कश्मीर घूमने ना जाएँ, कश्मीर की हर एक चीज़ का करें बहिष्कारः तथागत रॉय

मेघालय के राज्यपाल तथागत रॉय

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मेघालय के राज्यपाल तथागत रॉय ने पुलवामा हमले के बाद कश्मीर के लोगों और कश्मीर का बहिष्कार करने की अपील की है.

त्रिपुरा के राज्यपाल रह चुके तथागत रॉय अपने बयानों के लिए पहले भी चर्चा में रहे हैं.

अब उन्‍होंने एक पूर्व फ़ौजी की बात का समर्थन करते हुए ट्वीट किया है, ''भारतीय सेना के एक रिटायर्ड कर्नल ने अपील की है, 'अगले दो साल तक कश्मीर घूमने ना आएं, अमरनाथ यात्रा पर भी ना आएं. सर्दियों में आने वाले कश्मीरियों से सामान ना खरीदें. कश्मीर की हर एक चीज़ का बहिष्कार करें.' मैं इस बात से सहमत हूं.''

तथागत रॉय ने ट्वीट कर कश्मीरियों का बहिष्कार करने की बात कही है. वे सिर्फ़ कश्मीरियों के बहिष्कार तक ही सीमित नहीं कर रहे हैं.

उन्होंने कश्मीर घूमने और अमरनाथ यात्रा तक के बहिष्कार की बात कही है.

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तथागत रॉय ने रिटायर्ड मेजर और इस समय रिपब्लिक टीवी के साथ जुड़े मेजर गौरव आर्य के एक ट्वीट को भी रीट्वीट किया है.

मेजर गौरव आर्य ने ट्वीट किया था, ''भारतीय सेना अगर अपने हथियारों का सही से इस्तेमाल करे तो कश्मीर में होने वाले नुक़सान को कम किया जा सकता है. हालांकि राजनीतिक तौर पर हमें आश्वस्त किया गया है कि हम अपने लोगों के बीच काम कर रहे हैं और हमें संयमित रहना चाहिए.''

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इस ट्वीट के रीट्वीट में तथागत रॉय ने लिखा है, ''पाकिस्तान की सेना (जो कश्मीरी अलगाववादियों को निर्देश देती है) 1971 में पूर्वी पाकिस्तान में थी. वहां पाकिस्तानी सैनिकों ने हरतरफ़ बलात्कार और हत्याएं की. भारत ने मारा नहीं होता तो पूर्वी पाकिस्तान उसी के पास रह जाता. मैं यह सुझाव नहीं दे रहा हूं कि हम उतनी दूर जाएं. लेकिन कम से कम कुछ दूरी तो तय करें?"

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कश्मीर के बहिष्कार पर तथागत रॉय के बयान के बाद जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला सहित कई अन्य लोगों ने आपत्ति दर्ज करवाई है.

उमर अबदुल्ला ने ट्वीट किया है, ''ये कट्टरपंथी विचार ही कश्मीर को रसातल में ले जा रहे हैं. और तथागत अगर आप ऐसा चाह ही रहे हैं तो आप कश्मीर से निकलने वाली नदियों के पानी को क्यों नहीं रोक देते जिससे आप बिजली पैदा करते हैं?''

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द हिंदू की पत्रकार सुहासिनी हैदर ने ट्वीट किया, ''ऐसा लगता है कि मेघालय के गवर्नर ने भारतीय संविधान की धारा 159 के तहत जो शपथ ली है उसका उल्लंघन किया है. राष्ट्रपति को इसका संज्ञान लेना चाहिए.''

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तथागत रॉय के इस ट्वीट की जब कई लोगों ने आलोचना शुरू कर दी तो तथागत ने इसके जवाब में एक और ट्वीट किया.

उन्होंने लिखा, ''रिटायर्ड कर्नल के सुझाव से सहमति जताने पर मीडिया और अन्य जगहों पर काफी कड़ी प्रतिक्रिया आ रही है. मगर जिस तरह से साढे तीन लाख कश्मीरी पंडितों को बाहर निकाला गया और हमारे सैकड़ों जवानों को मारा गया, उसके जवाब में तो यह सुझाव पूरी तरह से अहिंसक प्रतिक्रिया है.''

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कश्मीरियों पर निशाना क्यों?

पुलवामा में 14 फ़रवरी को हुए हमले में सीआरपीएफ़ के कम से कम 40 जवान मारे गए थे. इस हमले की ज़िम्मेदारी चरमपंथी संगठन जैश ए मोहम्मद ने ली.

बताया गया कि इस आत्मघाती हमले को 21 साल के कश्मीरी युवक आदिल अहमद ने अंजाम दिया था.

पुलवामा के पास ही गंडीबाग के रहने वाले आदिल एक साल पहले ही जैश ए मोहम्मद में शामिल हुए थे.

यही वजह है कि देश के अलग-अलग हिस्सों से कश्मीरी छात्रों पर लोगों का गुस्सा निकलने की ख़बरें सुनने को मिल रही हैं.

आत्मघाती हमलावर आदिल अहमद का घर पुलवामा ही था

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भारतीय सेना ने मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कश्मीर की सभी माताओं से अपील करते हुए कहा कि वो अपने भटके बेटों को बुलाकर सरेंडर करवा लें नहीं तो मारे जाएंगे.

मंगलवार को ही पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने भी एक वीडियो जारी कर कहा कि अगर भारत हमला करेगा तो पाकिस्तान भी उसका जवाब देगा.

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