दहशत में हैं सलवा जुडूम के बचे नेता!

    • Author, सलमान रावी
    • पदनाम, बीबीसी संवाददाता, दोरनापाल (सुकमा) से

<link type="page"><caption> </caption><url href="http://www.bbc.co.uk/hindi/india/2013/06/130607_salman_ravi_diary_darbha_ar.shtml" platform="highweb"/></link><link type="page"><caption> छत्तीसगढ़</caption><url href="http://www.bbc.co.uk/hindi/india/2013/06/130607_salman_ravi_diary_darbha_ar.shtml" platform="highweb"/></link> में शुरू हुए सलवा जुडूम के बचे हुए नेताओं को अब लगने लगा है कि माओवाद या नक्सलवाद ख़त्म होने वाला नहीं है.

उनका मानना है कि <link type="page"><caption> माओवाद</caption><url href="http://www.bbc.co.uk/hindi/india/2013/05/130531_india_bol_naxal_akd.shtml" platform="highweb"/></link> दिनों-दिन बढ़ता ही चला जाएगा.

वे कहते हैं कि जब लाखों लोग <link type="page"><caption> सलवा जुडूम</caption><url href="http://www.bbc.co.uk/hindi/india/2013/05/130528_maoist_analysis_vk.shtml" platform="highweb"/></link> के साथ थे, माओवाद तब ख़त्म नहीं हो पाया तो आज, जब सलवा जुडूम अपनी आख़िरी साँसें गिन रहा है, इसके ख़त्म होने का सवाल ही पैदा नहीं होता.

कोरसा सन्नू सलवा जुडूम के साथ एक लम्बे अरसे से जुड़े <link type="page"><caption> नेताओं</caption><url href="http://www.bbc.co.uk/hindi/india/2013/05/130528_maoist_letter_update_ia.shtml" platform="highweb"/></link> में से एक हैं.

वह कहते हैं, "हम जब सलवा जुडूम से जुड़े थे तब कहा गया था कि बस तीन महीने या ज्यादा से ज्यादा 6 महीनों में माओवाद ख़त्म हो जाएगा. मगर <link type="page"><caption> आठ साल</caption><url href="http://www.bbc.co.uk/hindi/india/2013/05/130531_vidhyacharan_shukla_aj.shtml" platform="highweb"/></link> हो गए हैं, ऐसा कुछ नहीं हुआ. अब इसके ख़त्म होने का सवाल नहीं है."

नए सिरे से धमकी

सलवा जुडूम नेता कोरसा सन्नू.
इमेज कैप्शन, सलवा जुडूम नेता कोरसा सन्नू.

बस्तर के दर्भा में 25 मई की घटना में अपने नेता <link type="page"><caption> महेंद्र कर्मा</caption><url href="http://www.bbc.co.uk/hindi/india/2013/05/130527_naxal_violence_faisal_vr.shtml" platform="highweb"/></link> की हत्या के बाद, सलवा जुडूम के बचे हुए नेताओं के बीच दहशत है.

सभी ने अपनी <link type="page"><caption> गतिविधियों</caption><url href="http://www.bbc.co.uk/hindi/india/2013/05/130526_police_odisha_sm.shtml" platform="highweb"/></link> को सीमित कर दिया है.

सुकमा के सबसे संवेदनशील <link type="page"><caption> दोरनापाल</caption><url href="http://www.bbc.co.uk/hindi/india/2013/05/130526_chattisgarh_naxal_attack_vinod_sk.shtml" platform="highweb"/></link> के इलाके में मौजूद इनमें से कुछ नेताओं की ज़िन्दगी, थाने से लेकर अर्ध सैनिक बल के कैम्प के बीच ही सिमट कर रह गई है.

खौफ का आलम ये है कि कुछ पुराने नेता अब <link type="page"><caption> पत्रकारों</caption><url href="http://www.bbc.co.uk/hindi/india/2013/05/130527_maoistl_attack_erite_up_shubhranshu_chaudhari_vd.shtml" platform="highweb"/></link> के सामने भी आना नहीं चाहते.

25 मई की घटना के बाद माओवादियों ने सुकमा के कलेक्टर को डाक से एक पर्चा भेजकर सलवा जुडूम के लगभग 15 नेताओं को नए सिरे से धमकी जारी की है.

माओवादियों के नए फरमान के बाद अब सबको अपनी ज़िन्दगी की फ़िक्र सताने लगी है.

सुरक्षा की गुहार

एक-एक कर के नक्सलियों ने बस्तर, दंतेवाड़ा, बीजापुर और सुकमा के इलाकों में सलवा जुडूम के नेताओं को अपना निशाना बनाया.

पिछले दो सालों में सलवा जुडूम की निचली, मध्यम और शीर्ष पंक्ति के कई नेता मारे गए हैं.

महेंद्र कर्मा की हत्या से एक दिन पहले ही सुकमा में माओवादियों ने सलवा जुडूम के बड़े नेता और असीरगुडा के सरपंच सोयम मुक्का की हत्या कर दी थी.

पिछले साल दिसंबर के महीने में बीजापुर के फरसेगढ में माओवादियों ने एक अन्य शीर्ष नेता चिन्नारम गोट्टा और उनके भाई की हत्या कर दी.

दर्भा की घटना के बाद सलवा जुडूम के सभी बचे हुए नेताओं ने सरकार से अपनी सुरक्षा की गुहार लगाई है.

जुडूम के नेताओं को मलाल है कि उनकी गुहार के बावजूद सरकार उनकी सुरक्षा के उपाय नहीं कर रही है.

हत्या और बलात्कार के आरोप

माडवी जोगा.
इमेज कैप्शन, माडवी जोगा.

दोरनापाल में ही रह रहे सलवा जुडूम के एक अन्य नेता माडवी जोगा का कहना है कि उनके लिए पुलिस के सशस्त्र गार्ड तैनात तो हुए हैं. मगर वो थाने में ही रह रहे हैं.

जोगा का कहना है, "कुछ दिनों पहले माओवादी मेरे घर पर पहुँच गए थे. मैंने पुलिस के अधिकारियों से कहा है कि जब मेरे लिए ये गार्ड हैं तो इन्हें मेरे घर पर तैनात करो. थाने में रहकर वो क्या करेंगे."

जोगा का गाँव दोरनापाल से सिर्फ एक किलोमीटर की दूरी पर है.

कभी इनके नाम का ख़ौफ़ पूरे इलाके में थे. कभी कर्तम सूर्या जैसे सलवा जुडूम के नेता जहाँ पहुँच जाते थे, वहां लोग घरों में दुबक जाया करते थे.

सलवा जुडूम के कई ऐसे नेता हैं जिन पर हत्या और बलात्कार के आरोप लगे हैं.

आज इन नेताओं के अन्दर पैदा हुए डर का ये आलम है कि ये दोरनापाल हो या गीदम या फिर सुकमा या कोंटा, अपने अपने कैम्पों से एक किलोमीटर तक नहीं जा रहे हैं.

सुप्रीम कोर्ट का प्रतिबंध

सलवा जुडूम से जुड़े रहे सुरेश सिंह चौहान.
इमेज कैप्शन, सलवा जुडूम से जुड़े रहे सुरेश सिंह चौहान.

जुडूम के एक अन्य नेता सुरेश सिंह चौहान कहते हैं, "सलवा जुडूम जिस वक़्त शुरू हुआ था उस वक्त सरकार की तरफ से मिले समर्थन की वजह से ऐसा लगा कि एक दिन हम जीत जाएँगे. मगर आहिस्ता-आहिस्ता सब ने अपने हाथ खींच लिए. गाँव-गाँव से जो लोग निकलकर आए थे, वो अब वापस लौट गए."

पहले कांग्रेस और फिर भाजपा की सरकार. सबने सलवा जुडूम का समर्थन किया था. हालाँकि महेंद्र कर्मा कांग्रेस के नेता थे.

मगर भाजपा की सरकार जब आई और वे विपक्ष के नेता बने तो ये कहा जाता था कि वो रमण सिंह की सरकार के सोलहवें मंत्री थे.

मगर जल्द ही भारतीय जनता पार्टी ने भी खुद को सलवा जुडूम से अलग कर लिया.

ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि सलवा जुडूम के नेताओं पर गंभीर आरोप लगने लगे और आखिरकार ऐसा वक़्त भी आया जब उच्चतम न्यायालय ने इस पर प्रतिबंध लगा दिया.

कभी जिन सलवा जुडूम के नेताओं की तूती बोला करती थी और उनके आतंक से इलाके सिहर उठते थे, आज बस्तर की रणभूमि में उन्हें अपनी जान बचाना भी मुश्किल हो गया है.

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