसूस की जा रही है जिससे सभी के लिए और आने वाली पीढियों के लिए बेहतर और मज़बूत विश्व का निर्माण करने पर ज़ोर दिया जा सके.
संयुक्त राष्ट्र का मानना है कि अब भी विश्व भर में कोविड महामारी से बहुत सारी जानें जा रही हैं और आर्थिक नुकसान भी हो रहा है. इसके चलते विश्व अर्थव्यवस्था के उबरने में भी मुश्किल हो रही है. इस सिलसिले में विश्व भर से आए नेता कोविड महामारी के अंत के लिए भी तरीकों पर चर्चा करेंगे.

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संयुक्त राष्ट्र महासभा के अधिवेशन के दौरान अहम सम्मेलनों में खाद्य संकट पर भी विस्व भर के नेता बैठक करेंगे. संयुक्त राष्ट्र द्वारा सन 2015 में एक समझौते के तहत सतत विकास के लिए सन 2030 तक विश्व भर के देशों के लिए 17 लक्ष्य रखे गए हैं.
सस्टेनेबल डेवेलप्मेंट गोल्ज़ या सतत विकास लक्ष्य पर भी इस वर्ष सम्मेलन ऐसे समय में हो रहा है कि जब विश्व भर में बढ़ती मंहगाई के बीच अधिक्तर विकासशील देशों के लिए सतत विकास पर काम करना अधिक चुनौतीपूर्ण हो गया है.
सतत विकास लक्ष्य के तहत ही संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटरेज़ की अध्यक्ष्ता में शिक्षा पर भी - 'ट्रांसफ़रिंग एजुकेशन' नामक एक शिखर सम्मेलन हो रहा है. संयुक्त राष्ट्र का मानना है कि विश्व भर में इस समय शिक्षा संकट जारी है. इस सम्मेलन में कोविड महामारी के कारण शिक्षा में जो नुकसान हुआ है उसकी भरपाई के लिए एकजुट होकर हल निकालने की कोशिश की जाएगी और भविष्य में शिक्षा प्रणाली में बेहतरी लाने के तरीकों पर भी विचार किया जाएगा.
संयुक्त राष्ट्र महासभा के वार्षिक अधिवेशन के दौरान धार्मिक, सांस्कृतिक और भाषायी अल्पसंख्यकों के अधिकारों के सिलसिले में पारित प्रस्ताव की 30वीं वर्षगांठ के मौके पर भी एक उच्च स्तरीय बैठक आयोजित हो रही है.
इसके अलावा जलवायु परिवर्तन से बिगड़ते हालात की रोकथाम के लिए भी एक उच्च स्तरीय बैठक हो रही है जिससे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कोशिशें तेज़ की जा सकें. पिछले कई वर्षों की तरह इस वर्ष भी संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देश फिर विश्व भर से परमाणु हथयारों के अंत किए जाने का प्रण लेंगे.
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इस सप्ताह सुर्खियों में क्या हो सकता है?

आम तौर पर महासभा के सभागार के बाहर विश्व भर के अहम राजनेताओं या राष्ट्राध्यक्षों के बीच अचानक या तयशुदा तरीके से होने वाली अहम मुलाकातों से ही सुर्खियां निकलती हैं.
इस बार तो यूक्रेन युद्व और रूस के पश्चिमी देशों के साथ संबंधों से जुड़े मामलों पर सबकी नज़र अधिक लगी हुई है. संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के दौरान अभी तक अमेरिका ने रूस के साथ किसी भी स्तर पर मुलाकात की संभावना से इंकार किया है.
यह कैसे काम करता है?
संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष का चुनाव भी हर वर्ष होता है. इस वर्ष हंगरी के साबा कोरोसी को 77वीं महासभा का अध्यक्ष चुना गया है. महासभा के वार्षिक अधिवेशन में पारंपरिक तौर पर भाषण का क्रम देश के नेता के स्तर पर और उनकी मर्ज़ी के साथ अन्य तथ्यों जैसे देश की आबादी और भौगोलिक स्थिति आदि पर भी निर्भर करता है.
हर वक्ता को 15 मिनट से कम समय में ही अपना भाषण खत्म करने की सलाह दी जाती है. लेकिन कई नेताओं के भाषण इस समय सीमा से अधिक लंबे होते हैं और कुछ नेताओं ने तो कई घंटों तक अपने भाषण जारी रखे. 1960 में क्यूबा के राष्ट्रपति फ़िदेल कास्त्रो का भाषण साढ़े 4 घंटे तक चला था.

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कौन शिरकत करेगा और कौन नहीं?

यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लोदिमीर ज़ेलेंस्की न्यूयॉर्क नहीं आ रहे बल्कि वह वीडियो से महासभा को संबोधित करेंगे. रूस ने इस पर आपत्ति जताई थी लेकिन संयुक्त राष्ट्र में एक प्रस्ताव पारित कर ज़ेलेंस्की के विडियो द्वारा रिकॉर्डेड भाषण चलाए जाने की मंज़ूरी दे दी गई है.
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन तो सम्मेलन में भाग नहीं ले रहे लेकिन रूस के विदेश मंत्री सरगे लेवराव भाग ले रहे हैं. लेवराव कुल 56 लोगों के दल के साथ न्यूयॉर्क आना चाहते थे लेकिन अमरीका ने सिर्फ़ 24 लोगों को वीज़ा जारी किया.
संयुक्त राष्ट्र के 1947 के "मुख्यालय समझौते" के तहत आम तौर पर अमेरिका विदेशी राजदूतों और प्रतिनिधियों को संयुक्त राष्ट्र की बैठकों में भाग लेने से नहीं रोक सकता. लेकिन अमेरिका का मानना है कि वह अपनी सुरक्षा, आतंकवाद और विदेश नीति से संबंधित कारणों से वीज़ा देने से इंकार कर सकता है.
ब्रिटेन की नई प्रधानमंत्री लिज़ ट्रस और फ़्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल मैक्रों के भाषणों पर भी सबकी नज़र रहेगी. चीन के राष्ट्रपति शी जिंपिंग भी इस साल अधिवेशन में शिरकत नहीं कर रहे.

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अमेरिकी राष्ट्पति ने क्या कहा?
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने बुधवार को संयुक्त राष्ट्र को बुधवार संबोधित किया. रूस पर हमला करते हुए उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन पर हमला कर संयुक्त राष्ट्र चार्टर का बेशर्मी से उल्लंघन किया है.
जो बाइडेन ने कहा कि रूसी सैनिकों ने यूक्रेन के स्कूलों, रेलवे स्टेशनों और अस्पतालों पर हमला किया है. इन हमलों का मकसद यूक्रेन के अस्तित्व को ख़त्म करना है.
परमाणु युद्ध पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि पुतिन ने आज यूक्रेन युद्ध को लेकर गै़र ज़िम्मेदार परमाणु युद्ध की धमकी दी है लेकिन परमाणु युद्ध नहीं जीता जा सकता और इसे कभी लड़ा भी नहीं जाना चाहिए.
ताइवान और चीन पर बोलते हुए जो बाइडन ने कहा कि अमेरिका वन चाइना पॉलिसी के प्रति प्रतिबद्ध है. व्हाइट हाउस के अधिकारियों ने ज़ोर देकर कहा कि ताइवान पर अमेरिकी की नीति नहीं बदली है. उन्होंने कहा कि वे किसी भी तरफ से यथास्थिति में बदलाव का विरोध करेंगे. इससे पहले कई मौकों पर जो बाइडन कह चुके हैं कि अगर चीन ने ताइवान पर हमला किया तो अमेरिका ताइवान की मदद करेगा.
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भारत की ओर से कौन शिरकत करेगा ?

पिछले साल भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के अधिवेशन में शिरक्त की थी लेकिन इस साल भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर संयुक्त राष्ट्र महासभा के अधिवेशन को 24 सितंबर को संबोधित करेंगे. उम्मीद की जा रही है कि भारतीय विदेश मंत्री अपने भाषण के दौरान ब्रिटेन को पछाड़ कर भारत की अर्थव्यवस्था के विश्व में पांचवें स्थान पर आने का ज़िक्र करेंगे.
इसके अलावा जयशंकर भारत द्वारा वैश्विक चुनौतियों से लड़ने में योगदान का ज़िक्र कर सकते हैं, खासकर कोविड वैक्सीन विश्व भर के कई देशों को दिए जाने का भी ज़िक्र हो सकता है. अपने भाषण में जयशंकर भारत द्वारा लंबे समय से की जा रही संयुक्त राष्ट्र में सुधारों की मांग फिर दोहरा सकते हैं.
पीएम मोदी के इस बार शिरकत न करने के बारे में अभी तक कोई सरकारी टिप्पणी नहीं मिल पाई है. पिछले कई वर्षों में आमतौर पर भारत के प्रधानमंत्री संयुक्त राष्ट्र महासभा के अधिवेशन में भाग लेते रहे हैं और महासभा को संबोधित करते रहे हैं.
भारत इस साल दिसंबर महीने में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता करेगा और उम्मीद की जा रही है कि पीएम मोदी उस समय बैठक में शिरकत करेंगे.

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पीएम मोदी ने अब तक महासभा के अधिवेशन में चार बार शिरकत की है और महासभा में भाषण भी दिया. सन 2020 में पीएम मोदी ने कोविड महामारी के कारण वीडियो लिंक के ज़रिए अपना संबोधन किया था.
पिछले हफ़्ते प्रधानमंत्री मोदी शंघाई सहयोग संगठन के शिखर सम्मेलन में शिरकत करने के लिए समरकंद गए थे. वहां उनकी रूसी राष्ट्रपति पुतिन को यूक्रेन युद्ध पर दी गई सार्वजनिक सलाह को अमरीका में मीडिया और कूटनीतिक हलकों में काफ़ी दिलचस्पी से देखा जा रहा है. लेकिन साथ ही यह भी कहा जा रहा है कि भारत ने यूक्रेन पर हमले के सिलसिले में रूस के खिलाफ़ अभी तक सख़्त रवैया नहीं अपनाया है.
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ संयुक्त राष्ट्र महासभा के सम्मेलन में भाग ले रहे हैं और उनका भाषण 23 सितंबर को होगा. संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी की गई सूची के अनुसार, तालिबान के कब्ज़े के बाद इस वर्ष अफ़ग़ानिस्तान को वक्ताओं की सूचि में शामिल नहीं किया गया है.

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अफ़ग़ानिस्तान की पूर्व सरकार द्वारा संयुक्त राष्ट्र में तैनात राजदूत गुलाम इसाकज़ई ने दिसंबर 2021 में इस्तीफ़ा दे दिया था. और अभी संयुक्त राष्ट्र को तय करना है कि अफ़्गानिस्तान के तालिबान शासकों के किसी दूत को मान्यता दी जाए या नहीं.
महासभा अधिवेशन के दौरान कई देशों के राजनेता और प्रतिनिधि आपस में मुलाकातें भी करते हैं. भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर की भी कई देशों के मंत्रियों और प्रतिनिधियों के साथ द्विपक्षीय और अन्य बैठकें भी होनी हैं. जिनमें क्वॉड, ब्रिक्स आदि समूह की अहम बैठकें भी शामिल हैं.
भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन से वाशिंगटन में मुलाकात करेंगे. हाल में अमरीका द्वारा पाकिस्तान को एफ़-16 विमानों के लिए मदद देने के फ़ैसले पर भारत अमरीका से विरोध जता चुका है.
भारत द्वारा संयुक्त राष्ट्र में सुधार की मांग पर अब तक क्या हुआ ?

भारत संयुक्त राष्ट्र में सुधार की मांग 4 दशक से अधिक समय से करता रहा है लेकिन इस मामले में चर्चा तो होती रही मगर अब तक कोई ठोस नतीजा निकलता नहीं दिखा है.
इस बार भी उम्मीद की जा रही है कि भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर महासभा को संबोधित करते हुए संयुक्त राष्ट्र में सुधार की मांग फिर दोहराएंगे. भारत का मानना है कि अब संयुक्त राष्ट्र में 21वीं सदी के बदले हालात के हिसाब से सुधार भी किया जाना चाहिए. और भारत सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता का दावेदार है.
फिलहाल तो उस मसौदे पर ही सहमति नहीं बन पाई है. इसमें सबसे बड़ी बाधा एक गुट डालता है जिसका नाम है - यूनाईटिंग फ़ॉर कंसेंसस - या सर्वमान्यता के लिए एकजुटता - इस गुट की अध्यक्षता इटली कर रहा है और पाकिस्तान इस गुट का सदस्य है.
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महासभा की बैठकों के कुछ दिलचस्प क़िस्से

बीते वर्षों में कई दिलचस्प क्षण भी रहे हैं. सन 2017 में महासभा में भाषण देते हुए अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उत्तरी कोरिया के शासक किम जोंग उन के बारे में कहा "रॉकेट मैन अपने लिए आत्महत्या के मिशन पर है."
सन 2006 में महासभा में अपने भाषण के दौरान, उस समय के वेनेज़ुएलन राष्ट्रपति हूगो शावेज़ ने उस समय के अमरीकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्लू बुश के लिए "द डेविल या शैतान " कहा था, और पोडियम पर इशारा करते हुए कहा था कि "अभी तक सल्फ़र की गंध आ रही है".
भारत के लिए 1977 में एक यादगार के तौर पर उस समय विदेश मंत्री वाजपेयी का हिंदी में भाषण भी दिलचस्प रहा है. भारत के विदेश मंत्री की हैसियत से अटल बिहारी वाजपयी ने पहली बार संयुक्त राष्ट्र महासभा को हिंदी में संबोधित किया था.
इसके अलावा पिछले तकरीबन दो दशक में हर वर्ष महासभा के वार्षिक अधिवेशन के दौरान भारत और पाकिस्तान के बीच नोकझोंक भी होती रही है. पाकिस्तान कशमीर का मुद्दा उठाता है और भारत उसको अपना आंतरिक मामला बताकर शिकायत करता है कि संयुक्त राष्ट्र कशमीर के मुद्दे को उठाने का सही फ़ोरम नहीं है.इसके अलावा भारत पाकिस्तान पर लगातार आतंकवाद को सरंक्षण देने का आरोप लगाता रहा है.
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