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'तालेबान-अफ़ग़ान अफ़सरों में मिलीभगत'
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एक अमरीकी जाँच रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2001 में अफ़ग़ानिस्तान में तालेबान शासन के अंत के बाद अमरीकी सैनिकों पर हुए एक घातक
हमले में चरमपंथियों और दो अफ़ग़ान अधिकारियों की 'मिलीभगत' थी.
ग़ौरतलब है कि इस वर्ष जुलाई में अफ़ग़ानिस्तान के उत्तरी-पूर्वी कुनार प्रांत में एक सैनिक चौकी पर हुए हमले में नौ अमरीकी सैनिक मारे गए थे. इस अमरीकी रिपोर्ट के अनुसार इस इलाक़े के गर्वनर और पुलिस प्रमुख की इस हमले में संदिग्ध भूमिका थी. रिपोर्ट में इन अधिकारियों की बर्ख़ास्तगी की माँग की गई है. रिपोर्ट में स्थानीय पुलिस की सूचना देने में असफलता की भी आलोचना की गई है. बर्ख़ास्तगी की माँग इस हमले के दो दिन बाद ही नैटो की इंटरनेशनल सेक्युरिटी असिस्टेंट फ़ोर्स (आईसैफ़) ने अपनी सेना वहाँ से हटा ली थी. हमले में जहाँ आईसैफ़ के 30 अन्य सैनिक घायल हुए थे वहीं कम से कम 50 चरमपंथियों की मौत हुई थी. कुनार स्थित सैनिक चौकी पर कम से कम 200 चरमपंथियों ने ग्रेनेड, मशीन गन और मोर्टार से चारों तरफ़ से हमला बोल किया था. आईसैफ़ के सैनिकों ने भी जवाबी हमला किया था.
हालांकि रिपोर्ट में अधिकारियों के ख़िलाफ़ कोई सीधा सबूत नहीं दिया गया है लेकिन कहा गया है कि चरमपंथियों के साथ इन अधिकारियों की मिलीभगत थी. इसी हफ़्ते जारी की गई इस रिपोर्ट में कहा गया है, "इलाक़े के गवर्नर और पुलिस प्रमुख को यदि गिरफ़्तार कर सज़ा नहीं दी जाती है तो कम से कम उन्हें पद से हटा देना चाहिए." संवाददाताओं का कहना है कि हाल के दिनों में अफ़ग़ानिस्तान के उत्तरी-पूर्वी इलाक़े में तालेबान और अन्य विद्रोही समूहों के हमले काफ़ी बढ़े हैं. |
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