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रविवार, 23 नवंबर, 2008 को 14:03 GMT तक के समाचार
 
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वफ़ादारी में वोट नहीं डालने की कशमकश
 

 
 
कश्मीर का मानचित्र
परवीन अख़्तर इस लिए वोट नहीं डालना चाहती है क्योंकि वो एक चरमपंथी की पत्नी है
भारत प्रशासित जम्मू-कश्मीर में भारत से प्यार करने वाली एक महिला ने पति के प्यार में राज्य में हो रहे चुनाव में वोट नहीं डालने का फ़ैसला किया लेकिन ये फ़ैसला उनके लिए मुसीबत बन गया है.

बाईस वर्षीय परवीन अख़्तर जम्मू के राजौरी के ढाकरी इलाक़े की रहने वाली हैं. उनके रिश्तेदार उन पर वोट डालने का दबाब डाल रहे हैं.

लेकिन परवीन अख़्तर वोट नहीं डालना चाहती है क्योंकि वो एक चरमपंथी अब्दुल्लाह उर्फ़ इंक़लाब पंजाबी की पत्नी है.

इस कशमकश में परवीन ढाकरी इलाक़ा छोड़कर महौर इलाक़े में अपने चाचा के पास रहने के लिए चली गई हैं.

परवीन के रिश्तेदार उन्हें वोट डालने पर ज़ोर डाल रहे हैं क्योंकि चुनाव में मुक़ाबला उनकी बिरादरी गूजर और पहा़ड़ियों के बीच है.

गूजर एक घुमक्कड़ जाति है और 1989 से राज्य में इस जाति को अनुसूचित जनजाति का दर्जा प्राप्त है.

भारत से जुड़ाव

 मैं पाकिस्तान नहीं जाना चाहती और ना ही पाकिस्तानी नागरिकता लेना चाहती हूँ क्योंकि मुझे भारत की इस ज़मीन से बहुत जुड़ाव है.
 
परवीन अख़्तर

परवीन कहती है, "मेरे रिश्तेदार मुझे वोट डालने के लिए कह रहे हैं और तर्क दे रहे हैं कि अब्दुल्लाह को इस बात की ख़बर नहीं होगी, लेकिन मैं उससे झुठ नहीं बोलना चाहती क्योंकि अल्लाह हमें इसकी सज़ा देगा."

परवीन ने फ़ोन पर बताया, "जब मैं नौजवान थी तो वोट डालने के लिए बहुत उत्साहित थी और मैं इंतेज़ार कर रही थी कि कब अपना पहला वोट डालूं. लेकिन मैं इंक़लाब पंजाबी की पत्नी हूँ ऐसे में मैं उनकी इच्छा के ख़िलाफ़ नहीं जाना चाहती."

परवीन का कहना है, "जब इंक़लाब पंजाबी ने मेरे पिता से मेरा हाथ माँगा तो मैंने अपनी मर्ज़ी से इस प्रस्ताव को क़बूल किया. मैं जानती थी कि उनसे शादी एक ख़तरा है लेकिन अल्लाह की येही मर्ज़ी थी."

ग़ौरतलब है कि पंजाब इंक़लाबी पाकिस्तान के रहने वाले हैं और पाँच वर्ष पहले वो रजौरी में आए थे और उस समय वो मुजाहिदीन पीर पंजल रेज़िमेंट के डिविजनल कमांडर थे और इस समय वो यूनाईटेड जेहाद कोंसिल के अहम सदस्य हैं.

परवीनव के अनुसार उनकी शादी को तीन वर्ष हो गए हैं और इस अवधि में वो तीन महीने से ज़्यादा साथ नहीं रही.

वो कहती हैं, " मैं पाकिस्तान नहीं जाना चाहती और ना ही पाकिस्तानी नागरिकता लेना चाहती हूँ क्योंकि मुझे भारत की इस ज़मीन से बहुत जुड़ाव है."

 
 
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