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कई किरदार निभा सकती हैं जूही | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
अभिनेत्री जूही चावला मानती हैं कि अब उनका नाचने-गाने की भूमिकाओं वाला दौर ख़त्म हो रहा है और अब वो गंभीर भूमिकाएँ करना चाहती हैं. अपने हंसमुख और चुलबुले अंदाज़ के लिए चर्चित अभिनेत्री जूही चावला आजकल छोटे बजट की फ़िल्मों में ज़्यादा नज़र भी आ रही हैं. इनमें से 'झंकार बीट्स' और ' तीन दीवारें' जैसी फ़िल्मों की सफलता के बाद जूही अब नज़र आएँगी एक थ्रिलर 'बस एक पल' में. प्रतीक्षा घिल्डियाल ने जूही चावला से बातचीत की. पेश हैं बातचीत के कुछ अंश. आपकी आनेवाली फ़िल्म 'बस एक पल' पाँच लोगों की कहानी है. इन पाँचों में आप अपने आप को कहां पाती हैं? ये पाँचों किरदार किसी न किसी तरह से एक दूसरे से जुड़े हुए हैं. एक दिन एक ऐसा हादसा होता है जिससे इन सभी की ज़िंदगी बदल जाती है और एक दूसरे से रिश्ता भी. पाँचों में से एक भी किरदार के बिना यह फ़िल्म नहीं बन पाती. मैं फ़िल्म में रेहान की पत्नी बनी हूँ जिनसे मेरा कोई ख़ास लगाव नहीं है. आप तो कॉमेडी के लिये जानी जाती हैं. ऐसे में इतनी गंभीर फ़िल्म क्यों? सुनकर अच्छा लगता है कि लोगों को मेरी कॉमेडी पसंद है और मुझे इस पर गर्व भी है. लेकिन मैं कॉमेडी के अलावा भी कई तरह के किरदार करने में सक्षम हूँ. मैं गंभीर रोल भी बख़ूबी निभा सकती हूँ और जब कोई अच्छी पटकथा होती है तो मैं फ़िल्म ज़रूर करती हूँ. 'बस एक पल' की कहानी भी संजीदा और बढ़िया है. तो क्या यह माना जाए कि जूही चावला एक अभिनेत्री के तौर पर और परिपक्व हो गई हैं? (हंसते हुए) बाप रे, मैंने अपने को कभी इस नज़रिए से तो देखा नहीं. मुझे लगा कि मैंने बहुत कॉमेडी कर ली है लेकिन संजीदा और गंभीर रोल करना भी बड़ी चुनौती है. हमेशा कुछ नया करने में तो मज़ा आता ही है और जब 'बस एक पल' की स्क्रिप्ट मुझे अच्छी लगी तो मैंने हाँ कर दी. अब मेरे लिए नाचने गाने वाले रोल तो बनते नहीं, न ही मैं उन्हें करना चाहती हूँ. लेकिन आप आजकल छोटे-मोटे रोल भी कर लेती हैं.. हर फ़िल्म को करने की वजह अलग होती है. 'पहेली' मैंने शाहरुख़ के कहने पर की थी. वैसे भी मैं रानी मुख़र्जी जैसी युवा अदाकाराओं जैसे रोल तो कर नहीं सकती. 'बस एक पल' में उर्मिला का रोल मुझसे लंबा है लेकिन अगर आप फ़िल्म से मेरा रोल निकाल दो तो फ़िल्म ही अधूरी हो जाएगी. हर किरदार की अपने आप में एक अहमियत होती है. जैसे एक ज़माने में आपको चुलबुली और हंसमुख अदाकारा कहा जाता था, वैसा ही आज के दौर की अभिनेत्रियों में प्रीति ज़िंटा को माना जाता है. आपको लगता है आपकी जगह कोई ले सकता है? वैसे मैंने प्रीति को जितना देखा है उस तरह तो वो पर्दे पर बहुत प्यारी लगती हैं लेकिन हर कलाकार में कुछ न कुछ ख़ास बात होती है. ऐसे में तुलना करना बेकार है. मुझसे पहले भी बहुत बेहतरीन कलाकार आए और मेरे बाद भी आएँगे ही. मुझ जैसा भी कोई और नहीं हो सकता लेकिन सब में अपनी ख़ासियत है. आज के दौर की अभिनेत्रियों में किसे पसंद करती हैं? मैं सच बताऊँ तो मैंने पिछले एक साल में दो या तीन फ़िल्में ही देखी हैं इसलिए मैं यह बिल्कुल नहीं बता पाऊँगी कि कौन किससे बेहतर है. फ़िल्में नहीं देखती तो करती क्या हैं? मेरे घर में दो बंदर (बच्चे) हैं जिनकी मुझे देखभाल करनी पड़ती है. उनके साथ बहुत समय गुज़ारती हूँ और इसमें मुझे बहुत मज़ा आता है. उसके अलावा मैं संगीत सीखती हूँ, पारिवारिक और सामाजिक ज़िम्मेदारियाँ निभाती हूँ और फिर कभी-कभी फ़िल्मों की शूटिंग में व्यस्त हो जाती हूँ. आपके चाहने वाले आपको कब तक फ़िल्मों में देखते रहेंगे? (हंसते हुए) जब तक वे मुझसे परेशान नहीं हो जाते. जब तक भगवान चाहेंगे मैं काम करती रहूँगी क्योंकि मुझे अभिनय करना ही सबसे बेहतर आता है. ज़िंदगी भर यही तो किया है और मैं भगवान की शुक्रगुज़ार हूँ कि उन्होंने मुझे इतना लंबा करियर दिया है कि मैं अब तक काम कर रही हूँ. |
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