उत्तराखंड: अंकिता भंडारी केस में 'वीआईपी' से जुड़े नए आरोप, पिता ने मांगा इंसाफ़

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- Author, आसिफ़ अली
- पदनाम, देहरादून से बीबीसी हिन्दी के लिए
बीजेपी से निष्कासित पूर्व विधायक सुरेश राठौर की पत्नी और अभिनेत्री उर्मिला सनावर ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी किया, जिसके बाद उत्तराखंड का अंकिता भंडारी हत्याकांड दोबारा चर्चा में आ गया है.
वीडियो में उर्मिला सनावर ने हत्याकांड से जुड़े एक कथित 'वीआईपी' का नाम सामने लाने की बात कही है और भारतीय जनता पार्टी के कुछ नेताओं पर गंभीर आरोप लगाए हैं.
उन्होंने इस संबंध में बीजेपी के एक पूर्व विधायक के साथ हुई बातचीत का ऑडियो भी जारी किया, हालांकि इस ऑडियो की सत्यता की जांच अभी होनी बाक़ी है.
उर्मिला सनावर ने मामले में बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव दुष्यंत कुमार गौतम और यमकेश्वर ब्लॉक से पूर्व ज़िला पंचायत सदस्य आरती गौड़ के शामिल होने का आरोप लगाया था.
मगर दुष्यंत कुमार गौतम ने अपने ऊपर लगे आरोपों को सिरे से ख़ारिज करते हुए इसे चरित्र हनन की साज़िश क़रार दिया है.
नए दावों के सामने आने के बाद अंकिता भंडारी के परिजनों की ओर से भी एक बार फिर न्याय की मांग उठी है. उन्होंने सरकार से मामले में त्वरित कार्रवाई करने की अपील की है.
दुष्यंत कुमार गौतम ने क्या कहा?

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अंकिता भंडारी हत्याकांड से जुड़े कथित 'वीआईपी' विवाद में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव दुष्यंत कुमार गौतम ने पहली बार सार्वजनिक प्रतिक्रिया दी है.
उर्मिला सनावर के आरोपों के बाद दुष्यंत कुमार गौतम ने उत्तराखंड सरकार के गृह सचिव को एक पत्र लिखकर कथित ऑडियो-वीडियो पर कड़ा एतराज़ जताया है.
अपने पत्र में उन्होंने कहा कि वे लंबे समय से सामाजिक और राजनीतिक जीवन में सक्रिय रहे हैं और आम जनता के बीच उनकी पहचान रही है.
पत्र में दुष्यंत कुमार गौतम ने लिखा है कि एक "आपराधिक साज़िश" के तहत झूठी और मनगढ़ंत ऑडियो रिकॉर्डिंग तैयार की गई है और उसे मीडिया और सोशल मीडिया के ज़रिए फैलाया जा रहा है.
उन्होंने गृह सचिव से आग्रह किया है कि संबंधित सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म और न्यूज़ चैनलों को ऐसी सामग्री हटाने और आगे प्रसारित करने से रोकने के निर्देश दिए जाएं.
दुष्यंत गौतम ने अपने पत्र में उन सोशल मीडिया अकाउंट्स का भी उल्लेख किया है, जिन पर कथित तौर पर यह सामग्री साझा की गई है. इनमें 28 फ़ेसबुक आईडी, नौ इंस्टाग्राम अकाउंट, आठ यूट्यूब चैनल और दो एक्स हैंडल शामिल हैं.
दुष्यंत कुमार गौतम ने एक वीडियो बयान भी जारी किया है. इसमें उन्होंने कहा कि उन्होंने अपने पूरे सार्वजनिक जीवन में नैतिक मूल्यों और महिलाओं के सम्मान को सर्वोपरि रखा है.
उन्होंने कहा कि साज़िश रचने वालों के ख़िलाफ़ क़ानूनी कार्रवाई और मानहानि का मुक़दमा दायर करेंगे .
दुष्यंत कुमार गौतम ने यह भी कहा कि अगर उनके ख़िलाफ़ कोई भी आरोप प्रमाण सहित सामने आता है तो वे अपने सामाजिक और राजनीतिक जीवन से संन्यास लेने को तैयार हैं.
अंकिता के पिता बोले- सच सामने आना चाहिए

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अंकिता भंडारी हत्याकांड में सामने आए नए दावों के बीच उनके पिता वीरेंद्र सिंह भंडारी ने अभिनेत्री उर्मिला सनावर से अपील की है कि अगर उनके पास मामले से जुड़े कोई ठोस सबूत हैं, तो उन्हें सार्वजनिक मंचों के बजाय अदालत के सामने रखना चाहिए, ताकि पूरी पारदर्शिता सुनिश्चित हो सके.
बीबीसी हिन्दी से बातचीत में वीरेंद्र सिंह भंडारी ने कहा, "उर्मिला ने कुछ वीआईपी के नाम लिए हैं. अगर वह सच बोल रही हैं और मेरी बेटी को न्याय दिलाना चाहती हैं, तो उन्हें अदालत में बयान देना चाहिए और अपने पास मौजूद सबूत पेश करने चाहिए."
उन्होंने आरोप लगाया कि अंकिता पर अनैतिक काम करने का दबाव बनाया जा रहा था, जिसे उसने ठुकरा दिया था.
उनके मुताबिक़, "वनंतरा रिज़ॉर्ट के जिस कमरे में सबूत होने की बात कही जा रही थी, सिर्फ़ उसी कमरे को तोड़ा गया था."
वीरेंद्र सिंह भंडारी का आरोप है कि मुक़दमे की सुनवाई के दौरान सरकारी स्तर पर दबाव बनाया गया था.
उन्होंने कहा, "अदालत ने पीड़ित पक्ष को अपनी पसंद का सरकारी वकील चुनने का अधिकार दिया था, लेकिन सरकार ने हमसे पूछे बिना वकील नियुक्त कर दिया. बाद में जन आंदोलन के बाद दूसरा सरकारी वकील लगाया गया."
वीरेंद्र सिंह ने बताया कि अंकिता ने अपनी आपबीती अपने एक दोस्त को बताई थी.
उन्होंने कहा, "अंकिता ने बताया था कि उस पर किसी वीआईपी के लिए 'एक्स्ट्रा सर्विस' देने का दबाव बनाया जा रहा है. उसके दोस्त ने अदालत में यही बात बयान के रूप में कही थी."
अदालत की ओर से दोषियों को आजीवन कारावास की सज़ा दिए जाने के फैसले पर असंतोष जताते हुए उन्होंने कहा कि वह चाहते थे कि दोषियों को मृत्युदंड मिले.
वीरेंद्र सिंह भंडारी ने आरोप लगाया कि सरकार ने इस मामले में प्रभावशाली लोगों को बचाने की कोशिश की है.
उन्होंने यह भी कहा, "पहले एक नाम सामने आया था, अब नए दावों के बाद दूसरा नाम भी लिया जा रहा है. हो सकता है आगे और नाम भी सामने आएं."
उनका कहना है कि पहले सुप्रीम कोर्ट ने कथित वीआईपी के नाम को ख़ारिज किया था, लेकिन अब उर्मिला सनावर के दावों के आधार पर वे हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में नई याचिका दायर करने पर विचार कर रहे हैं.
क्या है अंकिता भंडारी हत्याकांड?

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19 वर्षीय अंकिता, पौड़ी जिले के यमकेश्वर स्थित वनंतरा रिज़ॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट थीं. सितंबर 2022 में उनकी हत्या कर दी गई थी और लापता होने के लगभग एक सप्ताह बाद उनका शव चीला शक्ति नहर से बरामद हुआ था.
मृत्यु से पहले अंकिता ने रिज़ॉर्ट की गतिविधियों और अपनी सुरक्षा को लेकर अपने एक दोस्त पुष्पदीप से फोन कॉल और चैट के जरिए चिंता साझा की थी, जिनका विवरण जांच के दौरान सामने आया.
पुलिस के अनुसार, रिज़ॉर्ट के मालिक पुलकित आर्य और उसके सहयोगी अंकित गुप्ता के अलावा सौरभ भास्कर कथित तौर पर अंकिता पर अनैतिक गतिविधियों में शामिल होने का दबाव बना रहे थे.
विवाद का एक अहम बिंदु कथित वीआईपी को "एक्स्ट्रा सर्विस" देने से अंकिता का इनकार था.
विशेष जांच टीम (एसआईटी) ने विस्तृत जांच कर 500 पन्नों की चार्ज़शीट अदालत में दाखिल की. 47 गवाहों की जांच के बाद, कोटद्वार की अपर ज़िला एवं सत्र न्यायालय ने इस साल 30 मई को अभियुक्तों को दोषी ठहराते हुए उन्हें आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई थी.

विवाद के बाद बीजेपी नेताओं की प्रतिक्रिया
कथित वीआईपी विवाद में उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और हरिद्वार से मौजूदा सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत और यमकेश्वर से पूर्व विधायक विजया बड़थवाल ने चुप्पी तोड़ी है.
पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पत्रकारों से बातचीत में मामले को बेहद गंभीर बताते हुए कहा कि यह महिलाओं से जुड़ा हुआ विषय है, जो समाज के 50 प्रतिशत हिस्से का प्रतिनिधित्व करती हैं.
त्रिवेंद्र रावत ने कहा कि यह मामला इस समय न्यायालय के विचाराधीन है, इसलिए सरकार कोई निर्णय नहीं ले सकती. उन्होंने कहा कि इसकी गहराई से जांच की आवश्यकता है.
इधर यमकेश्वर से पूर्व विधायक विजया बड़थवाल ने लिखित बयान जारी कर मामले की सीबीआई जांच की माँग की है.
उन्होंने कहा, "हम किसी भी पार्टी के हो सकते हैं, लेकिन हमारी बेटियों की प्रतिष्ठा, सम्मान और अस्मिता की रक्षा हमारी सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी है. महादेव की इस पवित्र भूमि पर यदि हमारी बेटियां सुरक्षित नहीं हैं तो इस राज्य को संभालने का क्या अर्थ रह जाता है."
राज्य में गरमाई सियासत

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इस मामले को लेकर राज्य में सत्तारूढ़ बीजेपी और विपक्षी पार्टियों के बीच आरोप-प्रत्यारोप भी तेज़ हो गए हैं.
कांग्रेस और वामपंथी दलों ने राज्य सरकार से मामले की सीबीआई जांच की मांग करते हुए चेतावनी दी है कि अगर तय समय में कार्रवाई नहीं हुई तो वे सड़कों पर उतरेंगे.
उत्तराखंड कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने कहा है कि अगर जनवरी तक राज्य सरकार सीबीआई जांच की सिफ़ारिश नहीं करती, तो कांग्रेस गढ़वाल मंडल मुख्यालय में विशाल धरना प्रदर्शन करेगी.
उन्होंने यह भी कहा कि अगर संभव हो तो जांच सुप्रीम कोर्ट के सिटिंग जज की अध्यक्षता में होनी चाहिए. या तो किसी सेवानिवृत्त न्यायाधीश की निगरानी में जांच कराई जाए.
वामपंथी दल भाकपा (माले) के राज्य सचिव इन्द्रेश मैखुरी ने कहा कि हाल में जो बातें सामने आई हैं, उनके मद्देनज़र भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव और उत्तराखंड प्रभारी दुष्यंत कुमार गौतम और एक अन्य संगठन महामंत्री की कॉल डिटेल रिकॉर्ड (सीडीआर) और मोबाइल लोकेशन की जांच होनी चाहिए.
उनके अनुसार, वायरल हो रही ऑडियो क्लिप्स की फॉरेंसिक जांच भी आवश्यक है.
भाकपा (माले) नेता ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पर भी सवाल उठाए हैं.
उन्होंने कहा, "यह तथ्य है कि मुख्यमंत्री ने अब तक सीबीआई जांच की सिफ़ारिश नहीं की है, लेकिन यह स्पष्ट होना चाहिए कि क्या यह फ़ैसला पार्टी के प्रभावशाली नेताओं को बचाने के लिए लिया गया. अगर ऐसा है, तो मुख्यमंत्री को नैतिक ज़िम्मेदारी लेते हुए पद पर बने रहने के अधिकार पर विचार करना चाहिए."
वहीं, भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस पर आरोप लगाया है कि वह अंकिता भंडारी हत्याकांड को लेकर अपुष्ट और अमर्यादित सोशल मीडिया कॉन्टेंट के आधार पर उत्तराखंड और दलित समुदाय की छवि को नुकसान पहुंचा रही है.
देहरादून में पार्टी मुख्यालय में पत्रकारों से बातचीत में बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता और पूर्व कैबिनेट मंत्री खजान दास ने कहा कि इस मामले में अदालत दोषियों को सज़ा सुना चुकी है, इसके बावजूद कांग्रेस बार-बार नए नाम सामने लाकर राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश कर रही है.
बीजेपी प्रवक्ता ने कहा कि पार्टी से जुड़े एक वरिष्ठ दलित नेता को जानबूझकर निशाना बनाया जा रहा है. उनके अनुसार, "सोशल मीडिया पर वायरल बताए जा रहे कॉन्टेंट के ख़िलाफ़ क़ानूनी कार्रवाई चल रही है और जल्द ही तथ्यों की स्थिति स्पष्ट होगी."
बीबीसी हिन्दी के लिए कलेक्टिवन्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.
















