इंडिगो संकट के बाद अब तीन नई एयरलाइंस शुरू करने की मंज़ूरी, जानिए इनके बारे में

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सरकार ने इंडिगो एयरलाइंस संकट के लगभग तीन हफ़्ते बाद तीन नई एयरलाइंस को मंजूरी दी है.
इन तीनों से कहा गया है के वे अपने ऑपरेशंस शुरू करने की तैयारी कर सकती हैं.
सिविल एविएशन मंत्री राम मोहन नायडू ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर पोस्ट कर जानकारी दी है कि पिछले एक सप्ताह में उनकी मुलाक़ात 'शंख एयर', 'अल हिंद' और 'फ्लाईएक्सप्रेस' की टीमों से हुई है, जो भारत में एयरलाइंस ऑपरेशंस शुरू करना चाहती हैं.
दिसंबर महीने की शुरुआत में भारत की सबसे बड़ी एयरलाइंस इंडिगो भारी शेड्यूलिंग संकट में फंस गई थी, जिससे हजारों उड़ानें रद्द हो गई थी.
इससे बड़ी तादाद में यात्री जहां के तहां फंस गए थे और देश के प्रमुख हवाईअड्डों पर भारी अफ़रातफ़री पैदा हो गई थी.
चूंकि घरेलू बाज़ार में इंडिगो की हिस्सेदारी 60 फ़ीसदी से अधिक है इसलिए इसका हवाई यात्राओं पर बहुत ज़्यादा असर दिखा.
इस बड़े संकट की वजह से मोदी सरकार को काफ़ी आलोचना का सामना करना पड़ा था.
सिविल एविएशन मंत्री ने नई एयरलाइंस शुरू करने के बारे में क्या बताया?

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दिसंबर की शुरुआत में जब इंडिगो संकट कई दिनों तक जारी रहा तो सरकार की उड़ान नीति सवालों के घेरे में आ गई थी.
आलोचकों कहना था कि इंडिगो की घरेलू उड़ान बाज़ार में मोनोपोली है इस वजह से ये संकट पैदा हुआ. लिहाजा सरकार को और भी कंपनियों को मौका देना चाहिए .
इसके बाद इंडिगो संकट पर लोकसभा में चर्चा के दौरान एविएशन मंत्री राम मोहन नायडू ने कहा था कि सरकार एविएशन सेक्टर में मजबूत और प्रतिस्पर्द्धी इकोसिस्टम के लिए प्रतिबद्ध है.

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इसके बाद अब नायडू ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर तीन एयरलाइंस कंपनियों के लिए एनओसी जारी करने की जानकारी दी है.
उन्होंने लिखा, ''पिछले एक सप्ताह में भारत के आसमान में उड़ान भरने की तैयारी कर रही नई एयरलाइनों- शंख एयर, अल हिंद एयर और फ्लाईएक्सप्रेस की टीमों से मुलाकात कर खुशी हुई. शंख एयर को पहले ही मंत्रालय से एनओसी मिल चुकी है, जबकि 'अल हिंद' एयर और फ्लाईएक्सप्रेस को इस सप्ताह उनकी एनओसी मिली है.''
जानकारों का मानना है कि इन तीन नई एयलाइंस के शुरू होने से यात्रियों को ज़्यादा विकल्प मिलेंगे और एविएशन सेक्टर के 90 फ़ीसदी हिस्से पर काबिज़ इंडिगो एयरलाइंस, एयर इंडिया और एयर इंडिया एक्सप्रेस को चुनौती मिलेगी.
दोनों नई एयरलाइनों से रीजनल कनेक्टिविटी में सुधार की उम्मीद है.
अलहिंद एयरलाइन
अलहिंद एयर का प्रमोटर केरल का अलहिंद ग्रुप है.
एयरलाइन की वेबसाइट के मुताबिक़ ग्रुप अपनी एयरलाइन की शुरुआत एक रीजनल कम्यूटर एयरलाइन के तौर पर करेगा. शुरुआत में इसने घरेलू उड़ानों के लिए एटीआर 72-600 विमानों के ऑपरेशन संचालित करने का फ़ैसला किया है. बाद में ये अपना अंतरराष्ट्रीय विस्तार भी करेगी.
'अल हिंद' एयरलाइन का हब कोच्चि होगा. वेबसाइट में दी गई जानकारी के मुताबिक़ एयरलाइन अपने ऑपरेशन बेस के बेहतरीन संचालन के लिए कोचीन इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड के साथ मिलकर काम कर रही है.
फ्लाईएक्सप्रेस एयरलाइन
जिस दूसरी एयरलाइन को एनओसी मिला है वो है फ़्लाईएक्सप्रेस.
फ़्लाईएक्सप्रेस एयरलाइन ने अपना ऑपरेशन शुरू करने के बारे में कोई टाइमलाइन नहीं दी है.
हालांकि उसने जल्द अपना ऑपरेशन शुरू करने के संकेत दिए हैं.
फ़्लाई एक्सप्रेस भी रीजनल और घरेलू रूट्स पर अपना ऑपरेशन शुरू कर सकती है.
शंख एयरलाइन

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शंख एयर (एयरलाइन) की वेबसाइट के मुताबिक़ ये जल्द ही उत्तर प्रदेश की सबसे बड़ी फुल सर्विस एयरलाइन बनने जा रही है.
वेबसाइट के मुताबिक़ इसका ऑपरेशन नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट से शुरू होगा.
एयरलाइन उत्तर प्रदेश और इसके बाहर के प्रमुख शहरों को जोड़ेगी. शुरुआत में इसके रूट होंगे वाराणसी, गोरखपुर और दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरू जैसे शहर.
शंख एयर के चेयरमैन श्रवण कुमार विश्वकर्मा हैं.
एविएशन मंत्री नायडू की ओर से सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर शेयर किए गए पोस्ट में विश्वकर्मा उनसे मिलते नज़र आ रहे हैं.
इंडिगो संकट और सरकार का फ़ैसला

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इस महीने की शुरुआत में जब इंडिगो संकट की वजह से सरकार की एविएशन पॉलिसी निशाने पर आई थी तभी से लग रहा था कि जल्द ही कुछ नए एयरलाइंस के शुरू होने की घोषणा हो सकती है.
दरअसल जब नए फ्लाइट क्रू ड्यूटी टाइम लिमिट नियमों के अनुसार खुद को ढालने में विफल रहने के कारण इंडिगो को दस दिनों तक 4500 से उड़ानें रद्द करनी पड़ी थी और भारी अफ़रातफ़री मच गई थी तो सरकार पर इस तरह से संकट से निकलने का दबाव पैदा हो गया था.
हालांकि डीजीसीए ने कुछ नियमों में ढील दी और इंडिगो को फरवरी 2026 तक नए नियमों को पालन न करने की अस्थायी छूट दे दी थी.
डीजीसीए ने हवाई किरायों पर सीमा तय की और एयरलाइन को इस संकट के कारण बकाया सभी रिफंड पूरा करने का आदेश दिया था.
सिविल एविएशन मिनिस्ट्री (नागर विमानन मंत्रालय) ने इस घटना की जांच के आदेश दिए और इंडिगो को शो-कॉज नोटिस जारी किया.
बाद में मंत्रालय ने एयरलाइन को अपनी मौजूदा सेवाओं में दस फ़ीसदी कटौती करने का निर्देश दिया.
8 दिसंबर से उड़ान रद्द होने की संख्या में कमी आने लगी थी. हालांकि यह प्रक्रिया दिसंबर के दूसरे सप्ताह तक जारी रही.
भारत का एविएशन मार्केट कितना बड़ा?
भारत इस समय दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा घरेलू एविएशन मार्केट है. भारत में बढ़ती आय, तेज़ शहरीकरण और हवाई यात्रा की बढ़ती पसंद ने इस क्षेत्र को मजबूती दी है.
भारत में 2014 में 74 हवाई अड्डे थे जबकि सितंबर 2025 तक कुल 162 हवाई अड्डे हो गए.
भारत में हवाई यात्रा को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने उड़ान (उड़े देश का हर नागरिक) स्कीम शुरू की थी.
21 अक्तूबर 2016 को शुरू हुई इस स्कीम के बारे में पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा था "एविएशन कभी गिने-चुने लोगों का क्षेत्र माना जाता था, लेकिन उड़ान के आने से यह सोच बदल गई है. मेरा सपना है कि हवाई चप्पल पहनने वाला व्यक्ति भी हवाई जहाज में उड़ान भर सके.''
इंडिगो जैसे संकट से बचने के लिए क्या करना होगा?

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हालांकि मोदी सरकार की एविएशन नीति की आलोचना करने वालों का कहना है ये सेक्टर मोनोपोली का शिकार बन गया है. इसमें नए प्लेयर नहीं आ रहे हैं.
इंडिगो संकट के वक़्त एविएशन सेक्टर के एक्सपर्ट हर्षवर्द्धन ने बीबीसी हिन्दी से बात करते हुए कहा था, "सरकार एविएशन सेक्टर में किसी भी तरह के नए निवेश को आकर्षित करने में विफल रही है. पहले यूपीए सरकार के समय तक होता ये था कि एक ऑपरेटर बंद हुआ तो दूसरा आ जाता था. साल 2013 में इंडिगो की मार्केट हिस्सेदारी लगभग 32 प्रतिशत थी, जो अब 65 प्रतिशत तक पहुंच चुकी है."
हर्षवर्द्धन कहते हैं, "सरकार को मोनोपोली को लेकर सख़्त नियम बनाने चाहिए जहां कोई कंपनी एक सीमा तक ही जा सकती है. पहले मोनोपोली को रोकने के उपाय किए जाते थे. लेकिन अभी उन्हें खुली छूट मिल गई है. प्रतिस्पर्द्धा आयोग रस्मी कार्रवाई करता है लेकिन किसी ग़लत लाभ को रोकता नहीं है.''

भारत का एविएशन उद्योग सालाना 10 से 12 फ़ीसदी की दर से बढ़ रहा है, जो कि सभी मानते हैं कि यह दुनिया में सबसे तेज़ ग्रोथ है. उस हिसाब से नए निवेश को आकर्षित करना चाहिए.
हर्षवर्द्धन के मुताबिक़ मोनोपोलाइज़ेशन से बचने के दो रास्ते हैं.
उनकी सलाह के मुताबिक़, "पहला ये कि सरकार को अपना लागत ढांचा तर्कसंगत बनाना चाहिए. अभी बेइंतहां टैक्स है, एयरपोर्ट ऑपरेटर्स यात्रियों से तरह तरह के शुल्क ले रहे हैं. जीएसटी आदि के नाम पर भी तरह तरह के टैक्स हैं. इन सारी वजहों से इस सेक्टर पर नए निवेश नहीं आ पा रहे हैं.जब तक सरकार माहौल नहीं बनाएगी, नए निवेश नहीं आएंगे."
उनकी दूसरी सलाह है, "बाज़ार हिस्सेदारी की सीमा तय की जानी चाहिए और 30 फ़ीसदी से अधिक हिस्सेदारी की इजाज़त नहीं दी जानी चाहिए."
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.















