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बेनज़ीर की राजनीतिक वसीयत सार्वजनिक
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पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) ने पूर्व प्रधानमंत्री बेनज़ीर भुट्टो की राजनीतिक वसीयत को लेकर पैदा हो रहे विवादों को ख़त्म
करने के लिए उसे सार्वजनिक कर दिया है.
वसीयत में बेनज़ीर ने अपने पति आसिफ़ अली ज़रदारी की तारीफ़ की है और उन्हें पार्टी की कमान सौंपने की इच्छा ज़ाहिर की है. रावलपिंडी में पिछले साल 27 दिसंबर को बेनज़ीर की हत्या के कुछ दिनों बाद ही पीपीपी ने वसीयत के तथ्यों का खुलासा कर दिया था. लेकिन वसीयत में लिखी गई बातों पर विपक्षियों की तरफ से उठ रहे सवालों का ज़वाब देने के लिए पार्टी ने अब उसे जारी करने का फ़ैसला किया. पार्टी की एक प्रवक्ता ने कहा कि वसीयत को लेकर तमाम अटकलों को ख़त्म करने के लिए इसे जारी किया जा रहा है. विश्लेषकों का मानना है कि वसीयत के सबके सामने आने से बेनज़ीर के पति ज़रदारी की राजनीतिक हैसियत में इज़ाफ़ा होगा. ज़रदारी इस वक़्त पार्टी के प्रभारी हैं. पार्टी ने उनके बेटे बिलावल भुट्टो ज़रदारी को अध्यक्ष चुना है लेकिन पार्टी के कामकाज में उनका दख़ल अभी नाममात्र का है. 'जो अच्छा हो, वही करें..'
हाथ से लिखी गई एक पन्ने की इस वसीयत पर 16 अक्टूबर की तारीख़ दर्ज है. बेनज़ीर उसके दो दिन बाद ही आठ साल के निर्वासन के बाद पाकिस्तान लौटी थीं. भुट्टो ने वसीयत में लिखा है कि उनके न होने की हालत में नया पार्टी अध्यक्ष चुने जाने तक ज़रदारी को पार्टी का अंतरिम नेता बनना चाहिए. भुट्टो ने लिखा है, "मैं चाहूँगी कि मेरे पति आसिफ़ अली ज़रदारी तब तक अंतरिम तौर पर आपका नेतृत्व करें जब तक कि आप और वे तय नहीं कर लेते कि पार्टी के लिए सबसे अच्छा क्या है." उन्होंने लिखा, "मैं ऐसा इसलिए कह रही हूँ क्योंकि वे एक साहसी और आदरणीय आदमी हैं. उन्होंने साढ़े ग्यारह साल जेल में बिताए लेकिन तमाम यातनाओं के बावजूद झुके नहीं." बेनज़ीर ने यह भी लिखा, "उनका राजनीतिक क़द इतना बड़ा है कि वे पार्टी को एकजुट रख सकें." भुट्टो ने इस वसीयत में पार्टी के समर्थकों से देश में परिवर्तन की लड़ाई जारी रखने की अपील की है. उन्होंने लिखा, "पाकिस्तान के भविष्य को लेकर मैं डरती हूँ. कृपया चरमपंथ, तानाशाही, ग़रीबी और उपेक्षा के ख़िलाफ़ संघर्ष को जारी रखें." 'विवाद ख़त्म...'
राजनीतिक वसीयत को जारी करने के लिए बुलाए गए संवाददाता सम्मेलन में पार्टी प्रवक्ता शेरी रहमान ने कहा, "वसीयत के तथ्यों पर ग़लत अटकलें लगाकर कुछ विरोधी पार्टी में अव्यवस्था पैदा करना चाहते थे." शेरी ने कहा, "यही कारण है कि पार्टी नेतृत्व ने फैसला किया कि वसीयत को सार्वजनिक कर दिया जाए ताकि इससे जुड़े विवाद ख़त्म हो सकें और पार्टी एकजुट रह सके." संवाददाताओं का कहना है कि ज़रदारी पाकिस्तान की राजनीति में विवादास्पद हैं और उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं. पीपीपी के दूसरे प्रवक्ता फ़रहतुल्ला बाबर ने कहा कि वसीयत को सार्वजिनक करने के फैसले से पार्टी के अंदर ज़रदारी की स्थिति की मज़बूती का कोई सरोकार नहीं है. उन्होंने कहा कि चुनाव परिणामों के बाद पार्टी तय कर लेगी कि लंबे समय तक उसका नेतृत्व किसे करना है. |
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