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भीड़ बढ़ाने के लिए नियम बदले | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
विश्वकप क्रिकेट मैचों में दर्शकों की कमी को दूर करने के लिए आयोजकों को कई तरह की छूट देने की घोषणा करनी पड़ी है. कई दर्शकों ने शिकायत की थी कि मैचों के दौरान वाद्य यंत्र नहीं है जिसकी वजह से कैरिबियन माहौल ही दिखाई नहीं दे रहा है. अब जबकि विश्वकप अपने अंतिम तीन हफ़्तों में प्रवेश कर चुका है, आयोजकों ने कहा है कि दर्शक बिना लिखित आवेदन के अपने वाद्ययंत्र लेकर स्टेडियम में जा सकेंगे. इसके अलावा विवादित 'नो री-एंट्री' के नियम को भी रद्द कर दिया गया है. इसका मतलब यह है कि एक बार स्टेडियम से बाहर निकलने के बाद उसी टिकट पर फिर से प्रवेश अब संभव हो सकेगा. दर्शकों के लिए ये छूट तत्काल प्रभाव से लागू हो गए हैं. गयाना में शनिवार को खेले गए बांग्लादेश और दक्षिण अफ़्रीका के मैच में वाद्ययंत्रों की आवाज़ें सुनाई पड़ीं थीं और पिछले कुछ मैचों में दर्शकों की संख्या में थोड़ी बढ़ोत्तरी भी दिखाई दी है. विश्वकप के मुख्य कार्यकारी क्रिस डेहरिंग कहते हैं, "मैचों के दौरान सुरक्षा एक बड़ा मसला था लेकिन जब उत्सव चल रहा हो और जीवंत सा माहौल हो तो हर किसी से क्रिकेट भर देखने की उम्मीद नहीं की जा सकती." ऑस्ट्रेलिया के कप्तान रिकी पॉन्टिंग ने उम्मीद जताई है कि दर्शकों को दी गई छूट से मैचों में दर्शकों की संख्या में कुछ बढ़ोत्तरी होगी. उन्होंने कहा, "निश्चित रुप से मैं कुछ ज़्यादा प्रशंसकों के बीच खेलने के लिए उत्सुक हूँ." उनका कहना था, "जहाँ तक मेरा सवाल है तो मुझे लगता है कि विश्वकप का मतलब है खचाखच भरे स्टेडियम और कुछ अच्छा क्रिकेट." उनका कहना था कि अब तक किसी भी मैच में उन्होंने ऐसा माहौल नहीं देखा है. रिकी पॉन्टिंग ने कहा कि यदि कुछ वाद्ययंत्र लाने से ही भीड़ बढ़ती है और माहौल बदलता है तो उसका भी स्वागत है. | इससे जुड़ी ख़बरें फ़्लॉप शो तो नहीं होगा ये विश्व कप02 अप्रैल, 2007 | खेल पार्टी स्टैंड यानी क्रिकेट के साथ कार्निवल26 मार्च, 2007 | खेल क्रिकेट दर्शकों में हताशा, व्यापक प्रदर्शन24 मार्च, 2007 | खेल प्यासे पत्रकार और सेवक मुनाफ़23 मार्च, 2007 | खेल | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
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