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शनिवार, 14 अक्तूबर, 2006 को 13:02 GMT तक के समाचार
 
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'किसी भी क़ीमत पर समझौता नहीं करेंगे'
 

 
 
ललित मोदी
ललित मोदी ने कहा कि समझौते में भारत के हितों की अनदेखी है
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) के बीच अगले आठ साल के लिए होने वाला समझौता खटाई में पड़ता नज़र आ रहा है.

बीसीसीआई एमपीए( मेम्बर्स प्लेइंग एग्रीमेंट) को लेकर काफ़ी नाराज़ है और उसका कहना है कि ये समझौता उनके गले नहीं उतर रहा.

बीसीसीआई के उपाध्यक्ष ललित मोदी का कहना है कि बोर्ड किसी भी क़ीमत पर समझौता को मौजूदा स्वरूप में स्वीकार नहीं कर सकता.

उन्होंने कहा, "इस समझौते में आईसीसी को तो ज़्यादा अधिकार है और वह जब चाहे समझौते में बदलाव कर सकता है और हर बोर्ड इसे मानने को बाध्य होंगे."

ललित मोदी ने कहा कि दो पक्षों के बीच ऐसा समझौता कहाँ होता, जिसमें एक पक्ष को जब चाहे बदलाव करने का अधिकार हो.

आमदनी

उन्होंने कहा कि आईसीसी को सबसे ज़्यादा आमदनी भारत से होती है. लेकिन इस समझौते में भारत के हित का ख़्याल नहीं रखा गया है.

 पैसा हिंदुस्तान से बाहर जा रहा है. हमारे देश में क्रिकेट के विकास में पैसा नहीं लग पाएगा. अगर हमारा पैसा बाहर जाएगा तो अन्य देशों में क्रिकेट के विकास पर ख़र्च होगा
 
ललित मोदी, उपाध्यक्ष, बीसीसीआई

आईसीसी का मेम्बर्स प्लेइंग एग्रीमेंट अगले साल मई से अगले आठ साल के लिए लागू हो रहा है. इस समझौते के मुताबिक़ दुनिया के सभी क्रिकेट बोर्ड किस आधार पर खेलेंगे और उनकी आमदनी का कितना हिस्सा आईसीसी के पास जाएगा- ये सब तय होगा.

ललित मोदी का कहना है कि इस समझौते में आईसीसी ने अपने व्यापारिक हितों का तो ख़्याल रखा है लेकिन भारत के हितों का ख़्याल नहीं रखा गया है.

उन्होंने कहा, "आईसीसी की 80 प्रतिशत की आमदनी भारत से आती है. बदले में आईसीसी हमें आठ साल में दो लाख डॉलर देगी और आईसीसी को भारत से आमदनी होगी डेढ़ अरब डॉलर."

उन्होंने कहा कि अगर भारत एमपीए साइन नहीं करे तो आईसीसी की आमदनी सिर्फ़ पाँच फ़ीसदी रह जाएगा.

बीसीसीआई उपाध्यक्ष का कहना है कि इस समझौते के बाद विज्ञापनदाताओं के पास मुश्किल ये खड़ी हो जाएगी कि वे किसमें पैसा लगाएँ- बीसीसीआई में आईसीसी में या फिर दोनों में.

उन्होंने कहा कि अगर भारत का हिस्सा कम हुआ तो बीसीसीआई के स्थानीय कॉन्ट्रेक्ट ख़त्म हो जाएँगे.

मुद्दे

दरअसल आईसीसी को सबसे ज़्यादा आमदनी भारत से होती है. दूसरे क्रिकेट बोर्डों के मामले में ऐसा नहीं इसलिए अन्य देशों के बोर्ड एमपीए साइन करने में उतनी कोताही नहीं कर रहे.

स्पीड का कहना है कि आईसीसी ने अपना रुख़ स्पष्ट कर दिया है

क्योंकि इन देशों को आईसीसी इतना पैसा दे रहा है जितनी उनकी आमदनी नहीं. लेकिन भारत के साथ ऐसा नहीं है.

ललित मोदी कहते हैं, "पैसा हिंदुस्तान से बाहर जा रहा है. हमारे देश में क्रिकेट के विकास में पैसा नहीं लग पाएगा. अगर हमारा पैसा बाहर जाएगा तो अन्य देशों में क्रिकेट के विकास पर ख़र्च होगा."

उन्होंने कहा कि आईसीसी सदस्य देशों से मिलकर बना हुआ है. इसलिए आईसीसी को इस मुद्दे पर विचार करना चाहिए.

यह पूछे जाने पर कि क्या क्रिकेट की दुनिया दो भागों में बँट जाएगी, उन्होंने कहा कि अभी ऐसी स्थिति नहीं आएगी.

ललित मोदी ने कहा कि बीसीसीआई को आईसीसी प्रतियोगिता खेलने के लिए कोई मजबूर नहीं कर सकता. उन्होंने कहा कि ज़्यादा से ज़्यादा ये हो सकता है कि भारत आईसीसी चैम्पियंस ट्रॉफ़ी ना खेले या फिर विश्व कप ना खेले लेकिन द्विपक्षीय प्रतियोगिताओं पर इससे कोई असर नहीं पड़ेगा.

 
 
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