जब पेट खाली हो तो दिमाग चीखता क्यों है?

भूख

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    • Author, सारा कीटिंग
    • पदनाम, बीबीसी संवाददाता

कभी आप ने गौर किया है कि जब भूख लगती है, तो आप को ग़ुस्सा बहुत आने लगता है.

ज़रा सी बात पर खीझ होने लगती है. ऐसी हालत में कोई सवाल पूछ बैठे, तो लगता है कि जवाब में उसके सिर पर ही कुछ दे मारें.

सोशल मीडिया के इस दौर में भूख और ग़ुस्से के इस घालमेल के लिए अंग्रेज़ी में एक दिलचस्प शब्द गढ़ा गया है.

इसका नाम है हैंगरी यानी Hangry. इसे भूख यानी हंगर और ग़ुस्सा होने यानी Angry से मिलकर बनाया गया है.

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क्या वजह होती है कि लोग Hangry होते हैं?

किंग्स कॉलेज लंदन की न्यूट्रिशियन एक्सपर्ट सोफ़ी मेडलिन कहती हैं कि लंबे वक़्त से इंसान को पता है कि भूख लगने पर खीझ और ग़ुस्सा बढ़ जाता है.

अब सोशल मीडिया ने भूख और ग़ुस्से के मेल से Hangry शब्द गढ़ा है, तो विज्ञान की इसमें दिलचस्पी और बढ़ गई है.

सोफ़ी बताती हैं कि जब हमारे शरीर में चीनी की तादाद कम होती है, तो कॉर्टिसोल और एड्रीनेलिन जैसे हॉरमोन की मात्रा बढ़ जाती है.

इन हारमोन का ताल्लुक़ हमारी लड़ने की क्षमता से होता है.

इनका हमारे दिमाग़ पर बहुत असर होता है.

इसकी वजह ये होती है कि हमारे ज़हन की तंत्रिकाओं यानी न्यूरोन से निकलने वाले केमिकल न्यूरोपेप्टाइड्स इन केमिकल की मात्रा को हमारे दिमाग़ में नियंत्रित करते हैं. जो केमिकल हमें भूख का एहसास कराते हैं, वही केमिकल हमें ग़ुस्सा भी दिलाते हैं.

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सोफी मेडलिन कहती हैं कि इसी वजह से कि भूख लगने पर हमें ग़ुस्सा भी आने लगता है.

हम सब ने भूख लगने पर आंतों में ऐंठन के साथ खीझ को महसूस किया होगा.

मीडिया अक्सर ये कहता है कि ये हालात महिलाओं में ज़्यादा देखने को मिलते हैं.

हालांकि इसमें ज़रा भी सच्चाई नहीं है. असल में हमारे समाज में महिलाओं को लेकर जो सोच है, उसकी वजह से ये बात कही जाती है.

पिछले महीने विंटर ओलंपिक के दौरान, अमरीकी खिलाड़ी क्लोय किम ने ट्वीट करके अपनी भूख के बारे में बताया था.

किम ने ट्विटर पर लिखा कि काश वो अपना ब्रेकफ़ास्ट सैंडविच खाकर आतीं. ज़िद की वजह से उसे छोड़ दिया और अब hangry महसूस हो रहा है.

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हक़ीक़त तो ये है कि औरतों के मुक़ाबले मर्दों को भूख लगने पर ज़्यादा ग़ुस्सा आता है.

भूख लगने पर पुरुषों को आता है ज़्यादा गुस्सा

सोफ़ी मेडलिन कहती हैं कि इंसानों के दिमाग़ में न्यूरोपेप्टाइड का असर महसूस करने के लिए ज़्यादा रिसेप्टर होते हैं.

इन पर ओस्ट्रेजन जैसे हारमोन का भी असर होता है. क्योंकि टेस्टोस्टेरॉन का इससे ताल्लुक़ पाया गया है.

सोफ़ी मेडलिन मानती हैं कि अभी मर्द ये मानने को कम ही तैयार होते हैं कि उनके खाने का जज़्बातों से कोई ताल्लुक़ है.

और महिलाओं को ज़्यादा इमोशनल माना जाता है. यही वजह है कि भूख लगने पर ग़ुस्सा आने को महिलाओं से ज़्यादा जोड़ दिया गया है.

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वैसे, Hanger यानी भूख और ग़ुस्से के इस कॉकटेल का आपसी रिश्तों पर बहुत बुरा असर हो सकता है.

भूख बिगाड़ सकती है आपसी रिश्ते

2014 की एक रिसर्च बताती है कि ख़ून में शुगर की मात्रा घटने पर शादीशुदा जोड़ों के ताल्लुक़ में तनाव बढ़ जाता है और वे अक्सर हिंसक हो उठते हैं.

ख़ास तौर से शादीशुदा महिलाएं भूख लगने पर बहुत आक्रामक हो उठती हैं. वो शोर वाला संगीत सुनने को तरज़ीह देती हैं.

अक्सर ऐसी महिलाओं के पतियों को उनके ग़ुस्से का शिकार होना पड़ता है.

तो, इस तजुर्बे से एक बात तो साफ़ है कि अगर आप की पत्नी को भूख लगी है, तो सब काम छोड़कर उसे शांत करने को तरज़ीह दें.

ये आपकी सेहत और सलामती के लिए बहुत ज़रूरी सलाह है!

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अब सवाल ये है कि आप भूख की स्थिति से कैसे बच सकते हैं?

सोफ़ी मेडलिन कहती हैं कि ये इस बात पर निर्भर करता है कि आप कितनी देर बाद अगली बार खाना खाने वाले हैं.

उससे पहले आप झटपट कुछ खाने का इंतज़ाम कर लें.

ख़ास तौर से ख़स्ता, मीठा या चटखारे वाला लज़ीज़ फास्ट फूड.

ये आपके ज़हन की शुगर की ज़रूरत को फ़ौरन पूरा करेगा और आपके ग़ुस्से के ज्वालामुखी को फटने से भी रोकेगा.

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