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मोदी के बयान से मानवाधिकार चिंता
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अमरीका के एक मानवाधिकार संगठन ह्युमन राइट्स वाच ने भारत सरकार से सोहराबुद्दीन शेख फ़र्ज़ी मुठभेड मामले में गुजरात के मुख्यमंत्री
नरेंद्र मोदी की भूमिका की जाँच की माँग की है.
नरेंद्र मोदी ने अपने हाल के एक बयान में वर्ष 2005 में पुलिस के साथ मुठभेड में सोहराबुद्दीन शेख की मौत को न्यायसंगत ठहराया था. मोदी की भूमिका की जाँच की मांग करने वाले मानवाधिकार संगठन के एशिया निदेशक ब्रेड एडम्स कहते हैं, “इस बयान से पुलिस को मोदी के राज में संदिग्ध चरमपंथियों को सज़ा देने की अनुमति मिल गई है. भारत सरकार को इस मामले की फौरन जाँच करानी चाहिए.” बयान पर मोदी के स्पष्टीकरण को ख़ारिज़ करते हुए एडम्स कहते हैं, “हत्या को न्यायसंगत बताकर वो सोनिया गाँधी की टिप्पणी की आड़ में छिप नहीं सकते.” सोनिया गाँधी ने नरेंद्र मोदी की सरकार को “मौत का सौदागर” कहा था. मोदी का कहना है कि उन्होंने सोनिया की इस टिप्पणी के जबाव में सोहराबुद्दीन शेख की पुलिस के साथ मुठभेड में मौत को न्यायसंगत ठहराया था. एडम्स कहते हैं, “इससे पहले वर्ष 2002 के गुजरात दंगों में पुलिस की भूमिका को मोदी ने उचित ठहराया था लेकिन उनके दावे खोखले निकले.” मानवाधिकार संगठन ने गोधरा हत्याकांड और उसके बाद भडके दंगों पर मोदी के उस बयान की याद दिलाई है जिसमें उन्होंने कहा था कि “हर क्रिया की विपरीत दिशा में प्रतिक्रिया होती है.” |
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